जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नगर निगम को कहा है कि वह शहर की सडक़ों पर दिन के साथ-साथ रात में भी मशीन से सफाई (Rajasthan High Court order for road sanitation) कराएं. सडक़ों पर कचरे के ढेर भी नहीं होने चाहिए. अदालत ने कहा कि क्या सारा काम कोर्ट के आदेश पर ही किया जाएगा? सरकार के साथ-साथ शहरवासियों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए. सीजे पंकज मित्थल और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए. गत सुनवाई को प्रकरण बीस दिसंबर को सूचीबद्ध करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन गुरुवार को अदालत ने प्रकरण की सुनवाई आज ही करना तय कर पक्षकारों के वकीलों को पेश होने को कहा.
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल मेहता ने कहा कि शहर में सुचारु रूप से सफाई की जा रही है और तय समय पर कचरा उठाया जा रहा है. वहीं हेरिटेज नगर निगम की ओर से अदालत को बताया गया कि उनके पास सडक़ साफ करने की चार मशीनें हैं और उनके संचालन के लिए ठेका दिया जा रहा है. जल्द ही इन मशीनों से सफाई शुरु कर दी जाएगी. इसके साथ ही ग्रेटर निगम की ओर से बताया गया कि उनके पास एक किराए की मशीन है और उससे सफाई कराई जा रही है.
इस पर अदालत ने कहा कि उनकी जानकारी में आया है कि मशीन काम नहीं कर रही है. इसके अलावा दिन में मुख्य मार्गों पर यातायात अधिक रहता है. इसलिए दिन के साथ-साथ रात के वक्त भी सफाई कराई जाए. हमने पहले शहर के पांच इलाकों में सफाई कराने को कहा था, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि अन्य जगहों पर सफाई नहीं हो? दूसरी ओर न्यायमित्र विमल चौधरी ने कहा कि सिर्फ कागजों में ही सफाई हो रही है. कचरा पात्र नहीं लगाने के कारण जगह-जगह कचरे के ढेर हो गए हैं. एक ओर निगम कम बजट की बात करती है, जबकि दूसरी ओर सफाई कर्मचारियों के शपथ ग्रहण समारोह में आठ हजार सफाई कर्मचारियों पर निगम अपने खाते से खर्चा कर रहा है. यदि सब जगह सफाई है तो फिर जगह-जगह कचरे के ढेर कैसे लगे हुए हैं?