ETV Bharat / state

कभी जयपुर की प्यास बुझाता था जमवारामगढ़... आज खुद बूंद-बूंद का मोहताज - जयपुर

जयपुर की प्यास बुझाने वाला जमवारामगढ़ बांध आज सुखने की कगार पर हैं. बांध के चारों तरफ अतिक्रमण से बारिश का पानी बांध में नहीं पहूंच पाता ऐसे में अब ये विरासत लुप्त होने की कगार पर आ गई हैं.

जमवारामगढ़
author img

By

Published : Mar 12, 2019, 7:05 AM IST


जयपुर. कभी जिले की प्यास बुझाने वाला प्रसिद्ध बांध जमवारामगढ़ इन दिनों खुद बूंद बूंद के लिए मोहताज हो रहा है. करीब 2 दशकों से जमवारामगढ़ बांध के हालात बेहद खराब होते जा रहे हैं. जमवारामगढ़ बांध में आने वाले पानी के रास्तों में लोगों ने अतिक्रमण कर रखे है, जिससे बांध में बारिश का पानी नहीं पहुंच पाता. जो जमवारामगढ़ बांध दो दशक पहले तक जयपुर की प्यास बुझाता था आज उस बांध में पानी की एक बूंद भी नहीं है.


जमवारामगढ़ बांध का इतिहास बेहद खूबसूरत रहा है. वर्षों पहले जमवारामगढ़ बांध के ऊपर से पानी लबालब बहता था जो आज केवल इतिहास ही बनकर रह गया है. उन दिनों एशियाईड़ खेल का भी यहां पर आयोजन किया गया था, जिसमें नौका विहार की गई थी.

जमवारामगढ़ की दुर्दशा

जमवारामगढ़ बांध के बहाव क्षेत्र में हो रहे अतिक्रमणों पर हाईकोर्ट ने भी सख्त कार्रवाई के आदेश दिए थे. इसके बाद भी प्रशासन जमवारामगढ़ बांध के बहाव क्षेत्र से अतिक्रमणों को हटाने में नाकाम साबित हो रहा है. हाईकोर्ट के आदेशों के बाद जेडीए ने इस बहाव क्षेत्र में अतिक्रमणों को हटाने के लिए कई बार कार्रवाई भी की. लेकिन जेडीए की कार्रवाई भी केवल खानापूर्ति ही साबित हुई.

जमवारामगढ़

जेडीए की कार्रवाई के बाद भी जमवारामगढ़ बांध के बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण हो रहे है. रसूखदारो ने जमवारामगढ़ बांध के बहाव क्षेत्रो में फार्म हाउस बना रखे हैं. कई जगहों पर लोग खेती कर रहे हैं. जिससे बारिश के दिनों में नदियों का पानी जमवारामगढ़ बांध तक नहीं पहुंच पाता. वर्ष 2012 में भी हाई कोर्ट ने जमवारामगढ़ बांध में जाने वाले पानी के बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया था.

हाईकोर्ट ने अतिक्रमणों को ध्वस्त करने के साथ ही अतिक्रमण हटाने का खर्चा भी अतिक्रमणकारियों से ही वसूलने का आदेश दिया था. इसके बाद जेडीए ने केवल खानापूर्ति के तौर पर ही कार्रवाई की थी. इसके बाद जेडीए ने भी मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया.
जमवारामगढ़ बांध के बहाव क्षेत्र से अगर अतिक्रमणों को हटा दिया जाए तो बांध में पानी आने का रास्ता साफ हो सकता है और सरकार भी इस और ध्यान दें तो जमवारामगढ़ बांध अपने इतिहास की तरह वापस से लबालब हो सकता है. जमवारामगढ़ बांध में पानी सूखने से पूरे क्षेत्र में पानी की कमी भी आ गई है, जिससे किसान भी बेरोजगार हो रहे हैं खेती के लिए भी पानी नहीं मिल पा रहा हैं. अगर जमवारामगढ़ बांध में पानी आता है तो किसानों के लिए भी बेहद खुशी की बात होगी.


