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स्पेशल स्टोरी: नर्मदा नहर में पानी नहीं आने से बर्बादी की कगार पर रबी की फसल, 8 दिन से प्रदर्शन कर रहे किसान अब भूख हड़ताल की राह पर

जालोर जिले के सांचोर और चितलवाना क्षेत्र के किसान पिछले 8 दिनों से हड़लात पर है और अब भूख-हड़ताल करने की बात कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि नर्मदा विभाग पानी नहर के अंतिम टेल तक नहीं पहुंचा रहा है, लेकिन विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण पानी को एस्केप चैनल से खुले में छोड़ा जा रहा है. यानि बर्बाद किया जा रहा है.

Narmada canal, नर्मदा नहर
नर्मदा नहर में पानी नहीं आने से बर्बादी की कगार पर रबि की फसल.
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Published : Dec 11, 2019, 8:22 PM IST

जालोर: जिले में एक तरफ किसान बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. जगह-जगह पानी को लेकर धरना प्रदर्शन करके नर्मदा नहर के अंतिम टेल तक पानी पहुंचाने की मांग कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ संवेदनहीनता का नमूना पेश करते हुए नर्मदा विभाग के अधिकारियों द्वारा पानी को फालतू में व्यर्थ बहाया जा रहा है. व्यर्थ बहाए पानी से किसानों को नुकसान भी हो रहा है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की कुम्भकर्णी नींद नहीं खुल रही है. सांचोर और चितलवाना उपखण्ड के गांवों से होकर निकलने वाली नर्मदा नहर के आसपास रहने वाले किसान परेशान है. किसान रवी की फसल के लिए सिंचाई के लिए पानी की मांग कर रहे हैं, लेकिन विभाग के अधिकारी नहर के अंतिम टेल तक पानी नहीं पहुंचा रहे हैं. नतीजा फसल बर्बादी के कगार पर हैं.

नर्मदा नहर में पानी नहीं आने से बर्बादी की कगार पर रबि की फसल.

खुली जमीन में छोड़ा जा रहा है नर्मदा का पानी:

जिले में पानी को लेकर मारा मारी मची हुई है. सांचोर उपखंड मुख्यालय पर किसानों ने 7 दिन तक भूख हड़ताल कर पानी देने की मांग कर चुके है, लेकिन नर्मदा विभाग पानी नहर की टेल तक नहीं पहुंचा पाया है. वहीं दूसरी तरफ एस्केप चेनल से पानी को खुली जमीन में छोड़ा जा रहा है. किसानों की सूचना पर ईटीवी भारत की टीम जायजा लेने पहुंची तो चौकाने वाली जानकारी सामने आई. एक जगह किसान पानी के लिए भूख हड़ताल कर रहे थे, जबकि दूसरी खरड़ के पास पानी खुली जमीन में छोड़ा जा रहा था. ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि किसान पानी के लिए धरना प्रदर्शन कर रहे है तो एस्केप चेनल से अनावश्यक पानी को खुले में क्यों छोड़ा जा रहा है.

किसान 8 दिन दे रहे हैं धरना:
नर्मदा नहर के पानी के लिए मेघावा गांव में पिछले 8 दिन से किसान पानी देने की मांग को लेकर नहर पर धरना दे रहे है. 8 दिनों से चल रहे धरने की जानकारी प्रशासनिक अधिकारियों और नर्मदा विभाग के अधिकारियों को जानकारी है, लेकिन अभी तक अधिकारियों ने सुध तक नहीं ली है.

ये भी पढ़ें: स्पेशल रिपोर्ट: स्मार्ट सिटी में रहने वालों ये तस्वीर भी देखो...चिमनी की रोशनी के तले पढ़ रहा देश का भविष्य

पाइप काटने गए अधिकारियों का किसानों ने किया घेराव:
नर्मदा नहर में सिस्टम से पानी नहीं मिलने के कारण किसान नहर में सीधा पाइप डालकर अपनी रबी की फसल की सिंचाई कर रहे हैं. नर्मदा विभाग के अधिकारी आरवा माइनर पर लगाए गए पाइप को हटाने के लिए पहुंचे और नहर में लगे पाइपों को काटने लगे. किसानों के पाइप काटने की जानकारी मिलने के बाद अधिकारियों का किसानों ने घेराव कर पाइप काटने का विरोध जताया. किसानों का आरोप है की पानी देने के लिए जो सिस्टम विभाग ने बनाया है वो पूरी तरह तैयार नहीं है. ऐसे में सीधा नहर से पानी लेकर सिंचाई कर रहे है, लेकिन अधिकारी पानी लेने नहीं दे रहे है. हालात यह हैं कि किसानों के खेतों में खड़ी रबी की फसल बिना पानी के बर्बाद हो रही है.

