जयपुर. कहते हैं कि हंसने से तनाव दूर होता है और शरीर को आराम मिलता है. भागती दौड़ती हमारी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आते हैं, जिसकी वजह से कई बार हम बहुत खुश होते हैं तो कई बार उदास भी होते हैं, लेकिन हालात भले ही कैसे भी हों, व्यक्ति को हमेशा खुश और हंसता हुआ रहना चाहिए. हंसी से स्वास्थ्य लाभ भी है. आज के समय की प्रासंगिकता को देखते हुए हंसने और हंसाने की बहुत जरूरत है. मौजूदा समय की इसी मांग को देखते हुए विश्व हास्य दिवस की शुरुआत की गई.
इस दिन विश्व भर में कई तरह के कार्यक्रम भी होते हैं, लेकिन विश्व हास्य दिवस पर हम आज आपको जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के ट्रैफिक इंस्पेक्टर से मिलाते हैं, इन्होंने जहां भी ड्यूटी की वहां पर पुलिस का रौब कम और हंसी बांटने का काम ज्यादा किया. प्रवीण कुमार जिन्हें पी के मस्त के नाम से ज्यादा पहचाना जाता है. पीके मस्त पिछले 15 साल से लोगों को अपनी हास्य कविताओं के जरिए हंसाते आ रहे हैं . पीके ट्रैफिक नियमों की जानकारी भी अपने हास्य कौशल से देते हैं ताकि आम जन और खासकर युवाओं में पुलिस की वर्दी डर कम और ट्रैफिक नियमों को लेकर जागरूक ज्यादा हो.
1500 से ज्यादा स्कूल कॉलेज में जागरूकताः प्रवीण कुमार अपने हास्य कविता के जरिए पहले ही नाम और शोहरत कमा चुके हैं. पीके बताते हैं कि जब वह आईएएस की तैयारी कर रहे थे, उस वक्त उनके गुरु बंकट बिहारी ने उनसे कहा था कि आईएएस बनकर कुछ लोगों की काम में मदद कर सकते हो, लेकिन उससे बड़ा और मुश्किल काम है लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाना. उनकी ही बात मुझे सबसे ज्यादा अच्छी लगी और मैंने तय किया कि मैं हास्य कविताओं के जरिए लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाने की कोशिश करूंगा. पीके को टेलीविज़न शो में भाग लेने और दिल्ली पुलिस के लिए कार्यक्रम करने के बाद, 'पीके मस्त' के नाम से लोकप्रियता मिली. अभी वो जयपुर कमिश्नरेट में ट्रैफिक इंस्पेक्टर हैं , उच्च अधिकारियों के निर्देश पर ट्रैफिक जागरूकता और सड़क सुरक्षा पर आधारित कार्यक्रम कर रहे हैं. अब तक 1500 से ज्यादा स्कूल, कॉलेज और इंस्टीट्यूट में जाकर हास्य कविताओं के जरिए युवाओं को ट्रैफिक नियमों को लेकर जागरूक कर चुके हैं.
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लाफ्टर मोटिवेशनः पीके बताते हैं कि जब से ट्रैफिक का जिम्मा मिला है तब से यातायात जागरूकता और सड़क सुरक्षा को लेकर कई तरह से प्रयोग किए गए हैं. अपनी 'लाफ्टर मोटिवेशन' कला के जरिए बच्चों को शिक्षित करने का काम किया जा रहा है. पीके कहते हैं कि “मेरे छोटे-छोटे स्किट्स, वन-लाइनर्स और कविताओं के साथ वे न केवल हंसते हैं, बल्कि वे यातायात नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित होते हैं. इसके अलावा छोटे छोटे वीडियो भी सोशल मीडिया पर पब्लिश करते हैं, जिससे अधिक लोगों तक यातायात नियमों की जानकारी पहुंच सके. पीके के साथ यातायात प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाल रहे इंस्पेक्टर विजय सिंह बताते हैं कि पीके मस्त के लाफ्टर मोटिवेशन से युवाओं और खास कर बच्चों में जागरूकता बढ़ी है. अब तक सोशल मीडिया के जरिए जयपुर या राजस्थान ही नही बल्कि दुनियाभर भर में 40 करोड़ लोगों तक अवेरनेस बढ़ी है.
15 साल से हास्य कविताओं के जरिए गुदगुदा रहेः पीके ने ट्रैफिक इंस्पेक्टर से पहले प्रोटोकॉल अधिकारी के रूप में काम किया था. पीके बताते हैं कि 15 साल वो मंच पर हास्य कविता के जरिए लोगों को गुदगुदाने का काम कर रहे हैं. मौजूदा दौर में लोगों के चेहरों से हंसी मानों गायब सी हो गई है, खास तौर से कोरोना काल के बाद तो लोगों में और ज्यादा मायूसी सी आ गई है. इस तनाव और निराशा वाले माहौल में वो कोशिश करते हैं कि कुछ पल लोगों को हंसा सकें.
1998 में शुरू हुआ विश्व हास्य दिवसः विश्व हास्य दिवस प्रत्येक वर्ष मई माह के पहले रविवार को मनाया जाता है. वर्ष 1998 से शुरू हुए विश्व हास्य दिवस का श्रेय हास्य योग आंदोलन के संस्थापक डॉ मदन कटारिया को जाता है. उन्होंने ही विश्व हास्य दिवस को पहली बार मुंबई में 11 जनवरी 1998 को मनाया था. इस दिन को मनाने का उद्देश्य समाज के तनाव को कम कर उन्हें हास्य रुपी सुखी जीवन देना था.