जयपुर. प्रदेश में तृतीय श्रेणी शिक्षकों के सब्र का बांध टूटता जा रहा है. शिक्षा विभाग की ओर से ट्रांसफर पॉलिसी बनाने की बात कहते हुए साढ़े 4 साल बीत जाने के बाद सोमवार को शिक्षक मुख्यमंत्री से भी गुहार लगाने पहुंचे. लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर अब शिक्षक के 17 मई को शहीद स्मारक पर महा आंदोलन करेंगे. साथ ही सुनवाई नहीं होने पर अनशन पर बैठेंगे.
तृतीय श्रेणी शिक्षकों की ट्रांसफर की मांग को लेकर शिक्षक संगठनों के साथ कर्मचारी संगठनों ने भी आंदोलन किए, लेकिन हर बार आश्वासन देकर टाल दिया गया. ऐसे में शिक्षकों ने अब एक बार फिर आंदोलन की राह पर उतरने का फैसला लिया है. तृतीय श्रेणी शिक्षक संघर्ष समिति के संयोजक सुनील महला ने कहा कि तृतीय श्रेणी शिक्षक कई बार अधिकारियों से लेकर शिक्षा मंत्री से वार्ता कर चुके हैं.
बीते दिनों भी शिक्षा मंत्री से वार्ता में उन्होंने यही कहा कि अंतिम फैसला सीएम अशोक गहलोत लेंगे. ऐसे में सोमवार को सीएम की जनसुनवाई में भी पहुंचे. उन्हें शिक्षकों की पीड़ा बताते हुए ट्रांसफर की मांग से भी अवगत कराया, लेकिन उन्होंने कोई भी जवाब नहीं दिया. ऐसे में अब तृतीय श्रेणी शिक्षक संघर्ष समिति के बैनर तले 17 मई को बड़ी संख्या में शिक्षक शहीद स्मारक पर आंदोलन करेगा और शिक्षक अनशन पर भी बैठेंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि बीते साढ़े 4 साल में तृतीय श्रेणी शिक्षकों को छोड़कर सभी संवर्ग में ट्रांसफर किए गए. जिसे लेकर शिक्षकों में आक्रोश है.
उन्होंने कहा कि तृतीय श्रेणी शिक्षकों की संख्या ज्यादा है, लेकिन एक नीति और व्यवस्था के तहत उनके हर साल ट्रांसफर कर दिए जाते हैं तो ये संख्या ज्यादा नहीं होती. अब तो सरकार नई भर्ती भी करने जा रही है. जिसका रिजल्ट कभी भी जारी हो सकता है. ऐसे में सरकार से अपेक्षा है कि वो नई भर्ती से पहले पुराने शिक्षकों को ट्रांसफर का तोहफा दे. उन्होंने कहा कि हर कर्मचारी घर आना चाहता है और ट्रांसफर एक प्रक्रिया है. जब सरकार ने सभी संवर्गों के ट्रांसफर किए हैं तो फिर तृतीय श्रेणी शिक्षकों को ही क्यों वंचित रखा हुआ है. सरकार की ओर से किए जा रहे इस भेदभाव से शिक्षकों में हीन भावना आती जा रही है.
वहीं शिक्षक नेता सूरजभान सिंह ने बताया कि ट्रांसफर नहीं होने से कई शिक्षक परेशान हैं. कुछ विभिन्न गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं. कुछ एकल महिलाएं हैं। कुछ शिक्षकों को 20 से 25 साल अपने परिवार से दूर रहते हो गए हैं. ऐसे में शिक्षक अपने गृह जिले में आकर सेवाएं देना चाहते हैं.