जयपुर. राजस्थान में विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है. इसके साथ ही सत्ताधारी दल कांग्रेस सत्ता में वापसी के उस फॉर्मूले की तलाश में है, जिससे की 25 साल से एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस की सरकार बनने के चक्र को तोड़ा जा सके. ऐसे में काग्रेस एक ओर तो भाजपा से टक्कर लेने के लिए तैयारी कर रही है तो दूसरी ओर अन्य पार्टियां भी कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बन गई हैं. अब चाहे बसपा हो या फिर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन. इन दोनों ही पार्टियों ने कांग्रेस की परेशानी बढ़ाने का काम किया है.
अगर बात ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन की करें तो ओवैसी की पार्टी पहली बार राजस्थान में चुनाव लड़ रही है. वहीं, उन्होंने ने दो प्रत्याशियों के नाम भी घोषित कर दिए हैं. ओवैसी की पार्टी को सीधे तौर पर कांग्रेस के लिए नुकसान इसलिए भी माना जा रहा है, क्योंकि राजस्थान में अल्पसंख्यक मुस्लिमों का वोट फिलहाल कांग्रेस को जा रहा है. हालांकि, अभी ओवैसी की पार्टी का राजस्थान में कोई खास दखल नहीं है, लेकिन राजनीति के जानकारों का कहना है कि ओवैसी यहां कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाएंगे.
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ओवैसी बने कांग्रेस के लिए खतरा - राजस्थान में अगर पुराने जिलों के आधार पर देखा जाए तो 18 जिलों में करीब 42 ऐसी सीटें हैं, जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक की भूमिका में हैं. भले ही सभी सीटों पर कांग्रेस मुस्लिम प्रत्याशी नहीं उतारती हो, लेकिन इनमें से करीब 15 सीटों पर पार्टी मुस्लिम उम्मीदवार उतारती आई है. 2018 में भी कांग्रेस ने 15 मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारे थे, जिनमें से आठ को जीत और 7 को पराजय का मुंह देखना पड़ा था. हालांकि, नगर से वाजिब अली चुनाव तो बसपा की टिकट पर जीते थे, लेकिन बाद में वो कांग्रेस में शामिल हो गए. वहीं, भाजपा ने एक मात्र यूनुस खान को मुस्लिम प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा था, जिन्हें हार का सामना करना पड़ा था. खास बात यह है कि बाकी बची 27 सीटों में से 22 पर कांग्रेस को जीत मिली, लेकिन अगर इस बार इन सीटों पर ओवैसी और बसपा मुस्लिम प्रत्याशी देते हैं तो कांग्रेस की दिक्कतें बढ़नी तय हैं.
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इन 22 मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर जीते कांग्रेस के नॉन मुस्लिम प्रत्याशी - अलवर ग्रामीण, राजगढ़, जैसलमेर, डीडवाना, नावां, चोहटन, सीकर, लक्ष्मणगढ़, दातारामगढ़, मसूदा, हवामहल, आदर्श नगर, किशनपोल, सिविल लाइंस, झुंझनू, मंडावा, नवलगढ़, टोंक, खाजूवाला, बारां-अटरू, करौली और सरदारपुरा ये वो विधानसभा सीटें हैं, जहां कांग्रेस के नॉन मुस्लिम प्रत्याशियों को जीत मिली.
इन सीटों पर हारी कांग्रेस - सूरसागर, धौलपुर, अजमेर नार्थ, रामगंज मंडी और गंगापुर सिटी ये वो मुस्लिम बाहुल्य विधानसभा सीटें हैं, जहां कांग्रेस को नॉन मुस्लिम प्रत्याशी देने के कारण पराजय का मुंह देखना पड़ा था.