नई दिल्ली: पूर्व चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर और सीनियर एडवोकेट सी एस वैद्यनाथन 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर घोषित 139 पद्म पुरस्कार विजेताओं में शामिल हैं. सरकार द्वारा घोषित देश के टॉप नागरिक सम्मानों में सात पद्म विभूषण, 19 पद्म भूषण और 113 पद्म श्री सम्मान शामिल हैं.
जस्टिस खेहर को पद्म विभूषण और वैद्यनाथन को पद्म श्री से सम्मानित किया जाएगा. वैद्यनाथन ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्वामित्व विवाद मामले में रामलला विराजमान की ओर से न्यायालय में बहस की थी. वहीं, जस्टिस खेहर ने केंद्र के राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) एक्ट को रद्द करने वाली संविधान पीठ का नेतृत्व किया था.
सिख समुदाय से आने वाले पहले चीफ जस्टिस
जस्टिस खेहर सिख समुदाय से आने वाले पहले चीफ जस्टिस थे. उन्होंने 13 सितंबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में पदभार ग्रहण किया था. जस्टिस खेहर ने उस पीठ का नेतृत्व किया था, जिसने जनवरी 2016 में अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने के फैसले को रद्द कर दिया था.
सुब्रत रॉय को जेल भेजा
वह उस पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने निवेशकों को धन वापसी से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय को जेल भेजा था. जस्टिस खेहर ने अल्पमत वाले अपने फैसले में 'तीन तलाक' को मौलिक अधिकार के रूप में बरकरार रखा, जबकि मुस्लिम पुरुषों द्वारा तीन बार 'तलाक' कहकर अपनी पत्नियों को तलाक देने की प्रथा को धार्मिक स्वतंत्रता का अभिन्न अंग माना.
जस्टिस खेहर के नेतृत्व वाली 9 जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया कि निजता का अधिकार अनुच्छेद 21 और संविधान के संपूर्ण भाग 3 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का एक अंतर्निहित हिस्सा है.