ETV Bharat / state

पुलिस ने पांच दिन अवैध हिरासत में रखा, हाईकोर्ट ने डीजीपी को किया तलब - High court strict on illegal custody case

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को अवैध रूप से पांच दिन तक पुलिस हिरासत में रखने पर डीजीपी को तीन जनवरी को पेश होकर स्पष्टीकरण देने को कहा है. साथ ही अदालत ने डीजीपी से पुलिस में अनुशासन बनाए रखने और अवैध हिरासत में रखने की हरकतों को रोकने के उपाय और अपनी राय बताने को कहा है.

हाईकोर्ट ने डीजीपी को किया तलब, High court summoned DGP
हाईकोर्ट ने डीजीपी को किया तलब
author img

By

Published : Dec 4, 2019, 8:28 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को अवैध रूप से पांच दिन तक पुलिस हिरासत में रखने पर डीजीपी को तीन जनवरी को पेश होकर स्पष्टीकरण देने को कहा है. अदालत ने डीजीपी से पुलिस में अनुशासन बनाए रखने और भविष्य में अवैध हिरासत में रखने की हरकतों को रोकने के उपाय के साथ ही अपनी राय बताने को कहा है. न्यायाधीश महेन्द्र माहेश्वरी और न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार की खंडपीठ ने यह आदेश आरिफ की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर दिए.

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता का अपनी पत्नी से विवाद चल रहा है. फैमिली कोर्ट ने याचिकाकर्ता को बेटे की कस्टडी अपनी पत्नी को सौंपने के निर्देश दिए थे. प्रतापनगर थाना पुलिस इसी आदेश की पालना करवाने के लिए उसके घर पहुंची तो वह अपने बेटे को लेकर गायब हो गया था.

पढ़ें- भाजपा नहीं छोड़ रही हूं, 12 दिसंबर को दूंगी जानकारी : पंकजा मुंडे

इस पर पुलिस ने याचिकाकर्ता पर दबाव बनाने के लिए सवाईमाधोपुर के गंगापुर सिटी में रहने वाले और चाय की दुकान चलाने वाले उसके बहनोई युनूस खान को 17 नवंबर को जबरन उठा लिया. इसकी जानकारी मिलने पर याचिकाकर्ता ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी.

हाईकोर्ट की ओर से जारी नोटिस प्रतापनगर थाने को 21 नवंबर को मिला और पुलिस ने अगले दिन 22 नवंबर को युनूस खान को छोड़ दिया. सुनवाई के दौरान प्रतापनगर थाना पुलिस की ओर से अदालत में युनूस खान को पूछताछ के लिए लाना और करीब सात-आठ घंटे बाद छोड़ना स्वीकार किया गया. जबकि, याचिकाकर्ता का कहना है कि पुलिस ने युनूस को पांच दिन तक हिरासत में रखा.

लेकिन रोजनामचे में इसकी एंट्री नहीं की गई. इसके अलावा प्रतापनगर थाना पुलिस ने उसे लाने से पहले गंगापुर सिटी की स्थानीय पुलिस को सूचना भी नहीं दी. इस पर अदालत ने डीजीपी को तीन जनवरी को व्यक्तिगत तौर पर हाजिर होकर अवैध हिरासत में रखने की घटनाओं को रोकने के तरीके और अपनी राय बताने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को अवैध रूप से पांच दिन तक पुलिस हिरासत में रखने पर डीजीपी को तीन जनवरी को पेश होकर स्पष्टीकरण देने को कहा है. अदालत ने डीजीपी से पुलिस में अनुशासन बनाए रखने और भविष्य में अवैध हिरासत में रखने की हरकतों को रोकने के उपाय के साथ ही अपनी राय बताने को कहा है. न्यायाधीश महेन्द्र माहेश्वरी और न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार की खंडपीठ ने यह आदेश आरिफ की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर दिए.

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता का अपनी पत्नी से विवाद चल रहा है. फैमिली कोर्ट ने याचिकाकर्ता को बेटे की कस्टडी अपनी पत्नी को सौंपने के निर्देश दिए थे. प्रतापनगर थाना पुलिस इसी आदेश की पालना करवाने के लिए उसके घर पहुंची तो वह अपने बेटे को लेकर गायब हो गया था.

