जयपुर. राजस्थान में इसी वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं. इन चुनाव में जाट समाज के लोगों को ज्यादा से ज्यादा तवज्जो मिले, इसे मद्देनजर रखते हुए समाज का हर वर्ग एक मंच पर जुटा. जाट समाज के मंच से विधानसभा चुनाव में जातिगत जनगणना के आधार पर ज्यादा से ज्यादा सीटें मिलने के साथ-साथ इस बार प्रदेश की राजनीति में नंबर एक की कुर्सी (जाट सीएम) लेने की भी आवाज उठाई गई. इसके अलावा अलग-अलग वक्ताओं ने अलग-अलग मांग को समाज के मंच से उठाया. जाट महाकुंभ में ओबीसी आरक्षण को 27 प्रतिशत तक बढ़ाने, सामाजिक कुरीतियां खत्म करने, छात्राओं की शिक्षा और छात्रावास की उचित व्यवस्था और किसानों को अनाज का उचित दाम और पानी उपलब्ध कराए जाने की भी मांग उठाई गई.
हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा, चंग-ढप के साथ नाचते गाते लोग, पारंपरिक परिधान धारण किए पंडाल में मौजूद महिलाएं, लोक नृत्य और मंच पर प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दल बीजेपी-कांग्रेस के लीडर्स, सरकार में मंत्री, विधायक, सांसद, पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद और राजनीतिक दलों के अलावा प्रशासनिक पदों पर भी वर्तमान में कार्यरत और पहले सेवाएं दे चुके अधिकारी और उद्योगपति. ये नजारा जयपुर के विद्याधर नगर स्टेडियम में हुए जाट महाकुंभ के दौरान देखने को मिला. इस महाकुंभ में जाट समाज के लाखों लोग जुटे. प्रदेश के अलावा दूसरे राज्यों के प्रतिनिधि, किसान नेता राकेश टिकैत भी महाकुंभ का हिस्सा बने. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के महाकुंभ में नहीं आने का संदेश उनके पुत्र और सांसद दुष्यंत सिंह लेकर पहुंचे.
राजस्थान जाट महासभा के प्रदेश अध्यक्ष राजाराम मील की पहल पर जाट महाकुंभ का आयोजन किया गया. इस दौरान उन्होंने कहा कि पावर सरकार के पास है, कुछ भी कराने के लिए सरकार के पास जाना पड़ता है. सरकार जाट समाज को कम आंकने लग गई, इसलिए ताकत दिखाने के लिए ये जाट महाकुंभ का आयोजन किया गया. यहां सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि एक मंच पर मौजूद हैं. इस ताकत के नाते और इस हिसाब से समाज को प्रतिनिधित्व मिले, ये मांग वर्तमान सरकार और आने वाली सरकार से है. इसके साथ ही जो आरक्षण 21% है उसे तत्काल 27% किया जाए. वहीं, विद्याधर नगर में समाज की संस्था के पास 3000 वर्ग गज जमीन है, या तो सरकार उसे अलॉट कर दे, नहीं तो उस पर कब्जा होगा. उन्होंने किसानों को एमएसपी, जाट समाज को जमीन आवंटन, वीर तेजा जी और महाराजा सूरजमल की मूर्तियां लगाए जाने की भी मांग की.
इस दौरान समाज को सशक्त बनाने, सामाजिक एकजुटता कायम रखने का संदेश दिया गया. साथ ही मंच से जातिगत जनगणना का संकल्प पारित करवाते हुए इसी आधार पर आगामी विधानसभा चुनाव में समाज के प्रतिनिधियों को ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ाने की मांग उठाई गई. वहीं, राज्य सरकार से जाट समाज के सभी विधि सम्मत संगठनों के पदाधिकारियों को शामिल करते हुए राज्य स्तरीय गवर्निंग काउंसिल का गठन करने और ओबीसी आरक्षण की वर्तमान विसंगतियों को दूर करवा कर इसे जनसंख्या के आधार पर लागू करवाने की मांग की गई.
इससे पहले महाकुंभ की शुरुआत में कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भरतपुर खानदान ने हमेशा मुगलों का विरोध किया. इसलिए उनका इतिहास नहीं छापा गया. महाराजा सूरजमल 83 युद्ध लड़े और एक भी नहीं हारे. अलग-अलग राजवंशों में गोद लेने की परंपरा चली, लेकिन उनके ऐसी प्रथा नहीं. उन्होंने कसम खाते हुए कहा कि समाज के लिए वो हमेशा आगे रहेंगे. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि जाट समाज ईर्ष्या के कारण पिछड़ रहा है. खुद के दुख से नहीं समाज के लोग दूसरे के सुख से दुखी हैं. उन्होंने मंच से समाज के लोगों से निवेदन किया कि आपस में किसी तरह की ईर्ष्या ना रखें समाज में एकता होगी तो एक दूसरे की ताकत बढ़ेगी.
वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि जाट समाज दिन रात मेहनत करता है. समाज के लोगों को समाज और समाज के लोगों के लिए काम करना चाहिए, लेकिन इस बात का ध्यान रहे कि ऐसा कोई काम ना करें जिससे समाज का नाम नीचा हो. इस दौरान उन्होंने मंच से अपील की कि सभी समाजों को साथ लेकर चलेंगे तभी जाट समाज का कल्याण होगा. दूसरे समाज में भी अपने दोस्त बनाएं जो समय आने पर मदद करते रहें. उन्होंने कहा कि पार्टी की विचारधारा से ऊपर उठकर पहले वो समाज के हैं. क्योंकि उनकी हैसियत बनाने में समाज का बहुत बड़ा योगदान रहा है. वो पार्टी के लिए काम करते हैं, लेकिन ऐसा काम नहीं करेंगे जिससे समाज को नुकसान हो.
उधर, उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी ने महाकुंभ के मंच से कहा कि हर समाज अपनी ताकत दिखाने की कोशिश करता है. इसी स्टेडियम के अंदर कई समाजों ने ताकत दिखाने की कोशिश की. वो राजस्थान यूनिवर्सिटी के पहले जाट अध्यक्ष बने. समाज की वजह से ही उन जैसों को सरकारों में प्रतिनिधित्व मिलता है. इस दौरान उन्होंने कहा कि कुरीतियां समाज से हटनी चाहिए और बालिकाओं की शिक्षा को आगे बढ़ाना चाहिए. उन्होंने मंच से छात्राओं के हॉस्टल को लेकर भूमि की मांग सीएम के सामने रखने की बात कही.
वहीं, विधायक हरीश चौधरी ने कहा कि सरकारें आती रहेंगी जाती रहेंगी, लेकिन मुद्दों पर संघर्ष करना चाहिए. उनका मानना है कि जातिगत जनगणना सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है. हरीश चौधरी ने कहा कि सब लोगों को ये गलतफहमी है कि ओबीसी को आरक्षण है. जबकि ओबीसी को नौकरी के अंदर आरक्षण नहीं है. ओबीसी वर्ग के अंदर 8 लाख रुपये से कम आय वालों को ही सरकारी नौकरी और अन्य स्थानों का आरक्षण है. ये नियम सिर्फ ओबीसी के लिए नहीं, बल्कि हर जाति के लिए लागू है.
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ओबीसी आरक्षण की वजह से जाट समाज को कोई अतिरिक्त अधिकार नहीं मिल रहा है. आरक्षण में विसंगतियां हैं. कहने को तो कागजों में 21% आरक्षण मिल रहा है, लेकिन नौकरी में कहीं 1% तो कहीं 2% पद मिल रहे हैं. आरक्षण की विसंगतियों के कारण जाट समाज को 21% आरक्षण का लाभ भी नहीं मिल रहा. उन्होंने बताया कि उनके पास आरक्षण की विसंगति को लेकर कई बच्चे आए थे, लेकिन उन्हें राजनीतिक पंडितों ने सलाह दी कि इस मुद्दे पर काम ना करें. जो लोग 24 घंटे राजनीति करते हैं, उन्होंने बड़े से बड़े लोगों को सलटा दिया, उनका भी नंबर आ जाएगा.
वहीं, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि पूरी दुनिया को पता लग गया है कि राजधानी जयपुर में महाकुंभ है. लेकिन मुझे पता लगा कि हेलीकॉप्टर उड़ाने वाला भी कोई जाट ही है. जिसे काम तो फूल बरसाने का दिया था, लेकिन उसने टेंट हिला दिए. ये काम सिर्फ जाट ही कर सकता है. इतिहास गवाह है, कारगिल युद्ध में शहीद होने वाले जाट समाज के लड़ाका थे, लोकतंत्र को ताकत देने का काम इस कौम ने किया. समाज बुद्धि कौशल में भी कम नहीं है.
उन्होंने कहा कि वो चुरू जिले के किसान परिवार में पैदा हुए. पिछले 35 वर्षों से राजनीति में हैं. वो खुद स्वतंत्रता सेनानी परिवार से आते हैं. भूख, अपमान, तिरस्कार सब देखा है, लेकिन आज देश के सबसे बड़े प्रदेश में देश की सबसे बड़ी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष हैं. जो समाज के आशीर्वाद का परिणाम है. उन्होंने कहा कि वो दो बार राम जी की सेवा के लिए गोलियों का मुकाबला करते हुए कारसेवक बनकर चले गए. तिरंगे को प्यार करते हैं, इसलिए कश्मीर की घाटी पर चले गए. 7 दिन सेंट्रल जेल में भी रहे, ये जज्बा उन्होंने अपनी कौम के खून से पाया है.
जाट महाकुंभ में उठी तीन प्रमुख मांग :
- ओबीसी आरक्षण 21% से बढ़ाकर 27% किया जाए.
- जातिगत जनगणना कराई जाए.
- जाट सीएम बने.