जयपुर के पूर्व महाराजा माधव सिंह द्वितीय ने जयपुर की प्यास बुझाने के लिए सन 1897 में जमवारामगढ़ बांध का निर्माण शुरू करवाया था जो 1903 में बनकर तैयार हुआ था. जमवारामगढ़ बांध को बनने के बाद कई वर्षों तक जयपुर को शुद्ध पानी मिलता रहा और आसपास के क्षेत्रों में किसानों को सिंचाई का पानी भी मिलता था. जमवारामगढ़ बांध में कई नदियों का पानी पहुंचता था जिनमें बाणगंगा नदी, माधवेणी नदी सहित कई नदियां शामिल थी. जमवारामगढ़ बांध का पुल केचमेंट एरिया 2975 वर्ग मील है.

जमवारामगढ़ बांध का जल स्तर वर्ष 2000 में करीब 30 फीट से भी ज्यादा था. इसके बाद बांध में जलस्तर लगातार गिरता रहा और आज बांध पूरी तरह से सूखा पड़ा है.

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार किसी भी बहाव क्षेत्र या नदी- नालों पर कोई भी अतिक्रमण नहीं कर सकता. इसके बावजूद भी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को दरकिनार किया जा रहा है. अब देखना होगा कि सरकार जमवारामगढ़ बांध को जिंदा करने के लिए क्या प्रयास करती है और क्या सरकार के प्रयास रंग लाते हैं.


जयपुर. कभी जिले की प्यास बुझाने वाला प्रसिद्ध बांध जमवारामगढ़ इन दिनों खुद बूंद बूंद के लिए मोहताज हो रहा है. करीब 2 दशकों से जमवारामगढ़ बांध के हालात बेहद खराब होते जा रहे हैं. जमवारामगढ़ बांध में आने वाले पानी के रास्तों में लोगों ने अतिक्रमण कर रखे है, जिससे बांध में बारिश का पानी नहीं पहुंच पाता. जो जमवारामगढ़ बांध दो दशक पहले तक जयपुर की प्यास बुझाता था आज उस बांध में पानी की एक बूंद भी नहीं है.


जमवारामगढ़ बांध का इतिहास बेहद खूबसूरत रहा है. वर्षों पहले जमवारामगढ़ बांध के ऊपर से पानी लबालब बहता था जो आज केवल इतिहास ही बनकर रह गया है. उन दिनों एशियाईड़ खेल का भी यहां पर आयोजन किया गया था, जिसमें नौका विहार की गई थी.

जमवारामगढ़ की दुर्दशा

जमवारामगढ़ बांध के बहाव क्षेत्र में हो रहे अतिक्रमणों पर हाईकोर्ट ने भी सख्त कार्रवाई के आदेश दिए थे. इसके बाद भी प्रशासन जमवारामगढ़ बांध के बहाव क्षेत्र से अतिक्रमणों को हटाने में नाकाम साबित हो रहा है. हाईकोर्ट के आदेशों के बाद जेडीए ने इस बहाव क्षेत्र में अतिक्रमणों को हटाने के लिए कई बार कार्रवाई भी की. लेकिन जेडीए की कार्रवाई भी केवल खानापूर्ति ही साबित हुई.

जमवारामगढ़

जेडीए की कार्रवाई के बाद भी जमवारामगढ़ बांध के बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण हो रहे है. रसूखदारो ने जमवारामगढ़ बांध के बहाव क्षेत्रो में फार्म हाउस बना रखे हैं. कई जगहों पर लोग खेती कर रहे हैं. जिससे बारिश के दिनों में नदियों का पानी जमवारामगढ़ बांध तक नहीं पहुंच पाता. वर्ष 2012 में भी हाई कोर्ट ने जमवारामगढ़ बांध में जाने वाले पानी के बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया था.