पढ़ें- भाजपा नहीं छोड़ रही हूं, 12 दिसंबर को दूंगी जानकारी : पंकजा मुंडे

इस पर पुलिस ने याचिकाकर्ता पर दबाव बनाने के लिए सवाईमाधोपुर के गंगापुर सिटी में रहने वाले और चाय की दुकान चलाने वाले उसके बहनोई युनूस खान को 17 नवंबर को जबरन उठा लिया. इसकी जानकारी मिलने पर याचिकाकर्ता ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी.

हाईकोर्ट की ओर से जारी नोटिस प्रतापनगर थाने को 21 नवंबर को मिला और पुलिस ने अगले दिन 22 नवंबर को युनूस खान को छोड़ दिया. सुनवाई के दौरान प्रतापनगर थाना पुलिस की ओर से अदालत में युनूस खान को पूछताछ के लिए लाना और करीब सात-आठ घंटे बाद छोड़ना स्वीकार किया गया. जबकि, याचिकाकर्ता का कहना है कि पुलिस ने युनूस को पांच दिन तक हिरासत में रखा.

लेकिन रोजनामचे में इसकी एंट्री नहीं की गई. इसके अलावा प्रतापनगर थाना पुलिस ने उसे लाने से पहले गंगापुर सिटी की स्थानीय पुलिस को सूचना भी नहीं दी. इस पर अदालत ने डीजीपी को तीन जनवरी को व्यक्तिगत तौर पर हाजिर होकर अवैध हिरासत में रखने की घटनाओं को रोकने के तरीके और अपनी राय बताने को कहा है.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को अवैध रूप से पांच दिन तक पुलिस हिरासत में रखने पर डीजीपी को तीन जनवरी को पेश होकर स्पष्टीकरण देने को कहा है। अदालत ने डीजीपी से पुलिस में अनुशासन बनाए रखने और भविष्य में अवैध हिरासत में रखने की हरकतों को रोकने के उपाय व अपनी राय बताने को कहा है। न्यायाधीश महेन्द्र माहेश्वरी और न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार की खंडपीठ ने यह आदेश आरिफ की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर दिए।Body:याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता का अपनी पत्नी से विवाद चल रहा है। फैमिली कोर्ट ने याचिकाकर्ता को बेटे की कस्टडी अपनी पत्नी को सौंपने के निर्देश दिए थे। प्रतापनगर थाना पुलिस इसी आदेश की पालना करवाने के लिए उसके घर पहुंची तो वह अपने बेटे को लेकर गायब हो गया था। इस पर पुलिस ने याचिकाकर्ता पर दबाव बनाने के लिए सवाईमाधोपुर के गंगापुर सिटी में रहने वाले और चाय की दुकान चलाने वाले उसके बहनोई युनूस खान को 17 नवंबर को जबरन उठा लाई। इसकी जानकारी मिलने पर याचिकाकर्ता ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट की ओर से जारी नोटिस प्रतापनगर थाने को 21 नवंबर को मिले और पुलिस ने अगले दिन 22 नवंबर को युनूस खान को छोड़ दिया। सुनवाई के दौरान प्रतापनगर थाना पुलिस की ओर से अदालत में युनूस खान को पूछताछ के लिए लाना और करीब सात-आठ घंटे बाद ही छोडना स्वीकार किया। जबकि याचिकाकर्ता का कहना है कि पुलिस ने युनूस को पांच दिन तक हिरासत में रखा, लेकिन रोजनामचे में इसकी एंट्री नहीं की गई। इसके अलावा प्रतापनगर थाना पुलिस ने उसे लाने से पहले गंगापुर सिटी की स्थानीय पुलिस को सूचना भी नहीं दी। इस पर अदालत ने डीजीपी को तीन जनवरी को व्यक्तिगत तौर पर हाजिर होकर अवैध हिरासत में रखने की घटनाओं को रोकने के तरीके और अपनी राय बताने को कहा है।Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.