जयपुर : सांप्रदायिक दंगा मामलों की विशेष अदालत ने 24 साल पहले टोंक के मालपुरा में हुए सांप्रदायिक दंगा के दौरान हत्या करने वाले अभियुक्तों इस्लाम, मोहम्मद इशाक, अब्दुल रज्जाक, इरशाद, मोहम्मद जफर, साजिद अली, बिलाल अहमद और मोहम्मद हबीब को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है. इसके साथ ही अदालत की पीठासीन अधिकारी श्वेता गुप्ता ने अभियुक्तों पर जुर्माना भी लगाया है. अदालत ने कहा कि अभियुक्तों ने धारदार हथियारों से इस निर्ममतापूर्ण घटना को अंजाम दिया है. ऐसे में अभियुक्तों के प्रति नरमी का रुख नहीं अपनाया जा सकता.
अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक जवाहर सिंह ने अदालत को बताया कि मामले में मृतक की विधवा धन्नी देवी ने 10 जुलाई, 2000 को मालपुरा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. जिसमें कहा गया कि वह अपने पति हरिराम के साथ खेत पर जा रही थी. इस दौरान अभियुक्तों ने धारदार हथियार से उसके पति पर हमला बोल दिया और उसके शरीर पर कई जगह वार किए, जिसके चलते उसकी मौत हो गई.
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रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने अभियुक्तों को समय-समय पर गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया. सुनवाई के दौरान मृतक की विधवा की ओर से अधिवक्ता वीके बाली और अधिवक्ता सोनल दाधीच ने अदालत को बताया कि घटना के समय मालपुरा में दो संप्रदायों के बीच दंगा हुआ था. वहीं, हरिराम और धन्नी देवी अपने खेत पर जा रहे थे. इस दौरान अभियुक्तों ने अचानक आकर हरिराम की हत्या कर दी. मृतक की अभियुक्तों के साथ कोई रंजिश भी नहीं थी. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.