अकलेरा (झालावाड़). जिले के कामखेड़ा में गोवर्धन का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया, जिसके तहत महिलाओं ने घर के मुख्य दरवाजे के सामने गोबर से गोवर्धन बनाकर उसकी पूजा की. इस दौरान एक ही परिवार की चार पीढ़ियों ने मिलकर गोवर्धन पर्व मनाया.
बता दें कि सदियों से चली आ रही इस परंपरा का यह परिवार आज भी उसी तरह निर्वाह कर रहा है. यहां सोमवार सुबह महिलाएं उठकर घर के मुख्य दरवाजे के सामने गो मूत्र और गंगाजल से उस जगह को पवित्र करती हैं. फिर वहां गाय के गोबर से गोवर्धन जी महाराज की आकृति बनाई जाती है. उसके बाद सभी महिलाएं गोबर से बने हुए गोवर्धन पर्वत की विधिवत पूजा करती हैं.
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पूजा में भगवान गोवर्धन को दूध, दही और घी के पंचामृत के साथ मिष्ठानों और विभिन्न प्रकार के पकवान से भोग लगाया जाता है. यह पर्व दीपावली के 1 दिन बाद मनाया जाता है. आज भी इस गांव के अंदर यह परंपरा है कि सांझ ढ़लते-ढ़लते गोवर्धन भगवान की पूजा की जाती है.
महिलाएं सुबह के समय ही घर के मुख्य दरवाजे पर गाय के गोबर को पवित्र जगह करके रख देती हैं और फिर गोवर्धन के लिए विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं. गोवर्धन पूजा के बाद सभी महिलाएं महाआरती कर भगवान के मंगल गीत-गाती हैं और गोवर्धन की 108 परिक्रमा लगाती हैं.
गोवर्धन से जुड़ी प्राचीन मान्यता है कि इस दिन सभी प्रकार के खाद्य पदार्थों का मिश्रण करके सभी में महाप्रसादी के रूप में वितरित किया जाता है. इसी के साथ-साथ दूध से बनी खीर भी वितरित की जाती है और दही व दूध से मिश्रित पंचामृत प्रसाद भी बांटा जाता है. गांव के अंदर सभी गली-चौक चौराहों में पूजा होने के उपरांत गायों को खिचड़ी, गुड़ के लड्डू मालपुआ, खीर और पुरी आदि खिलाई जाती है.