जालोर: जिले में एक तरफ किसान बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. जगह-जगह पानी को लेकर धरना प्रदर्शन करके नर्मदा नहर के अंतिम टेल तक पानी पहुंचाने की मांग कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ संवेदनहीनता का नमूना पेश करते हुए नर्मदा विभाग के अधिकारियों द्वारा पानी को फालतू में व्यर्थ बहाया जा रहा है. व्यर्थ बहाए पानी से किसानों को नुकसान भी हो रहा है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की कुम्भकर्णी नींद नहीं खुल रही है. सांचोर और चितलवाना उपखण्ड के गांवों से होकर निकलने वाली नर्मदा नहर के आसपास रहने वाले किसान परेशान है. किसान रवी की फसल के लिए सिंचाई के लिए पानी की मांग कर रहे हैं, लेकिन विभाग के अधिकारी नहर के अंतिम टेल तक पानी नहीं पहुंचा रहे हैं. नतीजा फसल बर्बादी के कगार पर हैं.

नर्मदा नहर में पानी नहीं आने से बर्बादी की कगार पर रबि की फसल.

खुली जमीन में छोड़ा जा रहा है नर्मदा का पानी:

जिले में पानी को लेकर मारा मारी मची हुई है. सांचोर उपखंड मुख्यालय पर किसानों ने 7 दिन तक भूख हड़ताल कर पानी देने की मांग कर चुके है, लेकिन नर्मदा विभाग पानी नहर की टेल तक नहीं पहुंचा पाया है. वहीं दूसरी तरफ एस्केप चेनल से पानी को खुली जमीन में छोड़ा जा रहा है. किसानों की सूचना पर ईटीवी भारत की टीम जायजा लेने पहुंची तो चौकाने वाली जानकारी सामने आई. एक जगह किसान पानी के लिए भूख हड़ताल कर रहे थे, जबकि दूसरी खरड़ के पास पानी खुली जमीन में छोड़ा जा रहा था. ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि किसान पानी के लिए धरना प्रदर्शन कर रहे है तो एस्केप चेनल से अनावश्यक पानी को खुले में क्यों छोड़ा जा रहा है.

किसान 8 दिन दे रहे हैं धरना:
नर्मदा नहर के पानी के लिए मेघावा गांव में पिछले 8 दिन से किसान पानी देने की मांग को लेकर नहर पर धरना दे रहे है. 8 दिनों से चल रहे धरने की जानकारी प्रशासनिक अधिकारियों और नर्मदा विभाग के अधिकारियों को जानकारी है, लेकिन अभी तक अधिकारियों ने सुध तक नहीं ली है.

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पाइप काटने गए अधिकारियों का किसानों ने किया घेराव:
नर्मदा नहर में सिस्टम से पानी नहीं मिलने के कारण किसान नहर में सीधा पाइप डालकर अपनी रबी की फसल की सिंचाई कर रहे हैं. नर्मदा विभाग के अधिकारी आरवा माइनर पर लगाए गए पाइप को हटाने के लिए पहुंचे और नहर में लगे पाइपों को काटने लगे. किसानों के पाइप काटने की जानकारी मिलने के बाद अधिकारियों का किसानों ने घेराव कर पाइप काटने का विरोध जताया. किसानों का आरोप है की पानी देने के लिए जो सिस्टम विभाग ने बनाया है वो पूरी तरह तैयार नहीं है. ऐसे में सीधा नहर से पानी लेकर सिंचाई कर रहे है, लेकिन अधिकारी पानी लेने नहीं दे रहे है. हालात यह हैं कि किसानों के खेतों में खड़ी रबी की फसल बिना पानी के बर्बाद हो रही है.

