चाकसू (जयपुर). रूपाहेड़ी कलां गांव पहाड़ी पर स्थित प्राचीन मनसापूर्ण माता (Mansa mata mandir in chaksu) के मंदिर में चैत्र नवरात्रि की अष्टमी को वार्षिक मेला आयोजित हुआ. मेले में प्रशासन और ग्रामपंचायत की ओर चाक-चौबंद व्यवस्थाएं रहीं. कोरोना के चलते 2 साल बाद इस मेले का आयोजन किया गया. मेले में कई समाजों की गोठियां, कुश्ती दंगल, ऊंट और घुड़सवार दौड़, कई तरह की प्रतियोगिताएं और मनोरंजन के संसधान लोगों को लुभा रहे थे. शनिवार को एक दिवसीय वार्षिक मेला शांतिपूर्वक संपन्न हुआ. मंदिर परिसर में अल सुबह से ही भक्तों की भीड़ लग गई थी.
आसपास क्षेत्र के हजारों भक्तों ने माता को खीर, माल-पुआ, पुरी का भोग लगाया. इसके साथ ही भक्तों ने अपने परिवार को आपदाओं, अनिष्ठों से बचाने और परिवार की खुशहाली की मन्नत मांगी. कोविड-19 के चलते 2 वर्ष बाद मनसा माता का मेला लगने से क्षेत्र के लोगों में उत्साह देखा गया. आसपास के करीब 40 से 50 गांव के लोगों ने माता के दरबार में हाजिरी लगाकर फसलों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने की मन्नत मांगी. मान्यता है कि मनसा माता क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं जैसे ओलावृष्टि आदि से रक्षा करती हैं. मेले में कानून व्यवस्था को लेकर प्रशासन की ओर से कड़े इंतजाम किए गए थे. वहीं शांति व्यवस्था को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस जाप्ता भी तैनात किया गया.
3 हजार वर्ष पुराना है मनसा माता का मंदिर: रूपाहेड़ी कलां गांव स्थित पहाड़ी पर बना मंदिर करीब 3 हजार वर्ष पुराना है. मंदिर के पुजारी पवन कुमार राजवंशी ने बताया कि लखी बंजारा मनसा माता की पूजा के लिए सोने का कचोले मे पूजापा लेकर आया था. गुफा के पास बने कुएं मे उसका सोने का कचोला गिर गया, जिससे वो निराश हो गया. अगले दिन माता रानी ने बंजारे के सपने मे आकर उसे कहा की निवाई चला जा वहा कुंड में तेरा कचोला मिल जाएगा.
बंजारा जल्दी सुबह निवाई पहुंचा और कुंड में जाकर देखा तो उसका सोने का कचोला तैरता हुआ नजर आया. अपना कचोला लेकर वो सीधे मनसा माता मंदिर परिसर पहुंच गया और आसपास के ग्रामीणों को इसकी जानकारी दी. उसके बाद से लोगों में माता के प्रति आस्था बढ़ती गई. 3 हजार साल पहले बने मनसा माता के मंदिर में पहले माली समाज के लोग माता रानी की पूजा करते थे. लेकिन करीब 500 वर्षों से हमारे वंशज राज बलाई पूजा करते आ रहे हैं.
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600 सीढ़ियां चढ़कर करते हैं दर्शन: मनसा माता का मंदिर कोटखावदा तुंगा सड़क मार्ग पर रूपाहेड़ी कलां में पहाड़ी की 500 मीटर ऊंची चोटी पर एक गुफा में बना हुआ है. पहले मंदिर परिसर में जाने के लिए पहाड़ी रास्ते से होकर जाना पड़ता था. लेकिन जैसे-जैसे भक्तों की मन्नते पूरी होती गईं, उन्होंने मंदिर परिसर तक सीढ़ियां बनवा दी. माता रानी के दर्शन के लिए 600 सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता है.
मेले में चाक-चौबंद रहा प्रशासन: मनसा माता मंदिर परिसर में लगने वाले मेले को (Navratra ashtami mela in chaksu) लेकर प्रशासन पूरी तरह चाक चौबंद रहा. मेला मजिस्ट्रेट उपखंड अधिकारी चाकसू गोवर्धन लाल शर्मा, सहायक पुलिस उपायुक्त चाकसू के अवस्थी, सदर थाना अधिकारी बृजमोहन कविया और डीसीपी जयपुर मृदुल कच्छवा ने भी मेले का जायजा लिया. कानून व्यवस्था भंग करने वालों के खिलाफ सख्ती से पेश आने के निर्देश थे.