जयपुर. वर्ष 2020 की शुरुआत किसी भी नए साल के आगाज की तरह सुखद थी. तमाम गतिविधियां सामान्य चल रही थीं. अचानक एक ऐसी बीमारी ने अपनी जड़ें फैलाना शुरू किया जिसके बारे में न तो पहले से किसी ने कुछ सुना था और न ही उसके प्रकोप के बारे में कोई जानकारी थी. कोरोना का संक्रमण पूरे विश्व में जंगल की आग की तरह फैल रहा था. भारत में भी कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने लगे थे. मार्च महीना शुरू होते ही कोरोना ने राजस्थान में दस्तक दे दी.
1 मार्च को मिला पहला मरीज, भीलवाड़ा बना मॉडल
राजस्थान में 1 मार्च को पहले कोरोना संक्रमित व्यक्ति की पुष्टि हुई. इटली से आया एक यात्री कोरोना संक्रमित पाया गया. इसके बाद राजस्थान के भीलवाड़ा में कोरोना विस्फोट हुआ. एक के बाद एक 27 व्यक्ति कोरोना संक्रमित पाए गए. जिस पर प्रशासन ने सूझबूझ से काम लेते हुए तुरंत ही शहर में कर्फ्यू लगा दिया. शहर की सीमाएं सील कर दी गईं. जिसके चलते भीलवाड़ा में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा 27 पर ही अटक गया और अस्पताल में इलाज पाकर सभी संक्रमित व्यक्ति स्वस्थ होकर घर लौट गए. जिसके बाद पूरे देश में भीलवाड़ा मॉडल की तारीफ होने लगी.
सभी विभागों में रहा तालमेल
कोरोना से लड़ना महज किसी एक विभाग के बस का काम नहीं था. सभी विभागों ने परस्पर तालमेल बैठाकर एक ऐसी अभेद्य दीवार कोरोना के लिए खड़ी कर दी जिसे कोरोना भी नहीं भेद सका. कोरोना की इस जंग में चिकित्सा कर्मी, स्वास्थ्य कर्मी, पुलिसकर्मी, सफाई कर्मी और जिला प्रशासन ने मिलकर फ्रंटलाइनर का काम किया. यह आज भी बदस्तूर जारी है.
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प्रशासन रहा सुपर अलर्ट
जैसे-जैसे राजस्थान में कोरोना का संक्रमण बढ़ने लगा, वैसे-वैसे प्रशासन ने कोरोना के खिलाफ चल रही जंग में अपनी पूरी ताकत झोंकना शुरू कर दिया. जिस भी शहर, गली, मोहल्ले में कोरोना संक्रमित व्यक्ति मिला, उस पूरे क्षेत्र को पुलिस द्वारा सील किया गया. मेडिकल टीम द्वारा उस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के सैंपल कोरोनाजांच के लिए इकट्ठे किए गए. सफाई कर्मियों द्वारा उस पूरे क्षेत्र को सैनिटाइज करने का काम किया गया. प्रशासन ने लोगों को कोरोना जांच कराने के लिए प्रेरित किया. वहीं कोरोना वारियर्स पर होने वाले हमलो को देखते हुए राजस्थान एपिडेमिक एक्ट के तहत सख्त कानूनी कार्रवाई करना शुरू किया.
कोरोना काल में नजर आई खाकी की संवेदना
प्रदेश में लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए प्रशासन ने कंप्लीट लॉकडाउन लगा दिया था. इस कारण गरीब और मजदूर वर्ग सर्वाधिक प्रभावित हुआ. ऐसे लोगों के सामने भोजन और अन्य सामान की किल्लत आने लगी. ऐसे में लोगों के दर्द को समझते हुए खाकी ने मानवता का धर्म निभाते हुए संवेदना दिखाई. राजस्थान पुलिस ने गरीब और मजदूर वर्ग के लोगों के साथ ही उन तमाम लोगों तक खाद्य सामग्री और भोजन पहुंचाना शुरू किया जो कोरोना के चलते बिल्कुल असहाय हो चुके थे.
