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पाक शरणार्थियों को जबरन गांव से निकालने का Video Viral, मंत्री ने दखल देकर सुरक्षित स्थान पर रुकवाया - case of forcibly evacuating Pak refugees from village

जालोर के चितलवाना थाना क्षेत्र में रहने वाले कुछ पाकिस्तानी शरणार्थियों को जबरन गांव से निकालने का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ था. मामले की सूचना मंत्री सुखराम बिश्नोई को मिलने के बाद उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से वार्ता कर शरणार्थियों को लॉकडाउन तक चितलवाना में रुकवाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही सरकारी मदद भी पहुंचाने के निर्देश दिए हैं.

Rajasthan News,  case of forcibly evacuating Pak refugees from village
पाक शरणार्थियों को जबरन गांव से निकालने का Video Viral
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Published : May 13, 2021, 6:06 PM IST

जालोर. जिले के चितलवाना थाना क्षेत्र में पिछले 7 सालों रह रहे पाकिस्तानी शरणार्थियों का सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें कुछ कांग्रेस नेताओं पर आरोप लगाया जा रहा है और कहा जा रहा है कि पुलिस को हथियार बनाकर शरणार्थियों को परेशान किया जा रहा है. हालांकि, ईटीवी भारत इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है.

वायरल वीडियो

पढ़ें- पाली में राष्ट्रीय पक्षी की मौत का सिलसिला जारी, 20 से ज्यादा मोरों के मिले शव

सोशल मीडिया में वीडियो वायरल होने के बाद इस मामले की जानकारी वन मंत्री सुखराम बिश्नोई तक पहुंची. जिसके बाद उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से बातचीत कर एक बार अस्थाई तौर पर शरणार्थियों को रुकवाया है. मंत्री सुखराम बिश्नोई ने बताया कि सांचौर विधानसभा क्षेत्र के चितलवाना गांव में पाकिस्तान से आए हुए भील समुदाय के लोगों को वहां से अन्यत्र शिफ्ट करने की खबर मिली थी. जिसके बाद तत्काल प्रशासन और पुलिस अधिकारियों से बात की गई.

उन्होंने बताया कि दिल्ली से खुफिया विभाग ने अलर्ट भेजकर शरणार्थियों के बारे में जानकारी मांगी थी. उन्होंने बताया कि प्रशासन की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान से विस्थापित इन परिवारों के पास जोधपुर का वीजा है और इन्होंने अपना निवास स्थान भी जोधपुर ही बता रखा है.

पढ़ें- डैम में नहाने गई 2 सगी बहनों की डूबने से मौत, घर में पसरा मातम

विश्नोई ने बताया कि फोन कॉल्स और दूसरी सूचनाओं के आधार पर केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने स्थानीय पुलिस और प्रशासन को अलर्ट भेजा था. जिसके चलते चितलवाना की पुलिस ने इनको प्रतिबंधित क्षेत्र को खाली करने को कहा था, लेकिन कोविड-19 से उत्पन्न हालातों और मानवीयता के आधार पर पुलिस को निर्देश दिए हैं कि ये विस्थापित जिस जगह पर हैं उन्हें वहीं रखा जाए और यथासंभव सरकारी मदद दी जाए.

प्रतिबंधित क्षेत्र में आता है चितलवाना थाना

जानकारी के अनुसार जिले का सरवाना और चितलवाना थाना प्रतिबंधित क्षेत्र में आता है. इसके चलते इस क्षेत्र में आने वाले बाहरी नागरिकों को एसडीएम से अनुमति लेनी पड़ती है. यह शरणार्थी लंबे समय से बिना अनुमति के रह रहे थे, लेकिन संदिग्ध गतिविधियों के चलते खुफिया एजेंसियों ने पुलिस को अलर्ट भेजा था. जिसके बाद पुलिस ने शरणार्थियों को क्षेत्र खाली करने को कहा था.

