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राजस्थान में हो सकते हैं महापौर और सभापतियों के अप्रत्यक्ष चुनाव

प्रदेश के चुने हुए सभी कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों और संगठन के पदाधिकारियों से राय लेकर मंत्री धारीवाल एक रिपोर्ट तैयार करेंगे. इस ग्राउंड रिपोर्ट के आधार पर चुनाव सीधे या अप्रत्यक्ष रुप से करवाए जाएगें. इस बात का निर्णय जल्द किया जाएगा. कांग्रेस नेताओं को पहले ही अनुच्छेद- 370 के नाम पर हारने से डर सता रहा है.

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Published : Sep 21, 2019, 12:38 PM IST

Updated : Sep 21, 2019, 1:15 PM IST

जयपुर. प्रदेश में निकाय और निगम चुनाव सीधे हो या पहले की तरह अप्रत्यक्ष रुप से हो. इसे लेकर कांग्रेस के सामने अब मुसीबत खड़ी हो गई है. चुनाव कैसे हो इसे लेकर मंत्री शांति धारीवाल को एक टास्क दिया गया है. वहीं सभी चुने हुए कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों से बात करके रिपोर्ट तैयार करें कि चुनाव को किस तरीके से करवाया जाए. इस रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार तय करेगी. इस बार के निकाय चुनाव में कांग्रेस अपने निर्णय पर डटी रहना है या फिर सरकार बनने के बाद लाया गया अपना ही संशोधन वह वापस लेना है.

प्रदेश में निगम और निकाय चुनावों को लेकर कांग्रेस की नई योजना

दरअसल, राजस्थान कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में वादा किया था. अगर कांग्रेस की सरकार प्रदेश में बनती है. तब प्रदेश में निकाय और निगमों के चुनाव में शैक्षणिक देता की शर्त को हटाई जाएगी. इसके साथ ही प्रदेश में निगम और निकाय प्रमुख के चुनाव भी सीधे करवाए जाएंगे. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही गहलोत ने विधानसभा में शैक्षणिक बाध्यता की शर्त को हटाते हुए निगम के महापौर और निकाय के सभापति के चुनाव सीधे करवाने का निर्णय भी ले लिया.

पढे़ं- सवाई मान सिंह अस्पताल में ही भामाशाह योजना की उड़ती धज्जियां...डॉक्टर और मरीज के परिजन आपस में उलझे

लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस के नेताओं में यह डर सता रहा है कि कहीं सीधे चुनाव करवाने से ऐसा ना हो कि भाजपा लोकसभा चुनाव की तरह निगम और निकाय के चुनाव में भी बड़ा नुकसान कर दे. खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस बात पर प्रदेश कांग्रेस में हुई बैठक में कहा था कि वह इस बात को दिखा रहे हैं.

पढे़ं- मौसम विभाग ने पूर्वी राजस्थान के पांच जिलों में जारी किया 'ऑरेंज अलर्ट'

अब राजस्थान कांग्रेस की ओर से निकाय और निगम के चुनाव सीधे या अप्रत्यक्ष हो. इसका जिम्मा संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल को सौंपा गया है. कांग्रेस के सामने दिक्कत यह है कि अपने ही नियम को बदलाव करें तो किरकिरी होगी. लेकिन अगर नियम नहीं बदला और नेताओं के भाजपा के अनुच्छेद- 370 के नाम पर चुनाव में जीत मिलने का डर सच साबित हुआ तो कांग्रेस को ज्यादा नुकसान हो सकता है. गौरतलब है कि अप्रत्यक्ष चुनाव में मतदाता अपने प्रत्याशी का चुनाव स्वंय नहीं करते है. बल्कि उन लोगों का चुनाव करते हैं. जो इन पदों के लिए प्रत्याशियों का चुनाव करेगें.

जयपुर. प्रदेश में निकाय और निगम चुनाव सीधे हो या पहले की तरह अप्रत्यक्ष रुप से हो. इसे लेकर कांग्रेस के सामने अब मुसीबत खड़ी हो गई है. चुनाव कैसे हो इसे लेकर मंत्री शांति धारीवाल को एक टास्क दिया गया है. वहीं सभी चुने हुए कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों से बात करके रिपोर्ट तैयार करें कि चुनाव को किस तरीके से करवाया जाए. इस रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार तय करेगी. इस बार के निकाय चुनाव में कांग्रेस अपने निर्णय पर डटी रहना है या फिर सरकार बनने के बाद लाया गया अपना ही संशोधन वह वापस लेना है.

