जयपुर. राजधानी में रहने वाली शीला जाट ने 10वीं बोर्ड की परीक्षा में 600 में से 595 अंक हासिल कर टॉप किया है. शीला के पिता दूध बेचने का काम करते हैं और माता गृहणी हैं. घर में एक छोटा भाई है जो 8वीं कक्षा में पढ़ता है. शीला के घर में किसी तरह की सुख सुविधा नहीं है. बावजूद इसके शीला ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. छात्रों के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बनी शीला.
तीन कमरों का एक छोटा सा घर और एक बाड़ा है जहां तीन भैंस और एक गाय बंधी है. एक कमरा चारे से भरा है तो दो में खाट लगाकर सोने की व्यवस्था है. रसोई के नाम पर एक गैस सिलेंडर रखा छोटा कमरा जरूर मौजूद है. यही है शीला का आशियाना. शीला कौन है और हम यहां इसकी बात क्यों कर रहे हैं. ये सवाल आपके जहन में जरूर आ रहा होगा. आपके सवाल का जवाब भी हम दे ही देते हैं. शीला जाट ये वो नाम है, जिसने हाल ही में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड 10वीं के परिणाम में 99 फीसदी अंक लाकर सभी को चौंका दिया. शीला ने 600 में से 595 अंक हासिल किए हैं. अपने घर के साथ-साथ स्कूल, जयपुर और प्रदेश का नाम भी रोशन किया है. शीला ने अपनी दिनचर्या और स्कूल में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम को रिवाइज करना सफलता की कुंजी बताया.
ऐसा नहीं है कि शीला के परिवार में सभी पढ़े लिखे हैं या उसके पढ़ाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि शीला के पिता मोहनलाल जाट खुद अनपढ़ हैं. शाहपुरा तहसील के गोविंदपुरा बासेडी से 10 साल पहले जयपुर आए मोहनलाल घर में बंधी गाय भैंसों का दूध बेचकर अपने परिवार का गुजारा चलाते हैं. जबकि शीला की माता विमला देवी भी एक सीधी-साधी गृहणी हैं. लेकिन इन दोनों ने ही शीला को हमेशा पढ़ाई के लिए सपोर्ट किया और ऐसा कोई काम नहीं कराया जिससे शीला की पढ़ाई डिस्टर्ब हो.
ऐसा नहीं है कि शीला सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ध्यान देती है. शीला अपने भाई रोहित और अपने दोस्तों की भी पढ़ाई में मदद करती है. यही कारण है कि शीला के दोस्तों के भी 90 फीसदी से ऊपर अंक आए हैं. और तो और शीला के भाई रोहित ने भी हाल ही में पास की 7वीं कक्षा में 99 फीसदी अंक हासिल किए हैं. वो कहते हैं न पूत के पांव पालने में नजर आते हैं. कुछ ऐसा ही हाल 10वीं टॉप करने वाली शीला जाट का है. स्कूल में शीला की क्लास टीचर से लेकर प्रिंसिपल तक सभी को उम्मीद थी कि शीला उनके स्कूल का नाम रोशन करेगी.
हालांकि पहले शीला खुद भी पढ़ने में कोई खास रुचि नहीं दिखाती थी. उसके 51 परसेंटेज अंक तक आए हुए हैं. यही नहीं एनके पब्लिक स्कूल में एडमिशन के बाद वो 15 दिन तक स्कूल जाने से बच भी रही थी. लेकिन आज शीला ने वो मुकाम हासिल किया है जो हर छात्र और उनके माता पिता का सपना होता है. शीला अब साइंस बायो लेकर भविष्य में न्यूरोसर्जन और फिर वैज्ञानिक बनना चाहती है. चाहती है कि वो मरते हुए इंसान को जिंदा कर सके और अपने माता पिता के सपनों को पूरा कर सके. शीला जिस लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रही है. ईटीवी भारत कामना करता है कि वो अपने इस लक्ष्य को हासिल करे और सफलता की नई इबारत लिखे.