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जैसलमेर के किसानों ने रक्षा मंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन, वजह चौंकाने वाली है - farmers submitted memorandum

जैसलमेर के सीमावर्ती गांवों में बकरियों के सीमा पार करके पाकिस्तान चले जाने का मामला सामने आया है. रेगिस्तानी इलाका होने के कारण रेत एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट होती रहती है. जिससे तारबंदी रेत के नीचे दब जाती है और बकरियां बॉर्डर के उस पार चली जाती हैं. किसानों ने सरकार से उचित मुआवजे की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा है.

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सीमावर्ती इलाकों में बकरियां बॉर्डर पार करके चली जाती हैं पाकिस्तान
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Published : Aug 17, 2020, 7:08 PM IST

जैसलमेर. सीमावर्ती इलाकों में भूलवश बॉर्डर के उस पार चले जाने के कई मामले सामने आते हैं, लेकिर जैसलमेर जिले में सरहदी गांवों से बकरियों के पाकिस्तान चले जाने का मामला सामने आया है. जिले से पाकिस्तान की सैंकड़ों किलोमीटर लंबी सरहद लगती है. सीमावर्ती इलाका पूरी तरह से रेगिस्तान है, जहां रेत के टीले हैं जो रोज शिफ्ट होते रहते हैं. जिसके चलते अंतरराष्ट्रीय सीमा की तारबंदी भी रेत के टीलों के नीचे दब जाती है और सीमावर्ती गांवों की बकरियां सरहद के उस पार चली जाती हैं. जिस कारण किसानों को हजारों, लाखों का नुकसान उठाना पड़ता है.

करीब 200 बकरियां चली गईं पाकिस्तान

जिले के सीमावर्ती गांव करड़ा, पोछीणा, मिठडाऊ, केरला सुंदरा, गुंजनगढ़, पांचला गांव की करीब 200 बकरियां पिछले कुछ दिनों में सरहद के उस पार चली गई हैं. जिसके चलते किसानों की आय का एकमात्र जरिया भी खतरे में आ गया है. पोछिला गांव के लाल सिंह की 80, चतुर सिंह की 40, हुकुम सिंह की 20, भोम सिंह की 10 और सुजान सिंह की 40 बकरियां पाकिस्तान चली गई हैं.

पढ़ें: बाड़मेर: पानी की डिग्गी में डूबने से एक ही परिवार के तीन बच्चों की मौत

सीमावर्ती गांवों में आजीविका का एकमात्र साधन पशुपालन ही है. ऐसे में बकरियों के सरहद पार जाने से अब किसानों को परिवार का भरण-पोषण करनेव के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीण पशुपालकों ने सोमवार को कलेक्ट्रेट कार्यालय में जिला कलेक्टर को रक्षा मंत्री और राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री सालेह मोहम्मद के नाम ज्ञापन सौंपा. किसानों ने सरकार से उचित मुआवजा दिलवाने की मांग की है.

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किसानों ने रक्षामंत्री के नाम सौंपा है ज्ञापन

15 से 20 फीट ऊंचे बन जाते हैं टीले...

जैसलमेर के शाहगढ़ बॉर्डर को शिफ्टिंग बॉर्डर के नाम से जाना जाता है, लेकिन अब दूसरे गांवों में भी तेज आंधियों की वजह से रेत के टीले अपनी जगह बदल रहे हैं. शाहगढ़ के साथ ही करड़ा, पोछीणा, गुंजनगढ़, सुंदरा, मिठडाऊ व पांचला में भी तेज आंधियों की वजह से इन टीलों की ऊंचाई 15 से 20 फीट तक पहुंच जाती है. शिफ्टिंग सैंड ड्यून्स के कारण इन गांवों के आसपास की तारबंदी में घुसपैठ की आशंका भी बढ़ गई है. रेत के टीलों से तारबंदी ढक जाने से बकरियां भी सरहद पार कर सकती है तो पाकिस्तान से घुसपैठ होने की आशंका बढ़ जाती है. हालांकि, शाहगढ़ क्षेत्र में शिफ्टिंग सैंड ड्यून्स के कारण बीएसएफ विशेष अलर्ट पर रहती है, लेकिन अब इन गांवों में भी विशेष सजगता की जरूरत है.

