जयपुर. साहित्य के महाकुंभ जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की शुरुआत गुरुवार को कर्नाटक गायिका सुषमा सोम की मधुर प्रस्तुति के साथ हुई. जेएलएफ का उद्घाटन नोबेल प्राइज विजेता अब्दुल रजाक ने किया. पहले दिन भीमराव अंबेडकर लाइफ एंड टाइम्स, खाकी फाइल्स, मेवाड़ का इतिहास जैसे प्रमुख मुद्दों पर शशि थरूर, सीपी जोशी, अजय पाल लांबा जैसे वक्ता अपनी बात रखेंगे. इसके साथ ही नेगोशिएशन द न्यू नॉरमल, वेल प्लेड फ्रॉम हियर टू अटरनिटी, फ्रेंड्स विद बेनिफिट्स द इंडिया यूएसए स्टोरी, जयपुरनामा, माय हंगर फॉर लाइफ जैसी किताबों का विमोचन भी किया जाएगा.
उद्घाटन अवसर पर वर्ष 2021 में साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित लेखक अब्दुलरज़ाक गुरनाह ने कीनोट एड्रेस दिया. गुरनाह लेखन के साथ-साथ कैंट यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी के प्रोफेसर भी रहे हैं. उन्होंने अपनी सादगी से श्रोताओं के दिलों को छू लिया. उन्होंने कहा कि लेखन निरंतर चलने वाली प्रकिया का नाम है. ये आपकी दैनिक चर्या का हिस्सा होना चाहिए. लिखते वक्त ये न सोचें कि आपको किसी की प्रेरणा बनना है, आपको कोई अवार्ड मिलेगा या आपको कभी नोटिस भी किया जाएगा. आपको बस भटकाव से दूर रहते हुए लिखना है. यही सच है कि इस प्रक्रिया में आप उन विचारों और विश्वासों को सहज पाएंगे जो आपके लिए जरूरी हैं और मायने रखते हैं.
युवाओं की कमी महसूस की - जेएलएफ के प्रोड्यूसर संजोय रॉय ने कहा कि 16 साल पहले डिग्गी पैलेस के दरबार हॉल से इसकी शुरुआत की गई थी. ये एक यादगार सफर रहा है. दुनिया भर के राइटर्स साहित्यकार एक मंच पर आए. लास्ट ईयर युवाओं की कमी महसूस की थी. इस बार वाराणसी सहित देश के कई हिस्सों से भी स्टूडेंट्स यहां आए हैं. दो साल पहले हमने फेस्ट को यहां शिफ्ट किया है. जेएलएफ की को-डायरेक्टर नमिता गोखले ने कहा कि ये उत्सव सभी के लिए इसलिए जरूरी माना जाता है क्योंकि इस मंच पर कई सुने-अनसुने लोगों को मंच मिलता है.
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पुराण ज्ञान का विश्वकोश - उद्घाटन सत्र के बाद बैठक सभागार में हुए ब्रह्मपुराण सत्र में पुष्पेश पंत ने बिबेक देबरॉय से चर्चा की. इस सत्र में देवरॉय ने कहा कि हमारे पुराण ज्ञान का विश्वकोश है. 18 महापुराणों में विश्व का समूचा ज्ञान भरा पड़ा है. पुराणों में 4000 श्लोक हैं, जिनमें जीवन-मृत्यु, खान-पान, रहन-सहन और सत्य की व्याख्या की गई है. उन्होंने महाभारत, वाल्मीकि रामायण, भागवत, महापुराण का अंग्रेजी में अनुवाद किए जाने का भी जिक्र किया. आपको बता दें कि साहित्य के महाकुम्भ में 5 दिन अनेक भाषाओं के रंग देखने को मिलेंगे और दुनिया की श्रेष्ठ प्रतिभाएं शिरकत करेंगी. फेस्टिवल में विश्वभर के लगभग 400 वक्ता भाग लेंगे. जलवायु परिवर्तन, जिओपॉलिटिक्स, रूस यूक्रेन विवाद, भारत चीन संबंध, कृषि और ऊर्जा जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी.
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