ETV Bharat / state

जयपुर की चकाचौंध में गुम हुआ विकास...बुनियादी सुविधाओं को तरसे शिश्यावास के लोग... न सरकार सुन रही, न प्रशासन - jaipur news

21वीं सदी में राजस्थान विकास के नए शिखर को छू रहा है. नित नए अविष्कार आमजन के जीवन को सरल बना रहे हैं. इन सब के बीच प्रदेश की राजधानी जयपुर से सटा एक गांव शिश्यावास आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है. इस गांव की दहलीज तक अब तक विकास की रोशनी नहीं पहुंच सकी है. हालात यह है कि सुविधाओं के अभाव को नियती मानकर लोग एक-एक दिन काट रहे हैं.

जयपुर का शिश्यावास गांव , Shishyawas village of Jaipu
सुविधाओं को तरसे शिश्यावास के लोग
author img

By

Published : Nov 8, 2021, 7:35 PM IST

Updated : Nov 9, 2021, 10:34 PM IST

जयपुर. प्रदेश की राजधानी जयपुर जिले का गांव शिश्यावास तक 'विकास की पगडंडी' नहीं पहुंच सकी है. इस गांव में रहने वाले लोगों को सड़क, बिजली, पानी, चिकित्सा और शिक्षा के बुनियादी मुद्दों से हर दिन दो-चार होना पड़ता है. हालात यह है कि इस गांव में अब तक चिकित्सा की सुविधा तक भी नहीं पहुंची है.

राजधानी से महज 15 किलोमीटर दूर बसा शिश्यावास गांव में आज 21वीं सदी में भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. इस गांव के महिला-पुरुष भी पैदल चलकर जंगलों के रास्तों से मजदूरी करने के लिए दूरदराज शहरी क्षेत्रों में जाते हैं. गांव में रहने वाले लोगों ने सरकारी दावों और वादें तो हर बरस देखे और सुने, लेकिन इन वादों की गूंज महज चुनाव प्रचार या कार्यक्रम की दहलीज से बाहर नहीं निकल सकी.

सुविधाओं को तरसे शिश्यावास के लोग

पढ़ें. सरकारी कर्मचारियों संग मारपीट की घटनाएं बढ़ीं, साल दर साल हुआ इजाफा...सुरक्षा गारंटी कानून लाने की उठ रही मांग

गांव में मूलभूत सुविधाओं की बाट जोह रहे ग्रामीणों को हर कदम एक नई चुनौती का सामना करना पड़ता है. गांव में किसी तबीयत खराब हो जाए तो उसे इलाज के लिए आमेर के सीएससी अस्पताल या फिर सवाई मानसिंह अस्पताल लेकर जाना पड़ता है.

अस्पताल तक जाने के लिए भी किसी प्रकार की परिवहन सुविधाएं नहीं हैं. जंगल के बीच बसे गांव के चारों तरफ जंगली जानवरों का खतरा रहता है. ग्रामीणों ने कई बार सरकार और प्रशासन से गांव के विकास को लेकर गुहार लगाई. लेकिन इनकी गुहार पर अब तक नेताओं से लेकर सरकारी नुमाइंदों का ध्यान नहीं गया है. आमेर राज्य पर कच्छवाहा वंश से पूर्व मीणाओं का शासन रहा था. 900 ईस्वी से मीणाओं का शासन बताया जाता है. तब से ही शीश्यावास गांव बसा हुआ है. 21वीं सदी में भी इस गांव के ग्रामीण सरकारी सुविधाओं के अभाव में जीवन व्यापन करने को मजबूर हैं.

जयपुर का शिश्यावास गांव , Shishyawas village of Jaipu
स्कूल के बेहतर व्यवस्था नहीं

पढ़ें. उदयपुर टूरिज्म : झीलों की नगरी घूमने पड़ोसी राज्यों से आ रहे पर्यटक..होटल में रूम के लिए दिखाना पड़ रहा वैक्सीन सर्टिफिकेट

बीमार हो गए तो ले जाना भी मुश्किल

ग्रामीणों ने बताया कि अगर गांव में कोई बीमार हो जाता है या महिला को प्रसव पीड़ा होती है तो आमेर शहर या जयपुर शहर में जाना पड़ता है. परिवहन के साधन उपलब्ध नहीं है, ऐसे में कई बार पैदल ही जंगल से जाना पड़ता है. रास्ते में जंगली जानवरों का डर भी रहता है. सरकार और प्रशासन की ओर से गांव पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है.गांव में आने जाने के लिए पक्की सड़क भी नहीं है, ना ही कोई साधन की व्यवस्था है. पैदल ही अस्पताल जाना पड़ जाता है.गांव में एंबुलेंस भी नहीं पहुंचती है.