हाईकोर्ट ने अतिक्रमणों को ध्वस्त करने के साथ ही अतिक्रमण हटाने का खर्चा भी अतिक्रमणकारियों से ही वसूलने का आदेश दिया था. इसके बाद जेडीए ने केवल खानापूर्ति के तौर पर ही कार्रवाई की थी. इसके बाद जेडीए ने भी मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया.
जमवारामगढ़ बांध के बहाव क्षेत्र से अगर अतिक्रमणों को हटा दिया जाए तो बांध में पानी आने का रास्ता साफ हो सकता है और सरकार भी इस और ध्यान दें तो जमवारामगढ़ बांध अपने इतिहास की तरह वापस से लबालब हो सकता है. जमवारामगढ़ बांध में पानी सूखने से पूरे क्षेत्र में पानी की कमी भी आ गई है, जिससे किसान भी बेरोजगार हो रहे हैं खेती के लिए भी पानी नहीं मिल पा रहा हैं. अगर जमवारामगढ़ बांध में पानी आता है तो किसानों के लिए भी बेहद खुशी की बात होगी.


जयपुर के पूर्व महाराजा माधव सिंह द्वितीय ने जयपुर की प्यास बुझाने के लिए सन 1897 में जमवारामगढ़ बांध का निर्माण शुरू करवाया था जो 1903 में बनकर तैयार हुआ था. जमवारामगढ़ बांध को बनने के बाद कई वर्षों तक जयपुर को शुद्ध पानी मिलता रहा और आसपास के क्षेत्रों में किसानों को सिंचाई का पानी भी मिलता था. जमवारामगढ़ बांध में कई नदियों का पानी पहुंचता था जिनमें बाणगंगा नदी, माधवेणी नदी सहित कई नदियां शामिल थी. जमवारामगढ़ बांध का पुल केचमेंट एरिया 2975 वर्ग मील है.

जमवारामगढ़ बांध का जल स्तर वर्ष 2000 में करीब 30 फीट से भी ज्यादा था. इसके बाद बांध में जलस्तर लगातार गिरता रहा और आज बांध पूरी तरह से सूखा पड़ा है.

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार किसी भी बहाव क्षेत्र या नदी- नालों पर कोई भी अतिक्रमण नहीं कर सकता. इसके बावजूद भी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को दरकिनार किया जा रहा है. अब देखना होगा कि सरकार जमवारामगढ़ बांध को जिंदा करने के लिए क्या प्रयास करती है और क्या सरकार के प्रयास रंग लाते हैं.

Intro:जयपुर
एंकर- जयपुर की प्यास बुझाने वाला जमवारामगढ़ बांध पानी की बूंद बूंद के लिए मोहताज हो रहा है। करीब 2 दशकों से जमवारामगढ़ बांध के हालात बेहद खराब होते जा रहे हैं। जमवारामगढ़ बांध में आने वाले पानी के रास्तों में लोगों ने अतिक्रमण कर रखे है, जिससे बांध में बारिश का पानी नहीं पहुंच पाता। जो जमवारामगढ़ बांध दो दशक पहले तक जयपुर की प्यास बुझाता था आज उस बांध में पानी की एक बूंद भी नहीं है।