इस दौर में मजदूर नंगे पांव ही भूखे प्यासे अपने घरों की तरफ निकल पड़े थे, जिनकी पीड़ा को राजस्थान पुलिस ने समझा. पुलिस ने न केवल मजदूरों को खाना उपलब्ध करवाया बल्कि उन्हें रहने के लिए शेल्टर भी प्रदान किए. इसके साथ ही नंगे पांव तपती सड़क पर पैदल चल रहे मजदूरों को थोड़ी राहत देने का प्रयास करते हुए पहनने के लिए जूते और चप्पल भी उपलब्ध करवाए.
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पुलिस ने बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को पहुंचाई मदद
लॉकडाउन के चलते कई लोग दूसरे शहरों में या राज्यों में फंस गए. ऐसे में उनके घर पर उनके बुजुर्ग मां-बाप अकेले रह गए. कई लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी और पुलिस ने घर पर अकेले रह रहे बुजुर्गों को जाकर संभालना शुरू किया. इसके साथ ही पुलिस ने जरूरतमंद बुजुर्गों के घर तक दवाई भी पहुंचाई.
मेडिकल इमरजेंसी होने पर बुजुर्गों को पुलिस ने अस्पताल पहुंचाने का काम भी किया. इस प्रकार से कानून व्यवस्था बनाए रखने और अपराधियों को पकड़ने का काम करने वाली पुलिस ने भी सामाजिक सरोकार निभाया और पुलिस का एक नया चेहरा आमजन के सामने उजागर हुआ. इसके साथ ही लॉकडाउन के दौरान गर्भवती महिलाओं की देखभाल का जिम्मा भी पुलिस ने उठाया. गर्भवती महिलाओं को चेकअप के लिए अस्पताल ले जाने और किसी तरह की कोई तकलीफ होने पर उन्हें मदद पहुंचाने का काम महिला पुलिस कर्मियों द्वारा किया गया.
संक्रमण की चपेट में आए पुलिसकर्मी, ठीक होकर फिर पहुंचे ड्यूटी पर
कोरोना से जंग लड़ते हुए खुद कोरोना की चपेट में आए पुलिसकर्मी जब पूरी तरह से स्वस्थ होकर वापस काम पर लौटे तो उन्होंने अपने अन्य साथियों का जज्बा बढ़ाने का काम किया. इसके साथ ही उन्होंने आमजन को कोरोना संक्रमण के प्रति जागरूक करने और कोरोना से नहीं डरने का संदेश देते हुए एक पॉजिटिव माहौल क्रिएट किया. इसके साथ ही विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के साथ मिलकर लोगों के घर पर भोजन पहुंचाने का काम भी किया. लोगों ने 100 नंबर डायल कर भोजन, राशन या दवाई की मदद मांगी तो पुलिस ने इसे कर्तव्य समझ पूरा किया.
पुलिस ने करवाया कोरोना संक्रमित मृतकों का अंतिम संस्कार
कोरोना काल में पुलिस सामाजिक दूत बनकर आमजन के सामने सीना तान कर खड़ी रही. राजस्थान में सबसे बड़े कोविड डेडीकेटेड आरयूएचएस अस्पताल में कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर उसके अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी भी पुलिस ने उठाई. वहीं अनेक केस ऐसे भी सामने आए जिसमें संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर उसके परिजनों ने शव लेने से मना कर दिया, ऐसी स्थिति में भी पुलिस द्वारा मृतक का अंतिम संस्कार करवाया गया. वहीं जो लोग संक्रमण से सही हुए और उनके पास उनके घर जाने तक का किराया नहीं था तो पुलिस ने खुद उन्हें उनके घर तक छोड़ने की जिम्मेदारी भी उठाई.
डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ बने फ्रंटलाइनर कोरोना वॉरियर्स
कोरोना की शुरूआत के साथ ही जयपुर सीएमएचओ प्रथम डॉ. नरोत्तम शर्मा और उनकी टीम को एक विशेष जिम्मेदारी दी गई. इस जिम्मेदारी के दौरान उन्हें जयपुर में संक्रमित लोगों की जानकारी इकट्ठा करना शुरू किया. डॉक्टर नरोत्तम शर्मा कहते हैं कि चुनौती इसलिए बड़ी थी, क्योंकि दुश्मन दिखाई नहीं दे रहा था. जयपुर के रामगंज क्षेत्र की सैंपलिंग करना सबसे बड़ी चुनौती थी.
