जयपुर. प्रदेश कांग्रेस में संगठनात्मक नियुक्तियों का दौर जारी है. शनिवार को प्रदेश कांग्रेस कमेटी में 85 सचिव की नियुक्ति की गई. कांग्रेस प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा की ओर से सचिवों की नियुक्ति प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने सूची जारी की है. हालांकि इस सूची पर सीएम अशोक गहलोत की छाप नजर आई. पायलट खेमा इस सूची से नदारद नजर आया. वहीं, रंधावा के पीए के भाई डॉ. विजेंद्र सिंह सिद्धू को पहले नंबर पर इस सूचि में शामिल किया गया है.
दिखी गहलोत-पायलट के बीच की खटास : प्रदेश कांग्रेस में चल रही अंतर्कलह जगजाहिर है. 2018 में अशोक गहलोत ने जब सत्ता संभाली थी, उसी वक्त से सचिन पायलट गुट के साथ उनकी खींचतान चली आ रही है. प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को मजबूत करने के क्रम में राजस्थान कांग्रेस में खाली पड़े संगठन के पदों पर नियुक्तियां की जा रही हैं. नए वर्ष में सियासी समीकरण साधने के नजरिए से नए सचिवों का ऐलान करना अहम माना जा रहा है. कारण साफ है 85 सचिवों की इस सूची में हर जाति-वर्ग को साधने का प्रयास किया गया है. हालांकि इस सूची में भी गहलोत और पायलट के बीच की खटास का असर देखने को मिला है.
जिला अध्यक्षों की सूचि भी हो सकती है जारी : प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नए सचिवों में इक्का-दुक्का नाम को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर नाम अशोक गहलोत खेमे से हैं. कुल मिलाकर इस सूची से पायलट गुट को लगभग दूर रखा गया है. वहीं अब जल्द जिला अध्यक्षों की घोषणा की जा सकती है, जो आगामी विधानसभा चुनाव के नजरिए से अहम रहने वाले हैं. यदि जिला अध्यक्षों की सूची भी गहलोत-पायलट के द्वंद से प्रेरित रही, तो इसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ सकता है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस बार मिशन 156 लेकर चल रहे हैं. ऐसे में देखना होगा की प्रदेश कांग्रेस की नई कार्यकारिणी के साथ गहलोत अपनी सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं को मतदाता तक पहुंचाने में और उसे कांग्रेस के वोट में तब्दील करने में कितने कामयाब होते हैं.