Body:जयपुर की प्यास बुझाने वाला जमवारामगढ़ बांध पानी की बूंद बूंद के लिए मोहताज हो रहा है। करीब 2 दशकों से जमवारामगढ़ बांध के हालात बेहद खराब होते जा रहे हैं। जमवारामगढ़ बांध में आने वाले पानी के रास्तों में लोगों ने अतिक्रमण कर रखे है, जिससे बांध में बारिश का पानी नहीं पहुंच पाता। जो जमवारामगढ़ बांध दो दशक पहले तक जयपुर की प्यास बुझाता था आज उस बांध में पानी की एक बूंद भी नहीं है। जमवारामगढ़ बांध का इतिहास बेहद खूबसूरत रहा है। वर्षों पहले जमवारामगढ़ बांध के ऊपर से पानी लबालब बहता था जो आज केवल इतिहास ही बनकर रह गया है। पहले जमवारामगढ़ बांध में पानी लबालब भरा रहता था उन दिनों एशियाईड़ खेल का भी यहां पर आयोजन किया गया था, जिसमें नौका विहार की गई थी।
जमवारामगढ़ बांध के बहाव क्षेत्र में हो रहे अतिक्रमणों पर हाईकोर्ट ने भी सख्त कार्रवाई के आदेश दिए थे। इसके बाद भी प्रशासन जमवारामगढ़ बांध के बहाव क्षेत्र से अतिक्रमणों को हटाने में नाकाम साबित हो रहा है। हाईकोर्ट के आदेशों के बाद जेडीए ने इस बहाव क्षेत्र में अतिक्रमणों को हटाने के लिए कई बार कार्रवाई भी की। लेकिन जेडीए की कार्रवाई भी केवल खानापूर्ति ही साबित हुई। जेडीए की कार्रवाई के बाद भी जमवारामगढ़ बांध के बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण हो रहे है। रसूखदारो ने जमवारामगढ़ बांध के बहाव क्षेत्रो में फार्म हाउस बना रखे हैं कई जगहों पर लोग खेती कर रहे हैं। जिससे बारिश के दिनों में नदियों का पानी जमवारामगढ़ बांध तक नहीं पहुंच पाता। वर्ष 2012 में भी हाई कोर्ट ने जमवारामगढ़ बांध में जाने वाले पानी के बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने अतिक्रमणों को ध्वस्त करने के साथ ही अतिक्रमण हटाने का खर्चा भी अतिक्रमणकारियों से ही वसूलने का आदेश दिया था। इसके बाद जेडीए ने केवल खानापूर्ति के तौर पर ही कार्रवाई की थी। इसके बाद जेडीए ने भी मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
जमवारामगढ़ बांध के बहाव क्षेत्र से अगर अतिक्रमणों को हटा दिया जाए तो बांध में पानी आने का रास्ता साफ हो सकता है। और सरकार भी इस और ध्यान दें तो जमवारामगढ़ बांध अपने इतिहास की तरह वापस से लबालब हो सकता है। जमवारामगढ़ बांध में पानी सूखने से पूरे क्षेत्र में पानी की कमी भी आ गई है। जिससे किसान भी बेरोजगार हो रहे हैं खेती के लिए भी पानी नहीं मिल पा रहा अगर जमवारामगढ़ बांध में पानी आता है तो किसानों के लिए भी बेहद खुशी की बात होगी।
जयपुर के पूर्व महाराजा माधव सिंह द्वितीय ने जयपुर की प्यास बुझाने के लिए सन 18 सो 97 में जमवारामगढ़ बांध का निर्माण शुरू करवाया था जो 1903 में बनकर तैयार हुआ था जमवारामगढ़ बांध को बनने के बाद कई वर्षों तक जयपुर को शुद्ध पानी मिलता रहा और आसपास के क्षेत्रों में किसानों को सिंचाई का पानी भी मिलता था। जमवारामगढ़ बांध में कई नदियों का पानी पहुंचता था जिनमें बाणगंगा नदी, माधवेणी नदी सहित कई नदियां शामिल है। जमवारामगढ़ बांध का पुल केचमेंट एरिया 2975 वर्ग मील है।
जमवारामगढ़ बांध का जल स्तर वर्ष 2000 में करीब 30 फीट से भी ज्यादा था इसके बाद बांध में जलस्तर लगातार गिरता रहा और आज बांध पूरी तरह से सूखा पड़ा है।
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार किसी भी बहाव क्षेत्र या नदी- नालों पर कोई भी अतिक्रमण नहीं कर सकता। इसके बावजूद भी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को दरकिनार किया जा रहा है। अब देखना होगा कि सरकार जमवारामगढ़ बांध को जिंदा करने के लिए क्या प्रयास करती है और क्या सरकार के प्रयास रंग लाते हैं।

बाईट- जगदीश नारायण, स्थानीय निवासी
बाईट- कैलाश, स्थानीय निवासी
बाईट- रामनारायण मीणा, स्थानीय निवासी
बाईट- राकेश कुमार प्रजापत, स्थानीय निवासी
बाईट- फहीम खान, पर्यटक



Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.