Intro:जिले के सांचोर व चितलवाना क्षेत्र की जीवनदाहिनी कही जाने वाली नर्मदा नहर से रबी की सिंचाई के लिए किसान पानी की मांग को लेकर जगह जगह धरना प्रदर्शन कर रहे है और पानी देने की मांग कर रहे है, लेकिन नर्मदा विभाग पानी नहर के अंतिम टेल तक नहीं पहुंचा पा रहा है, लेकिन विभाग अधिकारियों की लापरवाही के कारण पानी को एस्केप चेनल से अनावश्यक तौर पर खुले में छोड़ा जा रहा है।

Body:एक तरफ बून्द बून्द पानी के लिए जदोजद कर रहे किसान तो दूसरी जगह नर्मदा विभाग के अधिकारी व्यर्थ बहा रहे है नर्मदा का नीर
जालोर
जिले में एक तरफ अन्नदाता बून्द बून्द पानी के लिए कड़ा संघर्ष कर रहे है। जगह जगह पानी को लेकर धरना प्रदर्शन करके नर्मदा नहर के अंतिम टेल तक पानी पहुंचाने की मांग कर रहे है, वहीं दूसरी तरफ संवेदनहीनता का नमूना पेश करते हुए नर्मदा विभाग के अधिकारियों द्वारा पानी को फालतू में व्यर्थ बहाया जा रहा है। व्यर्थ बहाए पानी से किसानों को नुकसान भी हो रहा है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की कुम्भकर्णी नींद नहीं खुल रही है। आज हम बात कर रहे है सांचोर व चितलवाना उपखण्ड के गांवों में से निकल रही नर्मदा नहर की। जहां पर किसान रबी की फसल की सिंचाई के लिए किसान पानी की मांग कर रहे है, लेकिन विभाग के अधिकारी नहर के अंतिम टेल तक पानी पहुंचा नहीं पा रहे है। जिसके कारण किसान परेशान हो रहे है।
खुली जमीन में छोड़ा जा रहा है नर्मदा का पानी
जिले में पानी को लेकर मारा मारी मची हुई है। सांचोर उपखंड मुख्यालय पर किसानों ने 7 दिन तक भूख हड़ताल करके पानी देने की मांग कर चुके है, लेकिन नर्मदा विभाग पानी नहर की टेल तक नहीं पहुंचा पाया है। वहीं दूसरी तरफ एस्केप चेनल से पानी को खुली जमीन में छोड़ा जा रहा है। किसानों की सूचना पर ईटीवी भारत की टीम जायजा लेने पहुंची तो चौकाने वाली जानकारी सामने आई। एक जगह किसान पानी के लिए भूख हड़ताल कर रहे थे, जबकि दूसरी तरफ़ सेसावा के पास खरड़ में पानी को छोड़ा जा रहा था। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि किसान पानी के लिए धरना प्रदर्शन कर रहे है तो एस्केप चेनल से अनावश्यक पानी को खुले में क्यों छोड़ा जा रहा है।
8 दिन से धरना, लेकिन अभी तक प्रशासन ने नहीं ली सुध
नर्मदा नहर के पानी के लिए मेघावा गांव में पिछले 8 दिन से किसान पानी देने की मांग को लेकर नहर पर धरना दे रहे है। 8 दिनों से चल रहे धरने की जानकारी प्रशासनिक अधिकारियों व नर्मदा विभाग के अधिकारियों को जानकारी है, लेकिन अभी तक अधिकारियों ने सुध तक नहीं ली है।
नहर पर लगाये गए पाइप काटने गए अधिकारियों का किसानों ने किया घेराव
नर्मदा नहर में सिस्टम से पानी नहीं मिलने के कारण किसान नहर में सीधा पाइप डालकर अपनी रबी की फसल की सिंचाई कर रहे हैं। जिसके कारण आज नर्मदा विभाग के अधिकारी आरवा माइनर पर लगाए गए पाइप को हटाने के लिए पहुंचे औऱ नहर में लगे पाइपों को काटने लगे। किसानों के पाइप काटने की जानकारी मिलने के बाद अधिकारियों का किसानों ने घेराव कर पाइप काटने का विरोध जताया। किसानों का आरोप है की पानी देने के लिए जो सिस्टम विभाग ने बनाया है वो पूरी तरह तैयार नहीं है। ऐसे में सीधा नहर से पानी लेकर सिंचाई कर रहे है, लेकिन अधिकारी पानी लेने नहीं दे रहे है। जिसके कारण किसानों के खेतों में खड़ी रबी की फसल बिना पानी के बर्बाद हो रही है।

बाईट
1, जगदीश सियाग, किसान
2, मुकनाराम, किसान
3, ईशराराम बिश्नोई, अध्यक्ष नर्मदा नहर डिग्गी यूनियन सांचोर
4, मोहन लाल बिश्नोई, किसान
5, जेपी माथुर, एक्सईएन नर्मदा विभाग


Conclusion:
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