जोधपुर के नाम से लिया हुआ है वीजा

जानकारी के अनुसार शरणार्थियों ने भारत सरकार से नागरिकता के लिए आवेदन किया हुआ है और इस आवेदन में निवास स्थान जोधपुर बताया है. लेकिन, रोजगार की तलाश में यह परिवार चितलवाना थाना क्षेत्र में पहुंच गया था. अब मंत्री के दखल के बाद इनको कोरोना में लगे लॉकडाउन तक चितलवाना में रुकवाया है. साथ ही हरसंभव सरकारी मदद देने के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं.

जालोर. जिले के चितलवाना थाना क्षेत्र में पिछले 7 सालों रह रहे पाकिस्तानी शरणार्थियों का सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें कुछ कांग्रेस नेताओं पर आरोप लगाया जा रहा है और कहा जा रहा है कि पुलिस को हथियार बनाकर शरणार्थियों को परेशान किया जा रहा है. हालांकि, ईटीवी भारत इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है.

वायरल वीडियो

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सोशल मीडिया में वीडियो वायरल होने के बाद इस मामले की जानकारी वन मंत्री सुखराम बिश्नोई तक पहुंची. जिसके बाद उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से बातचीत कर एक बार अस्थाई तौर पर शरणार्थियों को रुकवाया है. मंत्री सुखराम बिश्नोई ने बताया कि सांचौर विधानसभा क्षेत्र के चितलवाना गांव में पाकिस्तान से आए हुए भील समुदाय के लोगों को वहां से अन्यत्र शिफ्ट करने की खबर मिली थी. जिसके बाद तत्काल प्रशासन और पुलिस अधिकारियों से बात की गई.

उन्होंने बताया कि दिल्ली से खुफिया विभाग ने अलर्ट भेजकर शरणार्थियों के बारे में जानकारी मांगी थी. उन्होंने बताया कि प्रशासन की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान से विस्थापित इन परिवारों के पास जोधपुर का वीजा है और इन्होंने अपना निवास स्थान भी जोधपुर ही बता रखा है.

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विश्नोई ने बताया कि फोन कॉल्स और दूसरी सूचनाओं के आधार पर केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने स्थानीय पुलिस और प्रशासन को अलर्ट भेजा था. जिसके चलते चितलवाना की पुलिस ने इनको प्रतिबंधित क्षेत्र को खाली करने को कहा था, लेकिन कोविड-19 से उत्पन्न हालातों और मानवीयता के आधार पर पुलिस को निर्देश दिए हैं कि ये विस्थापित जिस जगह पर हैं उन्हें वहीं रखा जाए और यथासंभव सरकारी मदद दी जाए.

प्रतिबंधित क्षेत्र में आता है चितलवाना थाना

जानकारी के अनुसार जिले का सरवाना और चितलवाना थाना प्रतिबंधित क्षेत्र में आता है. इसके चलते इस क्षेत्र में आने वाले बाहरी नागरिकों को एसडीएम से अनुमति लेनी पड़ती है. यह शरणार्थी लंबे समय से बिना अनुमति के रह रहे थे, लेकिन संदिग्ध गतिविधियों के चलते खुफिया एजेंसियों ने पुलिस को अलर्ट भेजा था. जिसके बाद पुलिस ने शरणार्थियों को क्षेत्र खाली करने को कहा था.

जोधपुर के नाम से लिया हुआ है वीजा

जानकारी के अनुसार शरणार्थियों ने भारत सरकार से नागरिकता के लिए आवेदन किया हुआ है और इस आवेदन में निवास स्थान जोधपुर बताया है. लेकिन, रोजगार की तलाश में यह परिवार चितलवाना थाना क्षेत्र में पहुंच गया था. अब मंत्री के दखल के बाद इनको कोरोना में लगे लॉकडाउन तक चितलवाना में रुकवाया है. साथ ही हरसंभव सरकारी मदद देने के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं.

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