जयपुर. फेल्योर से सीख लेकर भविष्य में सफलता पाई जा सकती है. एक खिलाड़ी और डॉक्टर के करियर की शुरुआत काफी हद तक एक जैसी होती है. बहुत मेहनत और फोकस रहना खिलाड़ी और डॉक्टर दोनों के लिए जरूरी होता है. इस दौरान आपका फेल्योर ही आपको सिखाता है. मैंने भी अपनी असफलताओं से सीख लेकर ही सफलता पाई है.
यह कहना है ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट अभिनव बिंद्रा का. गुरुवार को सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के प्लेटिनम जुबली सेलिब्रेशन कार्यक्रम में निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने अपने अनुभव साझा किए. ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट अभिनव बिंद्रा ने मेडिकल स्टूडेंट के साथ कई टिप्स भी शेयर किए. उन्होंने स्टूडेंट्स को मोटिवेट करते हुए कहा कि मैं अपने फेल्योर से सीखकर ही ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीत पाया.
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अभिनव बिंद्रा ने स्टूडेंट्स से कहा कि कभी भी मेंटल स्ट्रेस से भागो मत, क्योंकि इससे आप और नर्वस होंगे. इससे अच्छा यह है कि उसे स्वीकार करो. मेंटल स्ट्रेस को स्वीकार करने से परिणाम को लेकर आपकी चिंता बहुत कम हो जाएगी और परफॉर्मेंस बेहतर हो जाएगा. गोल्ड मेडलिस्ट अभिनव बिंद्रा ने कहा कि अपने आप को बेहतर करने का सबसे अच्छा जरिया खुद को कंफर्ट जोन से बाहर निकालना होता है. मैं कभी अपने शूटिंग शॉर्ट्स से संतुष्ट नहीं हुआ. शूटिंग रेंज में घंटों बिताता था. लगातार खुद को रिफाइन करने की कोशिश करता था. कंफर्ट जोन से बाहर होने की गुंजाइश हमेशा रहती है.
अभिनव बिंद्रा ने मीडिया से बातचीत के दौरान भारतीय कुश्ती संघ में महिला पहलवानों से यौन शोषण के मुद्दे पर कहा कि मुझे काफी हैरान करने वाली खबर सुनने को मिली है. इस पर जरूर जांच होनी चाहिए. हमारे खिलाड़ी सुरक्षित वातावरण में खेल सकें, इसकी पूरी कोशिश होनी चाहिए. एसएमएस मेडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम में आयोजित प्लेटिनम जुबली कार्यक्रम में गोल्ड मेडलिस्ट अभिनव बिंद्रा बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. चिकित्सकों से संवाद करके उन्होंने अपने अनुभव साझा किए. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल राजीव बगरहट्टा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया. डॉ. मोहनीश ने मंच का संचालन किया.