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गोवर्धन पूजा: झालावाड़ के अकलेरा में चार पीढ़ियों ने मिलकर गोबर से बने गोवर्धन पर्वत की पूजा किए

झालावाड़ के अकलेरा में स्थित पर्यटक स्थल श्री कामखेड़ा बालाजी धाम पर सोमवार को गोबर से बने गोवर्धन पर्वत की चार पीढ़ियों ने मिलकर पूजा की. परिवार के लोगों ने ढोल नगाड़े और गाजे-बाजे के साथ पूजा करते हुए सुख-संपत्ति और धन-धान्य की प्रार्थना की. वहीं इस दौरान वहां घूमने आए सैलानियों ने भी गोवर्धन के साथ सेल्फी ली.

झालावाड़ न्यूज, jhalawar news
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Published : Oct 28, 2019, 7:58 PM IST

Updated : Oct 28, 2019, 8:03 PM IST

अकलेरा (झालावाड़). जिले के कामखेड़ा में गोवर्धन का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया, जिसके तहत महिलाओं ने घर के मुख्य दरवाजे के सामने गोबर से गोवर्धन बनाकर उसकी पूजा की. इस दौरान एक ही परिवार की चार पीढ़ियों ने मिलकर गोवर्धन पर्व मनाया.

चार पीढ़ियों ने मिलकर गोबर से बने गोवर्धन पर्वत की पूजा की

बता दें कि सदियों से चली आ रही इस परंपरा का यह परिवार आज भी उसी तरह निर्वाह कर रहा है. यहां सोमवार सुबह महिलाएं उठकर घर के मुख्य दरवाजे के सामने गो मूत्र और गंगाजल से उस जगह को पवित्र करती हैं. फिर वहां गाय के गोबर से गोवर्धन जी महाराज की आकृति बनाई जाती है. उसके बाद सभी महिलाएं गोबर से बने हुए गोवर्धन पर्वत की विधिवत पूजा करती हैं.

पढ़ें-भरतपुर: ब्रज में खास तरीके से की जाती है गोवर्धन की पूजा, आज से मन्दिरों में शुरू हुआ अन्नकूट

पूजा में भगवान गोवर्धन को दूध, दही और घी के पंचामृत के साथ मिष्ठानों और विभिन्न प्रकार के पकवान से भोग लगाया जाता है. यह पर्व दीपावली के 1 दिन बाद मनाया जाता है. आज भी इस गांव के अंदर यह परंपरा है कि सांझ ढ़लते-ढ़लते गोवर्धन भगवान की पूजा की जाती है.

महिलाएं सुबह के समय ही घर के मुख्य दरवाजे पर गाय के गोबर को पवित्र जगह करके रख देती हैं और फिर गोवर्धन के लिए विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं. गोवर्धन पूजा के बाद सभी महिलाएं महाआरती कर भगवान के मंगल गीत-गाती हैं और गोवर्धन की 108 परिक्रमा लगाती हैं.

पढ़ें- श्री द्वारकाधीश मंदिर में धूमधाम से मनाया गया गोवर्धन पर्व, 300 सालों से चली आ रही है यह परंपरा

गोवर्धन से जुड़ी प्राचीन मान्यता है कि इस दिन सभी प्रकार के खाद्य पदार्थों का मिश्रण करके सभी में महाप्रसादी के रूप में वितरित किया जाता है. इसी के साथ-साथ दूध से बनी खीर भी वितरित की जाती है और दही व दूध से मिश्रित पंचामृत प्रसाद भी बांटा जाता है. गांव के अंदर सभी गली-चौक चौराहों में पूजा होने के उपरांत गायों को खिचड़ी, गुड़ के लड्डू मालपुआ, खीर और पुरी आदि खिलाई जाती है.

अकलेरा (झालावाड़). जिले के कामखेड़ा में गोवर्धन का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया, जिसके तहत महिलाओं ने घर के मुख्य दरवाजे के सामने गोबर से गोवर्धन बनाकर उसकी पूजा की. इस दौरान एक ही परिवार की चार पीढ़ियों ने मिलकर गोवर्धन पर्व मनाया.

