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सचिवालय कूच करने वाले मंत्रालयिक कर्मचारियों को पुलिस ने रोका, जमकर हुई धक्का-मुक्की

अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सचिवालय कूच करने वाले मंत्रालयिक कर्मचारियों को पुलिस ने सी-स्कीम चौराहे पर रोका दिया. इसके बाद मंत्रालयिक कर्मचारियों और पुलिस के बीच जमकर (Police stopped ministerial employees) धक्का-मुक्की हुई.

Police stopped ministerial employees
Police stopped ministerial employees
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Published : Jun 12, 2023, 3:49 PM IST

मंत्रालयिक कर्मचारियों पर पुलिस ने भांजी लाठी

जयपुर. बीते 64 दिन से आंदोलनरत मंत्रालयिक कर्मचारियों ने सोमवार को शासन सचिवालय की ओर कूच किया. इस दौरान पुलिस प्रशासन ने कर्मचारियों को सी-स्कीम चौराहे पर ही रोक दिया, जहां कर्मचारियों और पुलिस के बीच जमकर धक्का-मुक्की हुई. साथ ही हालात को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठियां भांजी. वहीं, स्थिति सामान्य होने पर सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को सचिवालय के मुख्य सचिव से वार्ता के लिए ले जाया गया.

दरअसल, सीएमआर में मुख्यमंत्री के मौजूद न होने पर मंत्रालयिक कर्मचारियों ने सचिवालय की ओर कूच किया, लेकिन सी-स्कीम चौराहे पर तैनात पुलिस जाप्ते ने उन्हें रोक दिया. इस दौरान कर्मचारियों और पुलिस के बीच जमकर धक्का-मुक्की भी हुई. ऐसे में स्थिति पर काबू पाने के लिए पुलिस की ओर से हल्का बल प्रयोग किया गया. इस दौरान कुछ कर्मचारी पेड़ पर चढ़कर नारेबाजी करते नजर आए.

इससे पहले राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष राज सिंह चौधरी ने कहा कि कर्मचारी 64 दिन से लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन सरकार के कान तले जूं तक नहीं रेंग रही है. कई बार वार्ता भी हो चुकी है, लेकिन आश्वासन के अलावा और कुछ हासिल नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि मौजूदा आलम यह है कि खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जोधपुर में मंत्रालयिक कर्मचारियों से वार्ता करते हुए दो दिन में मांगों पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया था. खैर, उसे भी अब 15 दिन बीत चुके हैं. आंधी, तूफान, बारिश में भी मंत्रालयिक कर्मचारी टस से मस नहीं हुए और इस तेज गर्मी में भी कर्मचारी सड़क पर डटे हुए हैं.

इसे भी पढ़ें - मंत्रालयिक कर्मचारियों का फूटा गुस्सा, RTDC चेयरमैन को घेरा...कल लेंगे जल समाधि

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि इस बार कर्मचारी खाली हाथ नहीं जाएंगे. 3 दिन में सरकार सुनवाई करे अन्यथा मंत्रालयिक कर्मचारी दिल्ली कूच करेंगे और दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात कर विरोध दर्ज कराएंगे. वहीं, मंत्रालयिक कर्मचारी उषा शर्मा ने कहा कि यूडीसी की 2800 ग्रेड पे है, जिसके स्थान पर 3600 ग्रेड पे की जाए. 2013 में किए गए प्रारंभिक वेतन 9840 को पुनर्बहाल करना और समकक्ष कैडर की योग्यता स्नातक करने जैसी मांगे हैं. यदि सरकार हमें खाली हाथ भेजेगी तो उन्हें आगे इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे.

आंदोलनरत मंत्रालयिक कर्मचारियों की प्रमुख मांगें

  1. - पदोन्नति के प्रथम पद वरिष्ठ सहायक की ग्रेड पे 2800 के स्थान पर 3600 की जाए. सहायक प्रशासनिक अधिकारी की ग्रेड पे 4200, अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी (राजपत्रित अधिकारी) की ग्रेड पे 4800, प्रशासनिक अधिकारी की ग्रेड पे 6600 और संस्थापन अधिकारी की ग्रेड पे 7600 की जाए.
  2. - वर्ष 2013 में किए गए प्रारम्भिक वेतन 9840 को पुनर्स्थापित किया जाए.
  3. - समकक्ष अन्य कैडर की योग्यता स्नातक की जाए.
  4. - पंचायती राज संस्थाओं में अधीनस्थ विभागों के लिए तय मानदण्डों के अनुसार पदोन्नति के पद सृजित किए जाएं.
  5. - अधीनस्थ मंत्रालयिक संवर्ग में वरिष्ठ सहायक एवं कनिष्ठ सहायक के पदों का नॉर्मस कुल पदों का 31 और 40 प्रतिशत किया जाए.
  6. - राज्य और अधीनस्थ सेवाओं में मंत्रालयिक संवर्ग के लिए 25 प्रतिशत पदोन्नति का कोटा और सीधी भर्ती में 12.5 प्रतिशत कोटा निर्धारित किया जाए.

