जयपुर. सचिवालय में एक बार फिर बड़ी चूक सामने (Major lapse in security of CMO in Rajasthan) आई है. यहां मुख्यमंत्री कार्यालय के मेन गेट पर शुक्रवार की रात एक फॉर्च्यूनर कार ने टक्कर मार दी. टक्कर इतनी तेज थी कि लोहे का गेट टूट कर नीचे गिर गया. लेकिन गनीमत रही कि वहां तैनात पुलिस व सुरक्षाकर्मियों को कोई चोट नहीं आई. जानकारी के मुताबिक पुलिस ने मौके से फरार हुई फॉर्च्यूनर को बरामद कर लिया है. साथ ही गाड़ी चालक को हिरासत में ले लिया गया है. वहीं, पुलिस अब इस पूरे मामले की अलग-अलग एंगल से जांच कर रही है.
बताया जा रहा है कि घटना शुक्रवार मध्य रात्रि करीब 2:30 बजे की है. देर रात सिविल लाइन फाटक की ओर से एक तेज रफ्तार फॉर्च्यूनर सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर आई और गेट पर जोरदार टक्कर मार दी. गाड़ी की स्पीड का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बंद लोहे का गेट टूटकर नीचे गिर गया. हादसे के बाद फॉर्च्यूनर में सवार तीनों आरोपी कार लेकर मौके से फरार हो गए.
मामला मुख्यमंत्री कार्यालय का था, सो पुलिस ने इस पूरे मामले को तत्काल गंभीरता से लेते हुए सीसीटीवी कैमरे के जरिए गाड़ी के नंबर को ट्रेस किया. इसके बाद महज एक घंटे के अंतराल में कार और चालक सार्थक को हिरासत में ले लिया गया. हालांकि, पुलिस अभी तक इस पूरे मामले में कुछ भी कहने से बच रही है, लेकिन बताया जा रहा है कि यह पूरा मामला हिट एंड ड्रिंक का है.
अलग-अलग एंगल हो रही जांच: पुलिस ने इस मामले को एक्सीडेंट केस में दर्ज किया है. एक्सीडेंट गाड़ी को थाने को सुपुर्द कर दिया है, लेकिन मामला मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़ा है. ऐसे में पुलिस इस मामले की अलग-अलग एंगल से जांच रही है. साथ ही गाड़ी में सवार आरोपियों से भी कड़ाई से पूछताछ की जा रही है.
लापरवाही पर कार्रवाई: सचिवालय अधिकारी संघ के पूर्व अध्यक्ष मेघराज पवार ने कहा कि यह बड़ा गंभीर मामला है. मुख्यमंत्री कार्यालय पर इस तरह कमजोर गेट लगाया हुआ है कि वह फॉर्च्यूनर कार की टक्कर में ही टूट गया. उन्होंने बताया कि यह गेट पिछले साल ही लगया गया था, जो बहुत ही कमजोर निकला. जबकि शासन सचिवालय के गेट मजबूत होने चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि इस मामले को हल्के में नहीं लिया जा सकता है. संबंधित अधिकारियों से पूछे जाने पर वो इस घटना को लेकर गंभीर नहीं दिखे. वहीं, उनका जवाब भी संतोषजनक नहीं था. मेघराज ने कहा कि इस तरह की लापरवाही दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि यहां मुख्यमंत्री से लेकर मुख्य सचिव व तमाम अन्य ब्यूरोक्रेट्स और मंत्री बैठते हैं. ऐसे में इसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए.