जयपुर. महिला चिकित्सालय में महिला रेजिडेंट डॉक्टर के सुसाइड मामले ने तूल पकड़ लिया है. मृतक डॉक्टर के परिजनों ने अस्पताल के बाहर हंगामा किया. महिला डॉक्टर के साथी रेजिडेंट डॉक्टर्स भी मोर्चरी के बाहर परिजनों के समर्थन में पहुंचे. परिजनों ने सीनियर डॉक्टर्स पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है. आज सुबह महिला चिकित्सालय के गर्ल्स हॉस्टल में एक रेजिडेंट डॉक्टर साक्षी गुप्ता ने दुपट्टे का फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया था. शव को एसएमएस अस्पताल की मोर्चरी में रखवाकर परिजनों को सूचना दी गई. इसके बाद डॉक्टर के परिजन पंजाब से जयपुर पहुंचे.
परिजनों ने सीनियर डॉक्टर्स पर परेशान करने का आरोप लगाते हुए पोस्टमार्टम करवाने से इनकार कर दिया और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर अस्पताल प्रशासन के खिलाफ आक्रोश जताया. मृतक महिला डॉक्टर की मां अपनी बेटी के गम में चीखती पुकारती अस्पताल प्रशासन को कोस रही है. मृतक महिला डॉक्टर की मां ने बताया कि मेरी बेटी को सुबह 4 बजे से रात 12 बजे तक काम करवाया जाता था. समय पर खाना भी नसीब नहीं होता था और सीनियर डॉक्टर्स की प्रताड़ना से बहुत दुखी थी. बेटी ने कई बार फोन करके अपनी परेशानी भी बताई. इसके बाद अस्पताल प्रशासन को भी शिकायत की गई थी. लेकिन प्रशासन ने समय रहते कोई एक्शन नहीं लिया जिसके चलते आज साक्षी दुनिया से चली गयी. पिता सुमेश गुप्ता ने बताया कि मेरी बेटी साक्षी गुप्ता एमडी कर रही थी. दो महीने पहले ही उसका एडमिशन हुआ था.
जिसने अपने सीनियर डॉक्टर से तंग होकर सुसाइड कर लिया है. उन्होंने कहा कि सुबह से बच्ची का शव मोर्चरी में बढ़ा है लेकिन अस्पताल प्रशासन से कोई भी जिम्मेदार आकर नहीं संभाला. उन्होंने बताया कि आज सुबह बेटी का फोन आया था सुसाइड से पहले उसने बताया था कि उसकी तबीयत खराब है और आज ड्यूटी पर जाने की भी हालत नहीं है. यह बात जब उसने अपने सीनियर डॉक्टर से कही तो उन्होंने उसको जवाब दिया कि काम नहीं कर सकते तो अपने बोरी बिस्तर उठाकर चले जाओ. यह बात सहन नहीं हो पाई तो उसने सुसाइड जैसा कदम उठा लिया.
उन्होंने कहां की दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए जिन्होंने मेरी बेटी को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया. उन्होंने 5 डॉक्टर्स के खिलाफ पुलिस को रिपोर्ट दी है. मृतक महिला डॉक्टर की साथी डॉक्टर्स ने बताया कि फर्स्ट ईयर के रेजिडेंट डॉक्टर्स पर बहुत ज्यादा काम का बोझ डाला जाता है जिससे सभी परेशान रहते हैं. सुबह 4 बजे उठकर काम पर लग जाते हैं और रात को 12 बजे तक फ्री होते हैं. दिन में खाना खाने को भी नहीं मिलता. उन्होंने बताया कि साक्षी भी ज्यादा काम के बोझ की वजह से परेशान रहती थी जिसके चलते उसने यह कदम उठाया है.