रानीवाड़ा (जालोर). जिले के रानीवाड़ा में बहुजन समाज की ओर से सोमवार को पदोन्नति में आरक्षण को लेकर राष्ट्रपति के नाम उपखंड अधिकारी प्रकाशचंद्र अग्रवाल को ज्ञापन सौंपा गया. इस ज्ञापन में बहुजन विरोधी संविधान के प्रावधान के विपरीत होने से यथाशीघ्र और भारत सरकार को उक्त निर्णय के विरोध के लिए उच्च न्यायालय में रिव्यू पिटिशन पेश करने की मांग की गई है.
इस ज्ञापन के माध्यम से बताया गया कि भारतीय संविधान की ओर से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति को सरकारी नौकरी में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए अनुसूची 15 और 16 के अंतर्गत प्रतिनिधित्व का प्रावधान किया गया है, जो संविधान के भाग 3 के अंतर्गत अनुसूची 12 से लेकर 35 के अंतर्गत आता है. यही मूल अधिकार कहलाता हैं.
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साथ ही ज्ञापन में बताया कि हाल ही भारत की सर्वोच्च न्यायालय की ओर से निर्णय दिया गया कि एससी-एसटी को नौकरी और प्रमोशन में आरक्षण देना या नहीं देना, राज्य सरकार पर निर्भर करता हैं. नौकरी और प्रमोशन में आरक्षण मूल अधिकार नहीं है. सर्वोच्च न्यायालय का उक्त निर्णय संविधान के प्रावधान के उल्लंघन में पारित निर्णय हैं.
संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय का कार्य विधायिका का ओर से निर्मित विधियों की व्यवस्था करना है, ना कि विधि का निर्माण करना है. साथ ही संविधान के प्रावधान के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय की ओर से पारित निर्णय अधीनस्थ न्यायालय पर बाध्य कारी होते हैं. इस प्रकार सर्वोच्च न्यायालय का उक्त निर्णय विधि का बल रखता है, जब तक संसद कानून बनाकर इसे समाप्त नहीं किया जाए.
इस दौरान अमृत लाल कटारिया, रमेश कटारिया, पूर्व सरपंच प्रकाश वाणिका, अर्जुन राम, मुकेश कटारिया, महेंद्र परिहार, कांतिलाल परिहार, हितेश कुमार, हरीश कुमार, अमृत आजोदर, अरविंद कुमार आजोदर सहित कई लोग उपस्थित रहे.