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जैसलमेर: सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के कर्मचारी वेतन विसंगतियों को लेकर हड़ताल पर, बैंक के मेन गेट पर जड़ा ताला

जैसलमेर में सोमवार को सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक कर्मचारियों ने हंगामा कर दिया. ये कर्मचारी ऑल इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक एम्प्लाइज यूनियन संघ के आह्वान पर सोमवार से तीन दिन की हड़ताल पर बैठ गए हैं. कर्मचारियों ने बैंक के मेन गेट पर ताला भी जड़ दिया.

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सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के कर्मचारी हड़ताल पर
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Published : Dec 28, 2020, 6:39 PM IST

जैसलमेर. जिले में स्थित सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के कर्मचारी वेतन विसंगतियों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. ये कर्मचारी ऑल इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक एम्प्लाइज यूनियन संघ के बैनर तले सोमवार से तीन दिवसीय हड़ताल पर बैठ गए हैं. कर्मचारियों ने बैंक के मेन गेट को बंद कर दिया और ताला भी जड़ दिया.

सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के कर्मचारी हड़ताल पर

हड़ताली कर्मचारियों का कहना है कि रजिस्ट्रार कार्यालय की ओर से बैंक के स्थाई कर्मचारियों का वेतन समझौता अगस्त 2019 में समस्त केंद्रीय सहकारी बैंकों को जारी किए गए थे. बावजूद इसके एक साल से ज्यादा समय होने के बाद भी 15वें वेतन समझौते की पत्रावली बिना किसी वजह से बैंक प्रबंधन एवं जिला प्रशासन स्तर पर लंबित है.

इसी वजह से बैंक कर्मचारी सोमवार से तीन दिवसीय हड़ताल पर हैं और अपना विरोध दर्ज करवा रहे हैं. को-ऑपरेटिव बैंक कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष प्रहलाद राम ने बताया कि इससे पहले कई बार बैंक प्रबंधन एवं जिला प्रशासन को इस संबंध में बताया गया था. लेकिन अब तक कर्मचारियों को 15वें वेतन समझौते का लाभ नहीं मिल रहा है. जिसके बाद आखिरकार उन्हें मजबूरन तीन दिवसीय हड़ताल करनी पड़ रही है.

पढ़ें: स्थापना दिवस: डोटासरा बोले, 'आजादी की जंग कांग्रेस नेताओं ने लड़ी...भाजपा का क्या योगदान रहा ?'

कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष का कहना है कि राज्य में अन्य स्थानों पर सहकारी बैंकों में लगभग हर जगह इसे लागू कर दिया गया है. लेकिन जैसलमेर में लापरवाही के चलते यह अटका पड़ा है. जिससे कर्मचारियों को मानसिक और वित्तीय नुकसान झेलना पड़ रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि यदि समय रहते उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे. जिसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी. गौरतलब है कि को-ऑपरेटिव बैंक में जिले के हजारों किसानों के खाते हैं.

जिसमें सरकारी योजनाओं सहित अन्य लेन-देन के लिए जिले के किसान यहां आते हैं. ऐसे में 3 दिन तक बैंक में हड़ताल के चलते किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा. साथ ही किसानों की परेशानी को लेकर हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों का कहना है कि इसकी वजह बैंक प्रबंधन एवं जिला प्रशासन ही है. यदि वह समय रहते कर्मचारियों की मांगें मान लेते हैं तो बैंक के उपभोक्ताओं को होने वाली परेशानियों को जल्द समाप्त किया जा सकता है.

जैसलमेर. जिले में स्थित सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के कर्मचारी वेतन विसंगतियों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. ये कर्मचारी ऑल इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक एम्प्लाइज यूनियन संघ के बैनर तले सोमवार से तीन दिवसीय हड़ताल पर बैठ गए हैं. कर्मचारियों ने बैंक के मेन गेट को बंद कर दिया और ताला भी जड़ दिया.

सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के कर्मचारी हड़ताल पर

हड़ताली कर्मचारियों का कहना है कि रजिस्ट्रार कार्यालय की ओर से बैंक के स्थाई कर्मचारियों का वेतन समझौता अगस्त 2019 में समस्त केंद्रीय सहकारी बैंकों को जारी किए गए थे. बावजूद इसके एक साल से ज्यादा समय होने के बाद भी 15वें वेतन समझौते की पत्रावली बिना किसी वजह से बैंक प्रबंधन एवं जिला प्रशासन स्तर पर लंबित है.

इसी वजह से बैंक कर्मचारी सोमवार से तीन दिवसीय हड़ताल पर हैं और अपना विरोध दर्ज करवा रहे हैं. को-ऑपरेटिव बैंक कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष प्रहलाद राम ने बताया कि इससे पहले कई बार बैंक प्रबंधन एवं जिला प्रशासन को इस संबंध में बताया गया था. लेकिन अब तक कर्मचारियों को 15वें वेतन समझौते का लाभ नहीं मिल रहा है. जिसके बाद आखिरकार उन्हें मजबूरन तीन दिवसीय हड़ताल करनी पड़ रही है.

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कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष का कहना है कि राज्य में अन्य स्थानों पर सहकारी बैंकों में लगभग हर जगह इसे लागू कर दिया गया है. लेकिन जैसलमेर में लापरवाही के चलते यह अटका पड़ा है. जिससे कर्मचारियों को मानसिक और वित्तीय नुकसान झेलना पड़ रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि यदि समय रहते उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे. जिसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी. गौरतलब है कि को-ऑपरेटिव बैंक में जिले के हजारों किसानों के खाते हैं.

जिसमें सरकारी योजनाओं सहित अन्य लेन-देन के लिए जिले के किसान यहां आते हैं. ऐसे में 3 दिन तक बैंक में हड़ताल के चलते किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा. साथ ही किसानों की परेशानी को लेकर हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों का कहना है कि इसकी वजह बैंक प्रबंधन एवं जिला प्रशासन ही है. यदि वह समय रहते कर्मचारियों की मांगें मान लेते हैं तो बैंक के उपभोक्ताओं को होने वाली परेशानियों को जल्द समाप्त किया जा सकता है.

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