जयपुर. जयपुर नगर निगम संचालन समितियों को भंग करके नए अध्यक्ष व सदस्य नियुक्त करने की कवायद ने भाजपा नेताओं की परेशानी बढ़ा दी है. महापौर स्तर पर चल रही इस कवायद के खिलाफ बाहर से तो भाजपाई एकजुट हो गए हैं लेकिन अंदर खाते शहर नेताओं में शीत युद्ध चरम पर है. इस मामले में मंगलवार को भाजपा मुख्यालय में बैठक हुई बैठक में कुछ ऐसा ही हुआ.
शहर अध्यक्ष मोहनलाल गुप्ता के नेतृत्व में हुई इस बैठक में संचालन समितियों के अध्यक्ष शामिल हुए लेकिन जब गुप्ता अध्यक्षों को उनके अधिकार व कर्तव्यों का पाठ पढ़ाने लगे तो उनका गुबार निकल पड़ा. ज्यादातर एक साथ पूर्व महापौर लाहोटी पर बरसे. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार और महापौर होते हुए भी हमें पंगु बनाए रखा. पहले कमेटी बनाने में देरी की और फिर बनी तो भी उनमें पूरी तरह हस्तक्षेप रहा. यह स्थिति देख गुप्ता संभले और सभी को शांत करने का प्रयास करते रहे. खास यह रहा कि निगम से जुड़े मसलों पर मंथन के लिए विधायक अशोक लाहोटी व उपमहापौर मनोज भारद्वाज को अधिकृत किया गया.
एक्ट में यह है नियम
राजस्थान नगर पालिका एक्ट 2009 की धारा 55 में अंकित है कि समितियां नगर निगम, पालिका के गठन के 90 दिन के भीतर बनाई जाएगी. इस मियाद में समिति गठन नहीं होती है तो राज्य सरकार बोर्ड को समिति गठित करने का निर्देश दे सकती है और उसकी पालना के लिए बोर्ड बाध्य होगा. हालांकि अभी 26 संचालन समितियां हैं. अब या तो निगम बोर्ड इन समितियों को भंग करे या फिर फिर समिति अध्यक्ष इस्तीफा दे दें तो सरकार नई समिति अध्यक्ष, सदस्यों को गठन कर सकती है. लेकिन इसके लिए बोर्ड द्वारा भंग करना जरूरी है.
यह है मौजूदा स्थिति
अभी बोर्ड भाजपा का है, जिसमें अब भी 90 में से 61 पार्षद भाजपा के हैं और 29 महापौर के पक्ष में. इसमें स्वयं महापौर के अलावा एक बगावत करने वाले और पार्टी से निष्कासित पार्षद, 18 कांग्रेस व 9 निर्दलीय शामिल हैं. ऐसे में बोर्ड स्तर पर भंग होने की संभावना ना के बराबर है. यह केवल उसी स्थिति में संभव है जब भाजपा पार्षद बगावत कर दें. दूसरी और संचालन समितियों के अध्यक्ष अपने स्तर पर इस्तीफा नहीं देंगे.
पूर्व बोर्ड में भी हाईकोर्ट पहुंचा था मामला
भाजपा संगठन का दावा है कि निगम के पूर्व बोर्ड में संचालन समितियों के गठन का मामला हाईकोर्ट पहुंचा था. उस समय महापौर ज्योति खंडेलवाल थीं, लेकिन बोर्ड भाजपा का था. तत्कालीन महापौर राज्य सरकार से संचालन समितियों का गठन करवाना चाह रही थीं. इसके खिलाफ भाजपा पार्षद हाईकोर्ट पहुंचे, तब कोर्ट ने बोर्ड को कमेटियां गठन के आदेश दिए. फिर आपसी सहमति के बाद 16 कमेटी में भाजपा अध्यक्ष व बाकी बची कमेटी में कांग्रेस पार्षद अध्यक्ष बनाए गए.