जयपुर. देश में महिलाओं की सुरक्षा और समानता के अधिकार के लिए इस बार जयपुर में मंथन होगा. देश की पहली भारतीय महिला फेडरेशन का 21 वां ऑल इंडिया कॉन्फ्रेंस राजधानी में आयोजित होने जा रहा है. 27 से 30 दिसंबर तक चलने वाले इस अधिवेशन में संविधान बचाने और लैंगिक समानता के साथ ही अहिंसा पर चर्चा होगी. इस अधिवेशन में 29 राज्यों के 1 हजार से अधिक डेलिगेट्स भाग लेंगे.
फेडरेशन की राष्ट्रीय महासचिव ने बताया कि देश की महिलाएं इस समय बहुत बड़ी क्राइसिस से गुजर रही है. महिलाओं पर मनुवाद को थोपने का काम किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस अधिवेशन में महिलाओं के शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में चैलेंज को लेकर चर्चा होगी.
साथ ही किस तरीके से महिलाओं को समानता का अधिकार दिया जा सकता है उस पर भी चर्चा होगी. उन्होंने बताया कि भारतीय महिला फेडरेशन की ओर से हर 3 साल में यह अधिवेशन आयोजित किया जाता है. इस अधिवेशन में यह तय किया जाएगा कि आने वाले 3 साल में किस तरह से महिलाओं को लेकर काम किया जाए.
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फेडरेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष अरुणा राय ने कहा कि इस समय संविधान खतरे में है. ऐसे कानून बनाए जा रहे हैं जो आगे जाकर मौलिक अधिकारों को समाप्त कर रहे हैं. लोकतंत्र इस समय खतरे की ओर जा रहा है, मौजूदा ढांचे को तबाह करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि इस समय देश में महिलाओं को ना बराबरी का अधिकार मिल रहा है और ना ही समानता का.
इस अधिवेशन में महिलाओं के अधिकारों पर चर्चा होगी. उन्होंने कहा कि महिलाओं की जो बुनियादी मांग है उसके ऊपर इस अधिवेशन में चर्चा होगी. अरुणा राय ने कहा कि जिस तरीके से देश में मनुवाद को बढ़ावा देकर महिलाओं के मौलिक अधिकारों को छीनने का काम किया जा रहा है. इन सभी बिंदुओं को लेकर इस अधिवेशन में चर्चा की जाएगी.