जयपुर. कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे से जुड़े मामले में विधानसभा सचिव की ओर से सोमवार को हाईकोर्ट में जवाब पेश किया गया. इसमें कहा गया कि 81 विधायकों ने 13 जनवरी 2023 को स्पीकर के समक्ष पेश होकर कहा कि उनकी ओर से पूर्व में दिए इस्तीफे स्वेच्छा से नहीं दिए गए थे. ऐसे में कानून की नजर में ये इस्तीफे कोई महत्व नहीं रखते हैं. इसलिए इन इस्तीफों को खारिज किया गया था.
वहीं अदालत ने विधानसभा सचिव के जवाब पर याचिकाकर्ता को जवाब पेश करने के लिए 13 फरवरी तक का समय दिया है. सीजे पंकज मित्थल और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ की जनहित याचिका पर दिया है. विधानसभा स्पीकर की ओर से अपने जवाब में कहा गया कि दिए गए सभी त्यागपत्रों में विधानसभा क्षेत्र का नाम और विभाजन संख्या के अलावा शेष तथ्य मशीनी अंदाज में एक समान लिखे गए थे.
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विधायकों ने अपने त्यागपत्र अलग-अलग नहीं दिए थे और छह विधायकों ने ही पेश होकर सभी के त्यागपत्र सामूहिक रूप से पेश किए थे. जवाब में बताया गया कि गत 25 सितंबर को विधायक महेश जोशी, महेन्द्र चौधरी, संयम लोढ़ा, शांति धारीवाल और रफीक खां सहित विधायक रामलाल जाट ने स्वयं के साथ ही 81 विधायकों के त्यागपत्र सामूहिक रूप से स्पीकर के समक्ष प्रस्तुत किए थे. इन त्यागपत्रों में विधायक अमित चाचाण, गोपाल लाल मीणा, चेतन सिंह चौधरी, दानिश अबरार और सुरेश टांक के त्यागपत्रों की फोटो कॉपी पेश की गई थी.
विधानसभा प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम 173(4) के तहत कोई सदस्य स्पीकर की ओर से स्वीकार किए जाने से पहले अपना त्यागपत्र वापस ले सकता है. इसके अलावा विधायक का त्यागपत्र स्वीकार करने के बाद ही सदन में उसका स्थान रिक्त होता है. प्रकरण संविधान की 10वीं अनुसूची में नहीं होने के कारण कोर्ट इसमें दखल नहीं कर सकता है.
सुनवाई के दौरान स्पीकर की ओर से अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि याचिका में गुहार की गई है कि स्पीकर को इस्तीफे तय करने के निर्देश दिए जाएं. अब क्योंकि स्पीकर इस्तीफों को तय कर चुके हैं तो इस याचिका को खारिज किया जाए. इसके अलावा उन्होंने कहा कि यह जनहित का मुद्दा ना होकर राजनीति से प्रेरित होकर याचिका पेश की गई है.
इसलिए भी कोर्ट को याचिका खारिज करनी चाहिए. ऐसे में अदालत ने कहा कि इस्तीफों पर निर्णय लेने के लिए कोई तय समय अवधि होनी चाहिए. इस पर सिंघवी ने कहा कि स्पीकर सदन का मास्टर होता है और प्रकरण 10वीं अनुसूची का भी नहीं है. वहीं याचिकाकर्ता राजेन्द्र राठौड़ की ओर से कहा गया कि उन्हें आज ही जवाब की कॉपी दी गई है. इसलिए उन्हें इसका अध्ययन करने और इस पर अपना जवाब पेश करने के लिए समय दिया जाए. इस पर अदालत ने मामले पर अगली सुनवाई 13 फरवरी को तय की है.
राठौड़ ने कहा- बड़े वकील आ गए
सुनवाई के दौरान सुबह विधानसभा स्पीकर की ओर से अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल ने कहा कि प्रकरण में स्पीकर की ओर से अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी पेश होंगे. इसलिए मामले की सुनवाई भोजनावकाश के बाद रखी जाए. इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई 2.30 बजे रखी. वहीं राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि मामले में अब बडे़ वकील भी बहस के लिए आ गए हैं. इस पर सीजे ने कहा कि वकील चाहे कोई भी हो, केस के तथ्य तो वही रहने वाले हैं जो फीस वहन करने की क्षमता रखता है वह कोई भी वकील ला सकता है.