मंत्रालयिक कर्मचारियों पर पुलिस ने भांजी लाठी

जयपुर. बीते 64 दिन से आंदोलनरत मंत्रालयिक कर्मचारियों ने सोमवार को शासन सचिवालय की ओर कूच किया. इस दौरान पुलिस प्रशासन ने कर्मचारियों को सी-स्कीम चौराहे पर ही रोक दिया, जहां कर्मचारियों और पुलिस के बीच जमकर धक्का-मुक्की हुई. साथ ही हालात को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठियां भांजी. वहीं, स्थिति सामान्य होने पर सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को सचिवालय के मुख्य सचिव से वार्ता के लिए ले जाया गया.

दरअसल, सीएमआर में मुख्यमंत्री के मौजूद न होने पर मंत्रालयिक कर्मचारियों ने सचिवालय की ओर कूच किया, लेकिन सी-स्कीम चौराहे पर तैनात पुलिस जाप्ते ने उन्हें रोक दिया. इस दौरान कर्मचारियों और पुलिस के बीच जमकर धक्का-मुक्की भी हुई. ऐसे में स्थिति पर काबू पाने के लिए पुलिस की ओर से हल्का बल प्रयोग किया गया. इस दौरान कुछ कर्मचारी पेड़ पर चढ़कर नारेबाजी करते नजर आए.

इससे पहले राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष राज सिंह चौधरी ने कहा कि कर्मचारी 64 दिन से लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन सरकार के कान तले जूं तक नहीं रेंग रही है. कई बार वार्ता भी हो चुकी है, लेकिन आश्वासन के अलावा और कुछ हासिल नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि मौजूदा आलम यह है कि खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जोधपुर में मंत्रालयिक कर्मचारियों से वार्ता करते हुए दो दिन में मांगों पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया था. खैर, उसे भी अब 15 दिन बीत चुके हैं. आंधी, तूफान, बारिश में भी मंत्रालयिक कर्मचारी टस से मस नहीं हुए और इस तेज गर्मी में भी कर्मचारी सड़क पर डटे हुए हैं.

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उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि इस बार कर्मचारी खाली हाथ नहीं जाएंगे. 3 दिन में सरकार सुनवाई करे अन्यथा मंत्रालयिक कर्मचारी दिल्ली कूच करेंगे और दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात कर विरोध दर्ज कराएंगे. वहीं, मंत्रालयिक कर्मचारी उषा शर्मा ने कहा कि यूडीसी की 2800 ग्रेड पे है, जिसके स्थान पर 3600 ग्रेड पे की जाए. 2013 में किए गए प्रारंभिक वेतन 9840 को पुनर्बहाल करना और समकक्ष कैडर की योग्यता स्नातक करने जैसी मांगे हैं. यदि सरकार हमें खाली हाथ भेजेगी तो उन्हें आगे इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे.

आंदोलनरत मंत्रालयिक कर्मचारियों की प्रमुख मांगें

  1. - पदोन्नति के प्रथम पद वरिष्ठ सहायक की ग्रेड पे 2800 के स्थान पर 3600 की जाए. सहायक प्रशासनिक अधिकारी की ग्रेड पे 4200, अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी (राजपत्रित अधिकारी) की ग्रेड पे 4800, प्रशासनिक अधिकारी की ग्रेड पे 6600 और संस्थापन अधिकारी की ग्रेड पे 7600 की जाए.
  2. - वर्ष 2013 में किए गए प्रारम्भिक वेतन 9840 को पुनर्स्थापित किया जाए.
  3. - समकक्ष अन्य कैडर की योग्यता स्नातक की जाए.
  4. - पंचायती राज संस्थाओं में अधीनस्थ विभागों के लिए तय मानदण्डों के अनुसार पदोन्नति के पद सृजित किए जाएं.
  5. - अधीनस्थ मंत्रालयिक संवर्ग में वरिष्ठ सहायक एवं कनिष्ठ सहायक के पदों का नॉर्मस कुल पदों का 31 और 40 प्रतिशत किया जाए.
  6. - राज्य और अधीनस्थ सेवाओं में मंत्रालयिक संवर्ग के लिए 25 प्रतिशत पदोन्नति का कोटा और सीधी भर्ती में 12.5 प्रतिशत कोटा निर्धारित किया जाए.
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