चार पीढ़ियों ने मिलकर गोबर से बने गोवर्धन पर्वत की पूजा की

बता दें कि सदियों से चली आ रही इस परंपरा का यह परिवार आज भी उसी तरह निर्वाह कर रहा है. यहां सोमवार सुबह महिलाएं उठकर घर के मुख्य दरवाजे के सामने गो मूत्र और गंगाजल से उस जगह को पवित्र करती हैं. फिर वहां गाय के गोबर से गोवर्धन जी महाराज की आकृति बनाई जाती है. उसके बाद सभी महिलाएं गोबर से बने हुए गोवर्धन पर्वत की विधिवत पूजा करती हैं.

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पूजा में भगवान गोवर्धन को दूध, दही और घी के पंचामृत के साथ मिष्ठानों और विभिन्न प्रकार के पकवान से भोग लगाया जाता है. यह पर्व दीपावली के 1 दिन बाद मनाया जाता है. आज भी इस गांव के अंदर यह परंपरा है कि सांझ ढ़लते-ढ़लते गोवर्धन भगवान की पूजा की जाती है.

महिलाएं सुबह के समय ही घर के मुख्य दरवाजे पर गाय के गोबर को पवित्र जगह करके रख देती हैं और फिर गोवर्धन के लिए विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं. गोवर्धन पूजा के बाद सभी महिलाएं महाआरती कर भगवान के मंगल गीत-गाती हैं और गोवर्धन की 108 परिक्रमा लगाती हैं.

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गोवर्धन से जुड़ी प्राचीन मान्यता है कि इस दिन सभी प्रकार के खाद्य पदार्थों का मिश्रण करके सभी में महाप्रसादी के रूप में वितरित किया जाता है. इसी के साथ-साथ दूध से बनी खीर भी वितरित की जाती है और दही व दूध से मिश्रित पंचामृत प्रसाद भी बांटा जाता है. गांव के अंदर सभी गली-चौक चौराहों में पूजा होने के उपरांत गायों को खिचड़ी, गुड़ के लड्डू मालपुआ, खीर और पुरी आदि खिलाई जाती है.

Intro:पर्यटक स्थल श्री कामखेड़ा बालाजी धाम पर गोबर से बने गोवर्धन पर्वत की चार पीढ़ियों ने मिलकर की पूजा ढोल नगाड़े गाजियाबाद के साथ पूजा करते हुए सुख संपत्ति धन-धान्य आदि के लिए की प्रार्थना एवं क्षेत्र में अमन चैन खुशहाली की भी की प्रार्थनाएं पर्यटक स्थल पर आने वाले सैलानियों ने सेल्फी ली और गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करके पढ़े लिखे छात्र-छात्राओं ने भी भगवान श्री गोवर्धन की परिक्रमा लगाकर उन्नति के लिए की प्रार्थनाएं इस पर्यटक स्थल पर हर तबके का अधिकारी कर्मचारी एवं जनप्रतिनिधि भी दर्शन के साथ-साथ बालाजी धाम पर आकर गोवर्धन पर्वत की भी करते हैं परिक्रमाBody:गांव ढाणियों में की गोवर्धन की पूजा' मंगल गीत गाकर की परिक्रमा