प्रदेश में निगम और निकाय चुनावों को लेकर कांग्रेस की नई योजना

दरअसल, राजस्थान कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में वादा किया था. अगर कांग्रेस की सरकार प्रदेश में बनती है. तब प्रदेश में निकाय और निगमों के चुनाव में शैक्षणिक देता की शर्त को हटाई जाएगी. इसके साथ ही प्रदेश में निगम और निकाय प्रमुख के चुनाव भी सीधे करवाए जाएंगे. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही गहलोत ने विधानसभा में शैक्षणिक बाध्यता की शर्त को हटाते हुए निगम के महापौर और निकाय के सभापति के चुनाव सीधे करवाने का निर्णय भी ले लिया.

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लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस के नेताओं में यह डर सता रहा है कि कहीं सीधे चुनाव करवाने से ऐसा ना हो कि भाजपा लोकसभा चुनाव की तरह निगम और निकाय के चुनाव में भी बड़ा नुकसान कर दे. खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस बात पर प्रदेश कांग्रेस में हुई बैठक में कहा था कि वह इस बात को दिखा रहे हैं.

पढे़ं- मौसम विभाग ने पूर्वी राजस्थान के पांच जिलों में जारी किया 'ऑरेंज अलर्ट'

अब राजस्थान कांग्रेस की ओर से निकाय और निगम के चुनाव सीधे या अप्रत्यक्ष हो. इसका जिम्मा संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल को सौंपा गया है. कांग्रेस के सामने दिक्कत यह है कि अपने ही नियम को बदलाव करें तो किरकिरी होगी. लेकिन अगर नियम नहीं बदला और नेताओं के भाजपा के अनुच्छेद- 370 के नाम पर चुनाव में जीत मिलने का डर सच साबित हुआ तो कांग्रेस को ज्यादा नुकसान हो सकता है. गौरतलब है कि अप्रत्यक्ष चुनाव में मतदाता अपने प्रत्याशी का चुनाव स्वंय नहीं करते है. बल्कि उन लोगों का चुनाव करते हैं. जो इन पदों के लिए प्रत्याशियों का चुनाव करेगें.

Intro:राजस्थान में हो सकते हैं महापौर और सभा पतियों के इनडायरेक्ट इलेक्शन मंत्री शांति धारीवाल को सौंपा गया टास्क चुने हुए सभी कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों और संगठन के पदाधिकारियों से राय लेकर धारीवाल तैयार करेंगे ग्राउंड रिपोर्ट के चुनाव डायरेक्ट करवाने हैं या इनडायरेक्ट कांग्रेस नेता पहले ही जता चुके हैं डर की धारा 370 के नाम पर कांग्रेस को सीधे चुनाव में हो सकता है बड़ा नुकसान ऐसे में कांग्रेस सरकार बदल सकती है अपना ही निर्णय