खतरों को पार करके जाते हैं स्कूल

गांव में केवल 1 प्राथमिक विद्यालय है जो कि टीन शेड के नीचे चलता है. बच्चे कई किलोमीटर दूर जंगल और पहाड़ों का सफर तय करके स्कूल जाते हैं. 5वीं से ऊपर पढ़ने के लिए बच्चों को 5 किलोमीटर का खौफनाक रास्ता तय करना पड़ता है. गांव का रास्ता पथरीला है. ग्रामीणों का कहना है कि वोट लेने के लिए तो जनप्रतिनिधि गांव में आते हैं. लेकिन चुनाव होने के बाद कोई भी गांव में आकर नहीं देता है.

जयपुर. प्रदेश की राजधानी जयपुर जिले का गांव शिश्यावास तक 'विकास की पगडंडी' नहीं पहुंच सकी है. इस गांव में रहने वाले लोगों को सड़क, बिजली, पानी, चिकित्सा और शिक्षा के बुनियादी मुद्दों से हर दिन दो-चार होना पड़ता है. हालात यह है कि इस गांव में अब तक चिकित्सा की सुविधा तक भी नहीं पहुंची है.

राजधानी से महज 15 किलोमीटर दूर बसा शिश्यावास गांव में आज 21वीं सदी में भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. इस गांव के महिला-पुरुष भी पैदल चलकर जंगलों के रास्तों से मजदूरी करने के लिए दूरदराज शहरी क्षेत्रों में जाते हैं. गांव में रहने वाले लोगों ने सरकारी दावों और वादें तो हर बरस देखे और सुने, लेकिन इन वादों की गूंज महज चुनाव प्रचार या कार्यक्रम की दहलीज से बाहर नहीं निकल सकी.

सुविधाओं को तरसे शिश्यावास के लोग

पढ़ें. सरकारी कर्मचारियों संग मारपीट की घटनाएं बढ़ीं, साल दर साल हुआ इजाफा...सुरक्षा गारंटी कानून लाने की उठ रही मांग

गांव में मूलभूत सुविधाओं की बाट जोह रहे ग्रामीणों को हर कदम एक नई चुनौती का सामना करना पड़ता है. गांव में किसी तबीयत खराब हो जाए तो उसे इलाज के लिए आमेर के सीएससी अस्पताल या फिर सवाई मानसिंह अस्पताल लेकर जाना पड़ता है.

अस्पताल तक जाने के लिए भी किसी प्रकार की परिवहन सुविधाएं नहीं हैं. जंगल के बीच बसे गांव के चारों तरफ जंगली जानवरों का खतरा रहता है. ग्रामीणों ने कई बार सरकार और प्रशासन से गांव के विकास को लेकर गुहार लगाई. लेकिन इनकी गुहार पर अब तक नेताओं से लेकर सरकारी नुमाइंदों का ध्यान नहीं गया है. आमेर राज्य पर कच्छवाहा वंश से पूर्व मीणाओं का शासन रहा था. 900 ईस्वी से मीणाओं का शासन बताया जाता है. तब से ही शीश्यावास गांव बसा हुआ है. 21वीं सदी में भी इस गांव के ग्रामीण सरकारी सुविधाओं के अभाव में जीवन व्यापन करने को मजबूर हैं.

जयपुर का शिश्यावास गांव , Shishyawas village of Jaipu
स्कूल के बेहतर व्यवस्था नहीं

पढ़ें. उदयपुर टूरिज्म : झीलों की नगरी घूमने पड़ोसी राज्यों से आ रहे पर्यटक..होटल में रूम के लिए दिखाना पड़ रहा वैक्सीन सर्टिफिकेट

बीमार हो गए तो ले जाना भी मुश्किल

ग्रामीणों ने बताया कि अगर गांव में कोई बीमार हो जाता है या महिला को प्रसव पीड़ा होती है तो आमेर शहर या जयपुर शहर में जाना पड़ता है. परिवहन के साधन उपलब्ध नहीं है, ऐसे में कई बार पैदल ही जंगल से जाना पड़ता है. रास्ते में जंगली जानवरों का डर भी रहता है. सरकार और प्रशासन की ओर से गांव पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है.गांव में आने जाने के लिए पक्की सड़क भी नहीं है, ना ही कोई साधन की व्यवस्था है. पैदल ही अस्पताल जाना पड़ जाता है.गांव में एंबुलेंस भी नहीं पहुंचती है.

खतरों को पार करके जाते हैं स्कूल

गांव में केवल 1 प्राथमिक विद्यालय है जो कि टीन शेड के नीचे चलता है. बच्चे कई किलोमीटर दूर जंगल और पहाड़ों का सफर तय करके स्कूल जाते हैं. 5वीं से ऊपर पढ़ने के लिए बच्चों को 5 किलोमीटर का खौफनाक रास्ता तय करना पड़ता है. गांव का रास्ता पथरीला है. ग्रामीणों का कहना है कि वोट लेने के लिए तो जनप्रतिनिधि गांव में आते हैं. लेकिन चुनाव होने के बाद कोई भी गांव में आकर नहीं देता है.

Last Updated : Nov 9, 2021, 10:34 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.