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हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फांसी की सजा के फैसले पर लगाई रोक...मामले में फिर सुनवाई के आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट निचली अदालत के एक फांसी की सजा के फैसले पर रोक लगा दी है. वहीं कोर्ट ने संबंधित अदालत को दोनों पक्षों की फिर से सुनवाई करने का आदेश दिया है.

राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Apr 2, 2019, 7:34 AM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में मिली फांसी की सजा को रद्द करते हुए निचली अदालत को दोनों पक्षों की फिर से सुनवाई करने का आदेश दिया है. न्यायाधीश बीएल शर्मा और न्यायाधीश के एस अहलूवालिया की खंडपीठ ने यह आदेश भजन और बहादुर सिंह की ओर से दायर आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है.

याचिका में कहा गया कि करौली के मेहतानपुरा गांव की निवासी अमर सिंह की 29 दिसंबर 2012 को मौत हो गई थी. मामले में निचली अदालत ने 13 दिसंबर 2018 को याचिकाकर्ता के दोषी पाए जाने पर फांसी की सजा सुनाई थी. निचली अदालत ने याचिकाकर्ता के खिलाफ वर्ष 2005 से वर्ष 2012 के बीच कई प्रकरण लंबित रहने और हत्या का मामला होने के आधार मानकर फांसी की सजा सुनाई है. लेकिन इन प्रकरणों में याचिकाकर्ता का दोष सिद्ध नहीं हुआ था.

वहीं हत्या का यह मामला दुर्लभतम श्रेणी में नहीं आता. इसके अलावा निचली अदालत ने सीआरपीसी के प्रावधानों की पालना में सजा देने से पहले याचिकाकर्ता को सुनवाई का अधिकार नहीं दिया. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने फांसी की सजा को रद्द करते हुए निचली अदालत को पुनः फैसला देने को कहा है.


जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में मिली फांसी की सजा को रद्द करते हुए निचली अदालत को दोनों पक्षों की फिर से सुनवाई करने का आदेश दिया है. न्यायाधीश बीएल शर्मा और न्यायाधीश के एस अहलूवालिया की खंडपीठ ने यह आदेश भजन और बहादुर सिंह की ओर से दायर आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है.

याचिका में कहा गया कि करौली के मेहतानपुरा गांव की निवासी अमर सिंह की 29 दिसंबर 2012 को मौत हो गई थी. मामले में निचली अदालत ने 13 दिसंबर 2018 को याचिकाकर्ता के दोषी पाए जाने पर फांसी की सजा सुनाई थी. निचली अदालत ने याचिकाकर्ता के खिलाफ वर्ष 2005 से वर्ष 2012 के बीच कई प्रकरण लंबित रहने और हत्या का मामला होने के आधार मानकर फांसी की सजा सुनाई है. लेकिन इन प्रकरणों में याचिकाकर्ता का दोष सिद्ध नहीं हुआ था.

वहीं हत्या का यह मामला दुर्लभतम श्रेणी में नहीं आता. इसके अलावा निचली अदालत ने सीआरपीसी के प्रावधानों की पालना में सजा देने से पहले याचिकाकर्ता को सुनवाई का अधिकार नहीं दिया. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने फांसी की सजा को रद्द करते हुए निचली अदालत को पुनः फैसला देने को कहा है.


Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में मिली फांसी की सजा को रद्द करते हुए निचली अदालत को दोनों पक्षों को सुनकर पुनः फैसला देने को कहा है। न्यायाधीश बीएल शर्मा और न्यायाधीश के एस अहलूवालिया की खंडपीठ ने यह आदेश भजन और बहादुर सिंह की ओर से दायर आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।


Body:याचिका में कहा गया कि करौली के मेहतानपुरा गांव की निवासी अमर सिंह की 29 दिसंबर 2012 को हुई हत्या के मामले में निचली अदालत ने 13 दिसंबर 2018 को फैसला सुनाते हुए याचिकाकर्ता को फांसी की सजा सुनाई थी। याचिका में कहा गया कि निचली अदालत ने याचिकाकर्ता के खिलाफ वर्ष 2005 से वर्ष 2012 के बीच कई प्रकरण लंबित रहने और हत्या का मामला होने के आधार मानकर फांसी की सजा सुनाई है, जबकि इन प्रकरणों में याचिकाकर्ता दोष सिद्ध नहीं हुआ है। वही हत्या का यह मामला दुर्लभतम श्रेणी में नहीं आता। इसके अलावा निचली अदालत ने सीआरपीसी के प्रावधानों की पालना में सजा देने से पहले याचिकाकर्ता को सुनवाई का अधिकार नहीं दिया। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने फांसी की सजा को रद्द करते हुए निचली अदालत को पुनः फैसला देने को कहा है।


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