Body:राजस्थान में निकाय और निगम चुनाव सीधे हो या पहले की तरह इनडायरेक्ट इसे लेकर कांग्रेस के सामने अब मुसीबत खड़ी हो गई है चुनाव कैसे हो इसे लेकर मंत्री शांति धारीवाल को यह टास्क दिया गया है कि वह सभी चुने हुए कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों से यह बात करके रिपोर्ट तैयार करें कि चुनाव को किस तरीके से करवाया जाए इसी रिपोर्ट के आधार पर सरकार यह तय करेगी कि इस बार के निकाय चुनाव मैं कांग्रेस अपने निर्णय पर डटी रहेगी या फिर सरकार बनने के बाद लाया गया अपना ही संशोधन वह वापस ले लेगी दरअसल राजस्थान कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में वादा किया था कि अगर कांग्रेस की सरकार प्रदेश में बनती है तो प्रदेश में निकाय और निगमों के चुनाव में शैक्षणिक देता की शर्त को हटाई जाएगी इसके साथ ही प्रदेश में निगम और निकाय प्रमुख के चुनाव भी सीधे करवाए जाएंगे प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो बनते ही राजस्थान की गहलोत सरकार ने विधानसभा में शैक्षणिक बाध्यता की शर्त को हटाते हुए निगम के महापौर और निकाय के सभापति के चुनाव सीधे करवाने का निर्णय भी ले लिया इसे लेकर लोकसभा चुनाव से पहले सब सही चल रहा था और कांग्रेस को लग रहा था कि विधानसभा में चुनाव जीतने और सरकार होने का फायदा कांग्रेस को निकाय और निगम के चुनाव में मिलेगा और सीधे चुनाव में कांग्रेस को जीत मिल जाएगी लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश के राजनीतिक हालातों में जबरदस्त बदलाव आ गया है और सरकार होने के बाद भी एक भी लोकसभा सीट जीतने में नाकामयाब रही कांग्रेस के नेताओं में यह डरा गया है कि कहीं सीधे चुनाव करवाने से ऐसा ना हो कि भाजपा लोकसभा चुनाव की तरह निगम और निकाय के चुनाव में भी कांग्रेस को बड़ा नुकसान कर दे अब ऐसे में कांग्रेस के नेता खुलकर यह बात भी कह रहे हैं कि सीधे चुनाव करवाने से पार्टी को नुकसान हो सकता है ऐसे में चुनाव पहले की तरह ही इनडायरेक्ट करवाए जाएं नेताओं का तर्क है कि अगर वार्ड में पार्षद कांग्रेस के कम भी जीते हैं तो ऐसे में निर्दलीयों का सहयोग क्योंकि सरकार के साथ हमेशा रहता है ऐसे में वह बोर्ड अपना बना सकते हैं इसे लेकर बात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और प्रभारी अविनाश पांडे तक भी पहुंच चुकी है खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस बात पर प्रदेश कांग्रेस में हुई बैठक में कहा था कि वह इस बात को दिखा रहे हैं अब राजस्थान कांग्रेस की ओर से निकाय और निगम के चुनाव डायरेक्ट इनडायरेक्ट इसका जिम्मा संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल को सौंपा गया है धारीवाल अब अगले कुछ दिनों में तमाम विधायकों संगठन के पदाधिकारियों लोकसभा और विधानसभा में हारे नेताओं और निगम और निकाय के कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों से बात करके ग्राउंड रियलिटी का पता लगाएंगे और उसी आधार पर धारीवाल अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे कि यह चुनाव सीधे करवाने हैं या नहीं और इसी रिपोर्ट को आधार बनाकर सरकार भी आगे का निर्णय लेगी
बाइट अविनाश पांडे प्रभारी महासचिव राजस्थान कांग्रेस
कांग्रेस के सामने दिक्कत यह है कि अपने ही नियम को बदलाव करें तो होगी किरकिरी लेकिन अगर नियम नहीं बदला और नेताओं के भाजपा के धारा 370 के नाम पर चुनाव में जीत मिलने का डर सच साबित हुआ तो कांग्रेस को होगा ज्यादा नुकसान
कांग्रेस के आला नेता हो या फिर कार्यकर्ता अब एक स्वर में यह बात बोलने लगे हैं कि जब लोकसभा चुनाव में धारा 370 जैसी कोई बात नहीं थी तो भी कांग्रेस सरकार में होने के बावजूद सभी 25 लोकसभा सीटें हार गई तो अब सीधे तौर पर भाजपा धारा 370 के नाम पर निकाय और निगम चुनाव में उतरेगी ऐसे में कांग्रेस को फिर से मुंह की खानी पड़ सकती है इस तरफ से अब कांग्रेस के तीनों आला नेता भी कुछ हद तक सहमत दिखाई दे रहे हैं तभी उन्होंने शांति धारीवाल को एक काम सौंपा है कि वह जल्द से जल्द अपनी पार्टी के जनप्रतिनिधियों से यह बात करके ग्राउंड रिलिटी तैयार करें और रिपोर्ट बना कर दें कि चुनाव कैसे करवाने हैं


Conclusion:
Last Updated : Sep 21, 2019, 1:15 PM IST
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