जैसलमेर. सीमावर्ती इलाकों में भूलवश बॉर्डर के उस पार चले जाने के कई मामले सामने आते हैं, लेकिर जैसलमेर जिले में सरहदी गांवों से बकरियों के पाकिस्तान चले जाने का मामला सामने आया है. जिले से पाकिस्तान की सैंकड़ों किलोमीटर लंबी सरहद लगती है. सीमावर्ती इलाका पूरी तरह से रेगिस्तान है, जहां रेत के टीले हैं जो रोज शिफ्ट होते रहते हैं. जिसके चलते अंतरराष्ट्रीय सीमा की तारबंदी भी रेत के टीलों के नीचे दब जाती है और सीमावर्ती गांवों की बकरियां सरहद के उस पार चली जाती हैं. जिस कारण किसानों को हजारों, लाखों का नुकसान उठाना पड़ता है.

करीब 200 बकरियां चली गईं पाकिस्तान

जिले के सीमावर्ती गांव करड़ा, पोछीणा, मिठडाऊ, केरला सुंदरा, गुंजनगढ़, पांचला गांव की करीब 200 बकरियां पिछले कुछ दिनों में सरहद के उस पार चली गई हैं. जिसके चलते किसानों की आय का एकमात्र जरिया भी खतरे में आ गया है. पोछिला गांव के लाल सिंह की 80, चतुर सिंह की 40, हुकुम सिंह की 20, भोम सिंह की 10 और सुजान सिंह की 40 बकरियां पाकिस्तान चली गई हैं.

पढ़ें: बाड़मेर: पानी की डिग्गी में डूबने से एक ही परिवार के तीन बच्चों की मौत

सीमावर्ती गांवों में आजीविका का एकमात्र साधन पशुपालन ही है. ऐसे में बकरियों के सरहद पार जाने से अब किसानों को परिवार का भरण-पोषण करनेव के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीण पशुपालकों ने सोमवार को कलेक्ट्रेट कार्यालय में जिला कलेक्टर को रक्षा मंत्री और राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री सालेह मोहम्मद के नाम ज्ञापन सौंपा. किसानों ने सरकार से उचित मुआवजा दिलवाने की मांग की है.

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किसानों ने रक्षामंत्री के नाम सौंपा है ज्ञापन

15 से 20 फीट ऊंचे बन जाते हैं टीले...

जैसलमेर के शाहगढ़ बॉर्डर को शिफ्टिंग बॉर्डर के नाम से जाना जाता है, लेकिन अब दूसरे गांवों में भी तेज आंधियों की वजह से रेत के टीले अपनी जगह बदल रहे हैं. शाहगढ़ के साथ ही करड़ा, पोछीणा, गुंजनगढ़, सुंदरा, मिठडाऊ व पांचला में भी तेज आंधियों की वजह से इन टीलों की ऊंचाई 15 से 20 फीट तक पहुंच जाती है. शिफ्टिंग सैंड ड्यून्स के कारण इन गांवों के आसपास की तारबंदी में घुसपैठ की आशंका भी बढ़ गई है. रेत के टीलों से तारबंदी ढक जाने से बकरियां भी सरहद पार कर सकती है तो पाकिस्तान से घुसपैठ होने की आशंका बढ़ जाती है. हालांकि, शाहगढ़ क्षेत्र में शिफ्टिंग सैंड ड्यून्स के कारण बीएसएफ विशेष अलर्ट पर रहती है, लेकिन अब इन गांवों में भी विशेष सजगता की जरूरत है.

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