झालावाड़. जिले की नई पुलिस अधीक्षक डॉ. किरण कैंग सिद्धू ने झालावाड़ पहुंचकर अपना पदभार संभाल लिया है. जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश यादव ने उन्हें पुलिस अधीक्षक का पदभार सौंपा. बता दें कि डॉ. किरण कंग सिद्धू झालावाड़ की पहली महिला पुलिस अधीक्षक हैं. ऐसे में ईटीवी भारत ने उनसे खास बात की.
इस दौरान डॉ. किरण ने अपने आगामी कार्यकाल की प्राथमिकताएं बताईं. उन्होंने कहा कि सबसे पहले जिले में संगठित अपराधों की जानकारी करके उन पर नकेल कसना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल रहेगा. उन्होंने कहा कि वो खुद एक महिला हैं, ऐसे में महिला अपराधों और बाल अपराध के दर्ज होने वाले मामलों में त्वरित कार्रवाई करवाना भी उनकी प्राथमिकताओं में शामिल रहेगा. ताकि ऐसे मामलों में कमी आ सकें.
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एसपी ने बताया कि दुर्घटनाओं की वजह से होने वाली मृत्यु दर भी बेहद चिंताजनक है. ऐसे में जिले में सड़क दुर्घटनाएं कम हो और उनमें मृत्यु और भी ज्यादा कम हो. इस दिशा में कदम उठाए जाएंगे. साथ ही ट्रांसपेरेंट पुलिसिंग की व्यवस्था करना भी उनकी प्राथमिकताओं में शामिल रहेगा.
बता दें कि सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में सड़क दुर्घटना में मरने वालों की दर प्रति 100,000 पर 6 है. इसी तरह ‘सेव लाइफ फाउंडेशन’ के आंकड़ों के अनुसार भारत में सड़क दुर्घटना में पिछले 10 सालों में 13,81,314 लोगों की मौत और 50,30,707 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं. देश में हर 3.5 मिनट में एक व्यक्ति की मौत सड़क दुर्घटना में हो जाती है.
वहीं मध्य प्रदेश का सीमावर्ती जिला होने के कारण झालावाड़ में बड़ी तादाद में होने वाली तस्करी को लेकर एसपी ने कहा कि इसको लेकर मध्य प्रदेश के चारों जिलों के पुलिस अधीक्षकों से मीटिंग की जाएगी और उनसे स्मगलिंग रूट्स के बारे में जानकारी की जाएगी. तस्करी के मामलों में त्वरित कार्रवाई करते हुए मुख्य तस्करों को जल्द से जल्द पकड़ा जाएगा.
महिला अपराधों को लेकर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि वह खुद एक महिला है. ऐसे में यह देखने में आता है कि महिला अफसर के सामने पीड़ित महिलाएं ज्यादा खुलकर अपनी परेशानीयां बता पाती हैं. ऐसे में उनकी कोशिश रहेगी कि महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों की सुनवाई हो, उनके मामले दर्ज हो और समय पर आरोपीयों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई हो.
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पुलिस अधीक्षक कार्यालय में बढ़ते परिवाद देने के मामलों को लेकर उन्होंने कहा कि सभी थानाधिकारियों की मीटिंग करते हुए यह निर्देश दिए जाएंगे कि हर एक परिवादी को प्राथमिकता और संवेदनशीलता से सुना जाए और स्थानीय स्तर पर ही उनकी समस्या का समाधान किया जाए. फिर भी अगर कोई व्यक्ति पुलिस अधीक्षक कार्यालय में परिवाद दर्ज करवाता है तो भी उसकी सुनवाई होगी लेकिन हमारी प्राथमिकता यही रहेगी कि स्थानीय थाने स्तर पर ही पीड़ित को न्याय मिल सके.