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Rajasthan High Court: राज्य सरकार की अपील फिजूल बताकर पचास हजार रुपए के हर्जाने सहित की खारिज

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 23, 2023, 8:45 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने जल संसाधन विभाग से रिटायर हुए असिस्टेंट इंजीनियर के सेवा परिलाभ को लेकर राज्य सरकार की ओर से दायर अपील को फिजूल बताते हुए खारिज कर दिया.

Rajasthan High Court,  High Court dismissed the state government appeal
राजस्थान हाईकोर्ट .

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने वर्ष 2017 में जल संसाधन विभाग से रिटायर हुए असिस्टेंट इंजीनियर के सेवा परिलाभ पर दिए ब्याज के मामले में राज्य सरकार की ओर से बिना कारण अपील दायर करने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने फिजूल की अपील पेश करने पर राज्य सरकार पर पचास हजार रुपए का हर्जाना लगा दिया है. सीजे एजी मसीह व जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने राज्य सरकार की अपील खारिज करते हुए कहा कि राज्य सरकार बिना किसी उचित कारण ही अदालत में अपील दायर कर रही है.

अदालत ने राज्य सरकार की ओर से पैरवी करने वाले एएजी एसएस राघव को मौखिक तौर पर कहा कि सरकारी अफसरों की हर बात को नहीं माननी चाहिए, जिससे व्यर्थ की अपील दायर नहीं करनी पडे़. अदालत ने कहा कि राज्य सरकार के अफसरों ने ही रिटायर हुए कर्मचारी के मामले की जांच में देरी की, जिससे उसे बकाया राशि का भुगतान नहीं हो पाया. वहीं एकलपीठ के आदेश के खिलाफ व्यर्थ की अपील पेश कर दी, जिससे अदालत में अनावश्यक मुकदमेबाजी बढ़ रही है.

पढ़ेंः Rajasthan High Court : राज्य सरकार पर 50 हजार का हर्जाना, दोषी अधिकारियों से वसूलने की छूट

मामले के अनुसार हरीश कुमार व्यास तीस जून, 2017 को जल संसाधन विभाग से रिटायर हुए थे. उसके खिलाफ किसी मामले में विभागीय जांच चल रही थी. इस जांच को पूरा करने में ही विभाग ने सात साल लगा दिए और यह 9 फरवरी 2021 को पूरी हुई. इसके चलते हरीश कुमार को सेवा परिलाभ के भुगतान में देरी हुई. उसने सेवा परिलाभ दिलवाने के लिए एकलपीठ में याचिका दायर की. जिस पर एकलपीठ ने 30 मार्च 2022 को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता को उपार्जित अवकाश की राशि देने का निर्देश देते हुए बकाया राशि नौ प्रतिशत ब्याज सहित देने का आदेश दिए. एकलपीठ के इस आदेश को राज्य सरकार ने बिना उचित कारण ही खंडपीठ में चुनौती दी.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने वर्ष 2017 में जल संसाधन विभाग से रिटायर हुए असिस्टेंट इंजीनियर के सेवा परिलाभ पर दिए ब्याज के मामले में राज्य सरकार की ओर से बिना कारण अपील दायर करने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने फिजूल की अपील पेश करने पर राज्य सरकार पर पचास हजार रुपए का हर्जाना लगा दिया है. सीजे एजी मसीह व जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने राज्य सरकार की अपील खारिज करते हुए कहा कि राज्य सरकार बिना किसी उचित कारण ही अदालत में अपील दायर कर रही है.

अदालत ने राज्य सरकार की ओर से पैरवी करने वाले एएजी एसएस राघव को मौखिक तौर पर कहा कि सरकारी अफसरों की हर बात को नहीं माननी चाहिए, जिससे व्यर्थ की अपील दायर नहीं करनी पडे़. अदालत ने कहा कि राज्य सरकार के अफसरों ने ही रिटायर हुए कर्मचारी के मामले की जांच में देरी की, जिससे उसे बकाया राशि का भुगतान नहीं हो पाया. वहीं एकलपीठ के आदेश के खिलाफ व्यर्थ की अपील पेश कर दी, जिससे अदालत में अनावश्यक मुकदमेबाजी बढ़ रही है.

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मामले के अनुसार हरीश कुमार व्यास तीस जून, 2017 को जल संसाधन विभाग से रिटायर हुए थे. उसके खिलाफ किसी मामले में विभागीय जांच चल रही थी. इस जांच को पूरा करने में ही विभाग ने सात साल लगा दिए और यह 9 फरवरी 2021 को पूरी हुई. इसके चलते हरीश कुमार को सेवा परिलाभ के भुगतान में देरी हुई. उसने सेवा परिलाभ दिलवाने के लिए एकलपीठ में याचिका दायर की. जिस पर एकलपीठ ने 30 मार्च 2022 को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता को उपार्जित अवकाश की राशि देने का निर्देश देते हुए बकाया राशि नौ प्रतिशत ब्याज सहित देने का आदेश दिए. एकलपीठ के इस आदेश को राज्य सरकार ने बिना उचित कारण ही खंडपीठ में चुनौती दी.

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