रानीवाड़ा (जालोर). रक्षाबंधन रानीवाड़ा कस्बे सहित ग्रामीण क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया गया. बहनों ने भाइयों के हाथों में राखियां बांधकर उनकी लंबी उम्र की कामना की. भाइयों ने बहनों को उपहार देने के साथ उनकी रक्षा करने का वचन दिया.
सोमवार को रक्षाबंधन का पर्व धूमधाम से मनाया गया. शास्त्रों के अनुसार सुबह साढ़े नौ बजे के बाद रक्षाबंधन करने का मुहूर्त था. रक्षाबंधन को लेकर छोटे-छोटे बच्चों में काफी उत्साह देखा गया. हालांकि कोरोना संक्रमण के चलते बाजार में रौनक कम रही. इसके बावजूद लोगों में काफी उत्साह देखा गया. पुरोहितों ने घर-घर जाकर यजमानों को रक्षा सूत्र बांधा. घरों में विशेष पकवान बनाकर मंदिरों में पूजा-अर्चना की गई.
वहीं, पंडितों ने यजमानों को रक्षासूत्र भी बांधा. रक्षाबंधन पर्व पर बहनों ने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी आरती उतारी. इसके बाद भाइयों की कलाई में राखी बांधकर उनके दीर्घ जीवन और उज्ज्वल भविष्य की कामना की. भाइयों ने बहनों को आजीवन रक्षा करने का वचन दिया. साथ ही बहनों को उपहार भी दिए. घर-घर में विशेष पकवान बनाए गए. मंदिरों में पूजा अर्चना कर राखी बांधी गई.
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पंडितों ने यजमानों को रक्षासूत्र बांधा...
रक्षाबंधन पर्व पर खासकर छोटे बच्चों में भारी उत्साह दिखाई दिया. मिठाई की दुकानों में भी लोग मिठाई खरीदते हुए दिखाई दिए. इधर रक्षाबंधन पर्व पर घरों और सार्वजनिक स्थानों में बहना ने भाई की कलाई से प्यार बांधा है, प्यार के दो तार से संसार बांधा है...फूलों का तारों का सबका कहना है एक हजारों में मेरी बहना है... आदि गीत बजते सुनाई दिए. भाई और बहन के लिए ये सबसे बड़ा त्योहार है. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं. ये त्योहार भाई-बहन के अटूट रिश्ते, प्यार, त्याग और समर्पण को दर्शाता है. राखी बांधकर बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख की कामना करती हैं. वहीं, भाई उन्हें वादा देते हैं कि वो उनकी जिंदगीभर रक्षा करेंगे, इस वजह से इस पर्व को रक्षाबंधन नाम दिया गया है.