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दिए गए परिलाभ की रिकवरी करने पर रोक, मांगा जवाब - Jaipur Latest News

राजस्थान हाईकोर्ट ने एलडीसी भर्ती-1986 के तहत बाद में नियुक्त हुए अभ्यर्थियों को अदालती आदेश पर दिए एरियर की रिकवरी करने पर रोक लगा दी है.

राजस्थान हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 2, 2024, 9:13 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एलडीसी भर्ती-1986 के तहत बाद में नियुक्त हुए अभ्यर्थियों को अदालती आदेश पर दिए एरियर की रिकवरी करने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में राजस्व सचिव, राजस्व मंडल और बारां कलेक्टर सहित अन्य से जवाब मांगा है. जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश नरेन्द्र कुमार व अन्य की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि एलडीसी भर्ती-1986 में अंतिम नियुक्ति अक्टूबर, 1991 में हुई थी. वहीं, याचिकाकर्ताओं को अदालती आदेश पर जून, 2000 को नियुक्ति मिली. इस पर याचिकाकर्ताओं ने पूर्व में नियुक्त अभ्यर्थियों के समान नोशनल बेनिफिट और वरिष्ठता के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने वर्ष 2001 में याचिकाकर्ताओं को पूर्व में नियुक्त कर्मचारियों के समान वेतन व स्थाईकरण करने के आदेश दिए.

पढ़ें. हाईकोर्ट ने कांस्टेबल भर्ती में गर्भवती और प्रसूता महिला को दी राहत, फिजिकल बाद में लेने को कहा

याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने संपूर्ण परिलाभ अदा कर दिए. वहीं, गत एक नवंबर को बारां कलेक्टर ने आदेश जारी कर अदालती आदेश से दिए गए परिलाभ की वसूली के आदेश दे दिए. इसके अलावा याचिकाकर्ताओं की सेवा अवधि की गणना वर्ष 1991 से न कर वर्ष 2001 से करने का निर्णय लिया. याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार की यह कार्रवाई गलत है, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने रिकवरी पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एलडीसी भर्ती-1986 के तहत बाद में नियुक्त हुए अभ्यर्थियों को अदालती आदेश पर दिए एरियर की रिकवरी करने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में राजस्व सचिव, राजस्व मंडल और बारां कलेक्टर सहित अन्य से जवाब मांगा है. जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश नरेन्द्र कुमार व अन्य की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि एलडीसी भर्ती-1986 में अंतिम नियुक्ति अक्टूबर, 1991 में हुई थी. वहीं, याचिकाकर्ताओं को अदालती आदेश पर जून, 2000 को नियुक्ति मिली. इस पर याचिकाकर्ताओं ने पूर्व में नियुक्त अभ्यर्थियों के समान नोशनल बेनिफिट और वरिष्ठता के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने वर्ष 2001 में याचिकाकर्ताओं को पूर्व में नियुक्त कर्मचारियों के समान वेतन व स्थाईकरण करने के आदेश दिए.

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याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने संपूर्ण परिलाभ अदा कर दिए. वहीं, गत एक नवंबर को बारां कलेक्टर ने आदेश जारी कर अदालती आदेश से दिए गए परिलाभ की वसूली के आदेश दे दिए. इसके अलावा याचिकाकर्ताओं की सेवा अवधि की गणना वर्ष 1991 से न कर वर्ष 2001 से करने का निर्णय लिया. याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार की यह कार्रवाई गलत है, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने रिकवरी पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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