अकलेरा झालावाड़ हेमराज शर्मा

अकलेरा _ झालावाड़_जिले के कामखेड़ा मैं सदियों से चली आ रही पूजा का आज भी वही सिलसिला चला आ रहा है इसमें कोई बदलाव नहीं देखा गया__ प्रातकाल महिलाएं उठकर घर के मुख्य दरवाजे के सामने गोमूत्र गंगाजल आदि से जगह को पवित्र करके गाय के गोबर से परिवार के साथ भगवान श्री गोवर्धन जी महाराज की आकृति की प्रतिमा बनाकर सुशोभित करती है इसके उपरांत सभी महिलाएं गोबर से बने हुए गोवर्धन पर्वत की विधिवत पूजा करती है जिसमें भगवान गोवर्धन को दूध दही घी पंचामृत मिष्ठान विभिन्न प्रकार के पकवान से भोग लगाया जाता है ! यह पर्व दीपावली लक्ष्मी पूजन के 1 दिन बाद मनाया जाता है आज भी इस गांव के अंदर यह परंपरा है सांज ढलते ढलते गोवर्धन भगवान की पूजा की जाती है वैसे तो प्रातकाल महिलाएं घर के मुख्य दरवाजे पर गाय के गोबर को पवित्र जगह करके रख देती है वही भगवान गोवर्धन जी के लिए प्रात काल से महिलाएं विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाने में जुट जाती है जिसमें महिलाओं को लगभग सांझ ढल जाती है उसके बाद ही चली आ रही परंपरा अनुसार इस गांव में आज शाम ढलते ढलते गोवर्धन पूजा की जाती है वही गोवर्धन पूजा के उपरांत सभी महिलाएं महाआरती कर भगवान गोवर्धन जी के मंगल गीत गाती हुई लगभग 108 परिक्रमा करती है__ वही झालावाड़ जिले के कामखेड़ा धार्मिक नगरी में आज भी प्राचीन मान्यताओं के अनुसार गोवर्धन पूजा मनाते हुए आ रहे हैं ' प्राचीन मान्यताओं के अनुसार पूजा के बाद सभी प्रकार के खाद्य पदार्थों का मिश्रण करके सभी महिलाओं में महाप्रसादी के रूप में वितरित किया जाता है इसी के साथ साथ दूध से बनी खीर भी वितरित की जाती है एवं दही दूध की आदि से मिश्रित पंचामृत को भी वितरण किया जाता है गांव के अंदर सभी गली चौक चौराहों में पूजा होने के उपरांत गायों को खिचड़ी गुड़ के लड्डू मालपुआ खीर पुरी आदि खिलाई जाती है
गोवर्धन पूजा का त्यौहार हर्षोल्लास से मनाया गया। लोगों ने इस उत्सव पर घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की प्रमिता बना कर पूजा-अर्चना करके कृषक किसानों की पत्नियों ने अन्य धन अधिक उपज निकलने के लिए सुखशांति की प्रार्थनाएं की। स्थानीय लोगों ने बताया कि भगवान कृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से हुई भारी वर्षा से ब्रजवासियों को अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठा कर उनकी रक्षा की थी। वही इस गांव में प्राचीन मान्यताओं के अनुसार गोवर्धन पूजा एक आकर्षक का केंद्र बनी हुई है इसे देखने के लिए इस पर्यटक स्थल पर विदेशी सैलानी भी बड़ी खूबी से देख कर हैरतअंगेज मानते हैं राजस्थान के झालावाड़ जिले के प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल कामखेड़ा में दूरदराज सहित देश के कोने कोने से लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं पर्यटक स्थल होने के कारण इसी के साथ-साथ कुछ सैलानी गाय के गोबर से बने गोवर्धन पर्वत पर फोटो सेल्फी लेते हुए नजर आ जाएंगे वही गोबर से बने गोवर्धन पर्वत को भगवान का प्रतीक स्वरूप मानकर सभी लोग पूजा कर और इन्हें प्रणाम करते हैं विदेशी सैलानी भी सुख समृद्धि की कामना करने के लिए प्रार्थना करते हैं और वह हर वर्ष की भांति हर वर्ष इस पर्यटक स्थल पर गोवर्धन भगवान की पूजा करके मन्नत मांग कर खुशहाली की कामना करते हैं

*चार पीढ़ी ने मिलकर की एक साथ पूजा*गोबर से बने गोवर्धन पर्वत की महिलाओं-बच्चों ने आरती

व्यापार संघ अध्यक्ष माणकचन्द मीणा ने बताया कि हमारे परिवार में आज भी सदियों से चली आ रही परंपरा को निभाया जाता है सभी पूरे परिवार के एक साथ इकठ्ठा होकर गोवर्धन जी की पूजा करते हैं ।Conclusion:धार्मिक नगरी श्री कामखेड़ा बालाजी धाम पर गोबर से बने गोवर्धन महाराज की दही दूध पंचामृत सहित विभिन्न वस्तुओं से पूजा कर सुख समृद्धि उच्च पद एवं सभी मनोकामना पूर्ण करने हेतु गोबर से बने गोवर्धन पर्वत की पूजा कर आतिशबाजी की
Last Updated : Oct 28, 2019, 8:03 PM IST
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