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लॉकडाउन के चलते घरों में ही मनाया जा रहा महावीर जयंती का पर्व

देशभर में आज भगवान महावीर की जयंती मनाई जा रही है. भगवान महावीर को वीर, वर्धमान, अतिवीर और सन्मति के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने अपने जीवन में तप और साधना से नए प्रतिमान स्थापति किए, ऐसे में कोरोना से बचाव के लिए किए लॉकडाउन के चलते जैन समुदाय के लोगों ने पूरे विधि-विधान से अपने घरों में ही महावीर जयंती का पर्व मनाया.

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Published : Apr 6, 2020, 12:15 PM IST

जयपुर न्यूज़ , महावीर जयंती , लॉक डाउन अपडेट , कोरोना वायरस , Jaipur News , Mahavir Jayanti , Lock down update , Corona virus
लॉकडाउन के चलते घरों में ही मनाया गया महावीर जयंती का पर्व

जयपुर. दुनिया को जिओ और जीने दो का संदेश देने वाले जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का 2619वां जन्म कल्याण महोत्सव जैन बंधुओं की ओर से भक्ति भाव से मनाया जा रहा है. कोरोना जैसी महामारी के चलते लॉकडाउन के मद्देनजर इस बार जैन समाज द्वारा महावीर जयंती के सामूहिक आयोजन नहीं किए जा रहे. मंदिरों के बंद होने के चलते मंदिरों में जन्माभिषेक और पूजा-अर्चना के आयोजन भी नहीं हो रहा हैं.

ऐसे में निर्यापक श्रमण मुनि पुंगव श्री सुधा सागर महाराज, मुनि श्री प्रज्ञा सागर महाराज सहित देशभर के सभी दिगंबर जैन संतों ने प्रशासन के निर्देशों में सोशल डिस्टेंस की पालना करते हुए घरों में ही मनाने का आह्वान किया. यही वजह है कि नींद से उठते ही अलसुबह 5 बजे घरों में ही लोगों ने आज हाथ धोकर लोगों ने 'ॐ हीं झें प्रां प्री प्रों अरिष्ट निवारक इष्ट प्रदायक श्री महावीराय नमः' मंत्र के 108 जाप किए. उसके बाद 6 बजे बालिकाओं व महिलाओं द्वारा घर के बाहर सुंदर रंगोली बनाकर 5 दीपक जलाए गए.

ये पढ़ें- Corona War Room में सूचना मिलते ही एक्शन में आता है प्रशासन, तुरंत पहुंचाई जा रही है मदद

साथ ही सुबह 7 बजे घर में चौकी पर भगवान महावीर स्वामी की तस्वीर विराजमान कर उसके चारों और रंगोली बनाकर उस पर एक कलश स्थापित किया. जहां 13 दीपक जलाकर भगवान की फोटो के आगे 13 बार महावीराष्टक व महावीर चालीसा का पाठ किया गया. वही सभी परिवारजनों द्वारा अष्ट द्रव्य से पूजा की गई. उसके बाद सुबह 8 बजे से 5 मिनट तक घर की छत व बरामदों में मधुर ध्वनि नाद करते हुए भगवान की जय-जयकार हुई. जहां घन्टानाद, थाली, ताली बजाकर भगवान महावीर के जयघोष लगाये गये.

सुबह 8.05 बजे से 8.30 बजे तक घरों में ही भगवान का अभिषेक, शांतिधारा के बाद भगवान महावीर की अष्ट द्रव्य से भक्तिभाव से पूजा अर्चना की गई. साथ ही भगवान का स्तवन भजन भक्ति हुई. वही पूजा समापन पर गृह शुद्धि के लिए हवन भी किया गया. तत्पश्चात मीठे चावल बना कर सभी परिवारजनों ने भोजन किया. वही 30 मिनट के स्वाध्याय में भगवान महावीर के 10 भवों के जीवन परिचय को कथा के रूप में पढ़ा गया.

जयपुर. दुनिया को जिओ और जीने दो का संदेश देने वाले जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का 2619वां जन्म कल्याण महोत्सव जैन बंधुओं की ओर से भक्ति भाव से मनाया जा रहा है. कोरोना जैसी महामारी के चलते लॉकडाउन के मद्देनजर इस बार जैन समाज द्वारा महावीर जयंती के सामूहिक आयोजन नहीं किए जा रहे. मंदिरों के बंद होने के चलते मंदिरों में जन्माभिषेक और पूजा-अर्चना के आयोजन भी नहीं हो रहा हैं.

ऐसे में निर्यापक श्रमण मुनि पुंगव श्री सुधा सागर महाराज, मुनि श्री प्रज्ञा सागर महाराज सहित देशभर के सभी दिगंबर जैन संतों ने प्रशासन के निर्देशों में सोशल डिस्टेंस की पालना करते हुए घरों में ही मनाने का आह्वान किया. यही वजह है कि नींद से उठते ही अलसुबह 5 बजे घरों में ही लोगों ने आज हाथ धोकर लोगों ने 'ॐ हीं झें प्रां प्री प्रों अरिष्ट निवारक इष्ट प्रदायक श्री महावीराय नमः' मंत्र के 108 जाप किए. उसके बाद 6 बजे बालिकाओं व महिलाओं द्वारा घर के बाहर सुंदर रंगोली बनाकर 5 दीपक जलाए गए.

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साथ ही सुबह 7 बजे घर में चौकी पर भगवान महावीर स्वामी की तस्वीर विराजमान कर उसके चारों और रंगोली बनाकर उस पर एक कलश स्थापित किया. जहां 13 दीपक जलाकर भगवान की फोटो के आगे 13 बार महावीराष्टक व महावीर चालीसा का पाठ किया गया. वही सभी परिवारजनों द्वारा अष्ट द्रव्य से पूजा की गई. उसके बाद सुबह 8 बजे से 5 मिनट तक घर की छत व बरामदों में मधुर ध्वनि नाद करते हुए भगवान की जय-जयकार हुई. जहां घन्टानाद, थाली, ताली बजाकर भगवान महावीर के जयघोष लगाये गये.

सुबह 8.05 बजे से 8.30 बजे तक घरों में ही भगवान का अभिषेक, शांतिधारा के बाद भगवान महावीर की अष्ट द्रव्य से भक्तिभाव से पूजा अर्चना की गई. साथ ही भगवान का स्तवन भजन भक्ति हुई. वही पूजा समापन पर गृह शुद्धि के लिए हवन भी किया गया. तत्पश्चात मीठे चावल बना कर सभी परिवारजनों ने भोजन किया. वही 30 मिनट के स्वाध्याय में भगवान महावीर के 10 भवों के जीवन परिचय को कथा के रूप में पढ़ा गया.

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