जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नशीली दवा से जुडे़ मामले में दो करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने के मामले में निलंबित की गई एसओजी अजमेर की तत्कालीन एडिशनल एसपी दिव्या मित्तल व एक अन्य संजय नंदवानी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने यह रोक एसीबी जयपुर की ओर से गत 11 अक्टूबर को दर्ज एफआईआर में लगाई है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की एकलपीठ ने यह आदेश दिव्या मित्तल व संजय नंदवानी की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने अदालत को बताया कि विकास अग्रवाल ने पूर्व में एसीबी में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. जिसमें आरोप लगाया गया था कि नशीली दवा से जुडे़ मामले में उसे गलत रूप से लिप्त बताया गया और बाद में उसका नाम हटाने की एवज में दिव्या मित्तल ने दलाल के जरिए दो करोड़ रुपए की रिश्वत मांगी. रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए एसीबी ने दिव्या को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया. याचिका में कहा गया कि विकास अग्रवाल ने अपने बयान में कहा कि संजय नंदवानी ने अपने भाई सुनील नंदवानी को दो अन्य एफआईआर में कार्रवाई नहीं करने की एवज में दिव्या मित्तल को एक करोड़ रुपए की रिश्वत दी थी.
याचिका में बताया गया कि इस बयान और मोबाइल रिकॉर्डिंग के आधार पर पुलिस ने गत 11 अक्टूबर को याचिकाकर्ताओं के खिलाफ अलग से एक अन्य एफआईआर दर्ज कर ली, जबकि याचिकाकर्ता ने न तो रिश्वत की डिमांड की है और न ही उससे इस राशि की रिकवरी हुई है. दूसरे लोगों की बातचीत के आधार पर याचिकाकर्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती है. यदि याचिकाकर्ता पर रिश्वत का आरोप भी है तो उसकी जांच पहले वाली एफआईआर में की जा सकती थी. इसलिए याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज इस एफआईआर को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तार करने पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.