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शुरू में मेडिकल टीमों को झेलनी पड़ी परेशानी
जयपुर में सैंपलिंग का जिम्मा संभाल रहे डॉ. नवीन शर्मा का कहना है कि जब उन्हें पता लगा कि रामगंज क्षेत्र से लगातार संक्रमित लोग सामने आ रहे हैं. तो ऐसे में जब टीम रामगंज क्षेत्र में पहुंची तो शुरुआती समय में लोगों ने जांच में सहयोग नहीं किया. कोविड-19 से लोग डरे हुए थे बावजूद इसके उन्होंने लोगों को समझाया और जांच के लिए आगे आने को कहा. हालांकि इसके बाद लोग सहयोग करने लगे और जल्द ही हॉटस्पॉट सेंटर बने रामगंज क्षेत्र को कोविड-19 से मुक्त करा लिया गया.
हाईकोर्ट ने दिए कोरोना वारियर्स को सुरक्षा देने के आदेश
वैश्विक महामारी कोरोना काल में अविश्वास की चुनौती भी पेश आई. कुछ अफवाहें ऐसी फैलीं कि असामाजिक तत्वों ने सैंपल लेने गई टीमों पर हमले किए. राजधानी जयपुर में भी मेडिकल टीमों के साथ बदसलूकी के अनेक प्रकरण सामने आ रहे थे. पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तमाम असामाजिक तत्वों को गिरफ्तार किया. प्रदेश में बढ़ते कोरोना वॉरियर्स पर हमलों की घटनाओं को देखते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कोरोना वारियर्स को सुरक्षा प्रदान करने को कहा.
हाईकोर्ट ने सरकार को कहा कि कोरोना से सीधे तौर पर लड़ रहे चिकित्सक, नर्सिंग, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मी, पुलिस, आशा सहयोगिनी और अन्य वारियर्स की शारीरिक, मानसिक और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की जाए. हाईकोर्ट ने सरकार को कोरोना वारियर्स के लिए एक डेडीकेटेड हेल्पलाइन नंबर जारी करने के आदेश भी दिए.
गहलोत सरकार ने लागू किया राजस्थान महामारी अध्यादेश-2020
प्रदेश में लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण के प्रकरणों को देखते हुए 2 मई को राजस्थान सरकार द्वारा प्रदेश में राजस्थान महामारी अध्यादेश 2020 लागू किया गया. गहलोत सरकार प्रदेश में लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए राजस्थान संक्रामक रोग अधिनियम-1957 के स्थान पर राजस्थान महामारी अध्यादेश- 2020 लेकर आई. जिसे विधानसभा सत्र नहीं चलने की स्थिति में राज्यपाल कलराज मिश्र द्वारा राज्यपाल को प्रदर्शन शाक्तियों का उपयोग करते हुए मंजूरी प्रदान की गई.
अध्यादेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को 2 साल की कैद या 10 हजार रुपए का जुर्माना या दोनों ही सजा का प्रावधान रखा गया. राजस्थान सरकार द्वारा जनता को राहत देने के लिए राजस्थान महामारी अध्यादेश-2020 की धारा 11 में संशोधन किया गया. उसके बाद राजस्थान संक्रामक रोग अधिनियम-1957 और राजस्थान महामारी अध्यादेश-2020 को मिलाने के बाद राजस्थान महामारी विधेयक-2020 लाया गया. जिसे 24 अगस्त को विधानसभा में ध्वनि मत से पारित कर दिया गया. उसके बाद प्रदेश में कोरोना गाइड लाइन की अवहेलना करने वाले लोगों के खिलाफ राजस्थान महामारी विधेयक के तहत कार्यवाही की जाने लगी और लोगों से जुर्माना वसूला जाने लगा.
कोरोना से जंग अभी जारी है. दुनिया, देश और राजस्थान इस बीमारी से खूब लड़ रही है. वैक्सीन के फाइनल ट्रायल चल रहे हैं. लोग जागरुक हो चुके हैं. सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं एहतियात बरत रही हैं. उम्मीद यही है कि नई साल की भोर उजली हो.