बीकानेर. इस साल का दूसरा ग्रहण और साल का पहला चंद्रग्रहण 5 मई को है. हालांकि पहले सूर्यग्रहण की तरह यह भी भारत में नजर नहीं आएगा. इसलिए इसका प्रभाव भारत में नहीं होगा. शुक्रवार को चंद्रग्रहण रात 8 बजकर 45 मिनट से प्रारंभ होगा. इसे भारत में नहीं देखा जा सकेगा. यह चंद्र ग्रहण यूरोप, मध्य एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, अटलांटिक, हिंद महासागर और अंटार्कटिका जैसी जगहों पर दिखाई देगा. चंद्रग्रहण की अवधि रात 8 बजकर 45 मिनट से लेकर मध्य रात्रि करीब 1 बजकर 02 मिनट तक रहेगी.
2023 का पहला चंद्रग्रहण वैशाख शुक्ल पूर्णिमा के दिन है. पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच आती है तो चंद्रग्रहण होता है वहीं शास्त्र अनुसार राहु चंद्रमा को ग्रसित करने से चंद्रग्रहण योग बनता है. ग्रहण से पहले इसका सूतक काल लगता है. चंद्रग्रहण से पहले लगने वाले सूतक की अवधि को शुभ नहीं माना जाता है. पूर्णिमा के दिन अपने पूर्वजों के निमित्त पूजा पाठ करना चाहिए और दान पुण्य करना चाहिए. इससे पितर प्रसन्न होते हैं और घर में सुख शांति रहती है.
पढ़ेंः Chandra Grahan : चंद्रग्रहण के दौरान गर्भवती बरतें विशेष सावधानी
ना करें ये कामः इस बार का चंद्रग्रहण उपच्छाया चंद्रग्रहण है. ग्रहण काल में भगवान की प्रतिमा को हाथ लगाना वर्जित कहा गया है, लेकिन इस दौरान पाठ-पूजा की जा सकती है. लेकिन इस बार क्योंकि यह चंद्रग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा. इसलिए किसी भी प्रकार की मनाही या रोकटोक नहीं है. ग्रहण के दौरान भोजन करने, सोने और पानी पीने से भी बचना चाहिए. गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान रखना चाहिए. किसी भी प्रकार की नुकीली धारदार चीज इस दौरान गर्भवती महिलाओं को हाथ में नहीं लेनी चाहिए.
दूसरा चंद्रग्रहण 29 अक्टूबर कोः इस साल 2023 में कुल 4 ग्रहण हैं, जिनमें एक सूर्य ग्रहण पहले हो चुका है. वहीं दूसरा चंद्रग्रहण 5 मई को होगा और साल का दूसरा सूर्यग्रहण 14 अक्टूबर को और साल का अंतिम और दूसरा चंद्रग्रहण 29 अक्टूबर को होगा. यह ग्रहण रात 1 बजकर 6 मिनट से प्रारंभ होगा और 2 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगा. यह एक पूर्ण चंद्रग्रहण होगा. भारत में साल का आखिरी चंद्रग्रहण दिखने के कारण सूतक काल मान्य होगा.
पढ़ेंः चंद्रग्रहण, सुपर मून और ब्लड मून, एक साथ होने वाला है सबका दीदार
ग्रहण के दौरान करें ये कामः पञ्चांगकर्ता पं राजेंद्र किराडू ने बताया कि 5 मई को चंद्रग्रहण का असर भारत में नहीं होगा, लेकिन फिर भी ग्रहण काल में यदि कोई पाठ-पूजा करता है तो उसका फल मिलता है. किराडू कहते हैं कि ग्रहण काल के दौरान निरंतर हवन करना चाहिए. इस दौरान भगवान विष्णु के मंत्र ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करते हुए हवन में आहुति देनी चाहिए. धर्म शास्त्रों के अनुसार ग्रहण काल के बाद पवित्र नदी में स्नान के बाद दान करना चाहिए. ग्रहण काल में इष्टदेव का ध्यान करना चाहिए.