जयपुर. अंतर्राष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस प्रत्येक वर्ष 16 सितंबर को मनाया जाता है. यह दिन खासतौर पर सभी देशों को हमारी ओजोन लेयर को बचाने के लिए ध्यान खींचने के लिए मनाया जाता है. इस दिन लोगों को पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूक किया जाता है. ओजोन, ग्रह के लिए एक प्रकार की ढाल की तरह काम करती है, जो इकोलॉजी को बचाने का काम करती है. हर साल एक नई थीम के साथ अंतर्राष्ट्रीय ओजोन दिवस (World Ozone Day 2022) मनाया जाता है. इस साल की थीम 'मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल' @35 : यानी पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करना (Montreal Protocol@35: global cooperation protecting life on earth) रखी गई है.
अंतरराष्ट्रीय ओजोन दिवस का इतिहास (World Ozone Day History)- रसायन शास्त्र के प्रोफेसर पीएस वर्मा कहते हैं कि वैज्ञानिकों ने साल 1970 के अंत में ओजोन परत में छेद होने का दावा किया था. इसके बाद 80 के दशक में दुनियाभर की कई सरकारों ने इस समस्या को लेकर चिंतन करना शुरू कर दिया. साल 1985 में ओजोन लेयर की रक्षा के लिए वियना संधि को अपनाया. इसके बाद 19 दिसंबर 1994 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 16 सितंबर की तारीख को अंतरराष्ट्रीय ओजोन डे मनाने का फैसला किया.
साल 1995 में पहला वर्ल्ड ओजोन डे मनाया गया. प्रोफेसर पीसी वर्मा कहते हैं कि इस दिन का मुख्य उद्देश्य ओजोन परत का संरक्षण करना था. इस परत के संरक्षण के लिए वैज्ञानिक हर दिन कार्य कर रहे हैं, लेकिन आम व्यक्ति को भी अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए कम से कम सीएफसी पदार्थों (क्लोरोफ्लोरोकार्बन) का उपयोग करें. ओजोन ग्रह के लिए एक प्रकार की ढाल के रूप में कार्य करता है और इसकी पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिए आवश्यक है.
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ओजोन परत का महत्व- वर्मा कहते हैं कि ओजोन परत एक समताप मंडल की परत है जो सूर्य से आने वाली पराबैंगनी विकिरण के हानिकारक दुष्प्रभावों से पृथ्वी की रक्षा करती है. वायुमंडल में ओजोन की उपस्थिति के कारण हानिकारक पराबैंगनी किरणों को प्रभावी ढंग से परिरक्षित किया जाता है. यदि ओजोन परत पूरी तरह से समाप्त हो जाती है तो यह जीवित प्राणियों और हमारे ग्रह को गंभीर नुकसान पहुंचाएगी.
अगर हम यूवी किरणों के सीधे संपर्क में आते हैं, तो यह त्वचा कैंसर जैसी हानिकारक बीमारियों का कारण बन सकती है. विभिन्न मानवीय गतिविधियों के परिणामस्वरूप, वातावरण में छोड़े गए क्लोरीन और ब्रोमीन परमाणु जैसे रसायन ओजोन परत के क्षरण के लिए बहुत अधिक जिम्मेदार हैं. लगातार प्रयासों के कारण ओजोन परत में छेद आखिरकार बंद हो गया.
ओजोन परत क्या है- ओजोन परत ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनने वाली गैस है और ये पृथ्वी के वायुमंडल की एक परत है, जो सूर्य से आने वाली अल्ट्रावायलेट किरणों से हमें (मानव जाति) बचाने का काम करती है. बता दें कि फ्रांस के भौतिकविदों फैबरी चार्ल्स और हेनरी बुसोन ने 1913 में इस परत की खोज की थी.
वर्मा कहते हैं कि 1987 में मोन्ट्रियल में आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया कि वायुमंडल में लगभग 25 से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ओजोन गैस की परत में निरंतर कमी हो रही है. आम भाषा में इसे ओजोन परत में छिद्र होना कहा जाता है. ओजोन परत का घनत्व समुद्र के ऊपर अधिक और ध्रुवों पर कम पाया जाता है. ओजोन गैस एक विषैली गैस है जो तीन ऑक्सीजन परमाणुओं से मिल कर बनती है.
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यह गैस सूर्य से आने वाले हानिकारक विकिरण अल्ट्रा वायलेट (पराबैंगनी) किरणों को रोकने में मददगार है. ये पराबैंगनी किरणें पृथ्वी का तापमान बढ़ाने के साथ साथ त्वचा कैंसर जैसी बीमारी भी उत्पन्न करती हैं. इसके अलावा इन किरणों के कारण वनस्पतियों में वृद्धि एवं गुणवत्ता की कमी पाई गई है. प्राणी जगत में प्रजनन क्षमता में कमी और कैंसर जैसी अनेक बीमारियों का प्रार्दुभाव होता है.
ओजोन परत में छिद्र के लिए प्राय मानव निर्मित रसायन हैं, जिनमें हैलो कार्बन प्रमुख हैं. हैलोकार्बन, कार्बन परमाणु के हैलोजेन परमाणुओं से संयुक्त होने पर प्राप्त होते हैं. इनमें क्लोरो फ्लोरो कार्बन (सीएफसी) जैसे पदार्थ प्रमुख हैं. इन पदार्थों का प्रयोग शीतलीकरण (रेफ्रिजरेशन) आदि में बहुतायत से होता है. इसके अलावा एरोसोल यानी वाष्पीकृत सुगंधित पदार्थों में भी इनका बहुत प्रयोग किया जाता है. ये पदार्थ वायुमंडल में उपस्थित ओजोन परत को क्षतिग्रस्त कर रहे हैं.
इनके प्रयोग को रोकने की आवश्यकता पर मोन्ट्रियल सम्मेलन में विचार किया गया और ओजोन परत संरक्षण की महत्ता को बल मिला. इसी के अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1994 में निर्णय लिया कि 16 सितंबर को प्रतिवर्ष ओजोन परत संरक्षण दिवस मनाया जाए. निरंतर प्रयासों से और हानिकारक रसायनों के सीमित प्रयोग एवं उनके स्थान पर दूसरे कम हानिकारक रसायनों के प्रयोग से ओजोन परत संरक्षण में सुधार हो रहा है और आशा है कि 2030 वर्ष में हम टारगेट पूरा कर पाएंगे.