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आराध्य गोविंद देव जी में गज पूजन, मंदिरों में सुनाया गया नववर्ष का पंचांग, घट स्थापना के साथ नवरात्र की भी शुरुआत - Navratri Celebration in Jaipur

आराध्य गोविंद देव जी में बुधवार को गज पूजन किया गया और मंदिरों में नववर्ष का पंचांग सुनाया गया. जबकि घट स्थापना के साथ ही नवरात्र (Chaitra Navratri 2023) की भी शुरुआत हुई.

Jaipur Govind Dev Ji Mandir
आराध्य गोविंद देव जी में गज पूजन
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Published : Mar 22, 2023, 3:25 PM IST

आराध्य गोविंद देव जी में गज पूजन

जयपुर. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर जहां मंदिरों और घरों में घट स्थापना के साथ चैत्र के नवरात्र की शुरुआत हुई, वहीं भारतीय नव वर्ष और नव संवत्सर 2080 के आगाज के मौके पर जयपुर के आराध्य गोविंद देव जी मंदिर में शृंगार आरती के बाद गज पूजन किया गया. पूरे मंदिर प्रांगण में नव संवत्सर के स्वागत में ध्वज पताकाएं लगाई गईं. वहीं, रामचंद्र जी मंदिर सहित शहर के अन्य प्रमुख मंदिरों नव वर्ष का पंचांग पढ़ा गया.

चैत्र नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की गई सुबह 6:33 से 7:40 सर्वश्रेष्ठ द्विस्वभाव मीन लग्न, सुबह 6:33 से 9:33 बजे तक लाभ अमृत के चौघड़िया और इसके बाद 11:14 से 12:10 तक द्विस्वभाव मिथुन लग्न में घरों और मंदिरों में घट स्थापना कर माता की पूजा-आराधना की गई. जयपुर में स्टेट पीरियड में बनवाए गए उत्तर में आमेर में शिला माता, दक्षिण में दुर्गापुरा में दुर्गा माता, पूर्व में झालाना में कालक्या माता और पश्चिम में जोबनेर में ज्वाला माता मंदिर बनवाया गया था. इन मंदिरों में बुधवार से विशेष पूजा-अर्चना का दौर शुरू हुआ. ज्योतिषाचार्य के अनुसार चैत्र नवरात्र में मां दुर्गा का नौका पर आगमन हुआ है और प्रस्थान नर पर होगा. जो श्रद्धालुओं और देश के लिए मंगलकारी सिद्ध होगा.

पढ़ें : करणी माता के दर्शन से पूरी होती है मनोकामना, नवरात्रि पर उमड़ रहे श्रद्धालु...क्षेत्र में बाघों की मूवमेंट से पाबंदी भी

उधर, जयपुर के आराध्य गोविंद देव जी मंदिर में ठाकुर जी का अभिषेक कर नवीन लाल जामा पोशाक धारण कराई गई. शृंगार आरती के बाद चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के मौके पर परंपरा का निर्वहन करते हुए मंदिर प्रांगण में ही गज पूजन किया गया. मंदिर परिवार की ओर से गजराज को जल अर्पित कर मस्तक पर चंदन का स्वास्तिक बनाते हुए, पुष्प अर्पित कर बैंड वादन के साथ मंगल आरती की गई.

इसके साथ ही नव संवत्सर का पंचांग ठाकुर जी को सुनाया गया. इसी तरह शहर के अन्य प्रमुख मंदिरों में भी पंचांग सुनाया गया, जिसके तहत नव वर्ष के राष्ट्रपति बुद्ध और प्रधानमंत्री शुक्र होंगे. इस साल सभी क्षेत्रों में विशेष परिणाम दिखाई देंगे. बुध और शुक्र का कृषि, कला, व्यापार, विज्ञान, संगीत, फिल्म, संचार सेवा में आधिपत्य होने से इन क्षेत्रों में नई उपलब्धियां हासिल होंगी.

वहीं, समय का वास धोबी के घर होने से सुख-समृद्धि और प्रजाहित के लिए कई अहम फैसले होंगे. मान्यता है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी. इसी दिन सभी संवत्सरों की शुरुआत भी होती है. भगवान राम का राज्याभिषेक, आर्य समाज की स्थापना और राजस्थान का स्थापना दिवस भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही हुई थी.

आराध्य गोविंद देव जी में गज पूजन

जयपुर. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर जहां मंदिरों और घरों में घट स्थापना के साथ चैत्र के नवरात्र की शुरुआत हुई, वहीं भारतीय नव वर्ष और नव संवत्सर 2080 के आगाज के मौके पर जयपुर के आराध्य गोविंद देव जी मंदिर में शृंगार आरती के बाद गज पूजन किया गया. पूरे मंदिर प्रांगण में नव संवत्सर के स्वागत में ध्वज पताकाएं लगाई गईं. वहीं, रामचंद्र जी मंदिर सहित शहर के अन्य प्रमुख मंदिरों नव वर्ष का पंचांग पढ़ा गया.

चैत्र नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की गई सुबह 6:33 से 7:40 सर्वश्रेष्ठ द्विस्वभाव मीन लग्न, सुबह 6:33 से 9:33 बजे तक लाभ अमृत के चौघड़िया और इसके बाद 11:14 से 12:10 तक द्विस्वभाव मिथुन लग्न में घरों और मंदिरों में घट स्थापना कर माता की पूजा-आराधना की गई. जयपुर में स्टेट पीरियड में बनवाए गए उत्तर में आमेर में शिला माता, दक्षिण में दुर्गापुरा में दुर्गा माता, पूर्व में झालाना में कालक्या माता और पश्चिम में जोबनेर में ज्वाला माता मंदिर बनवाया गया था. इन मंदिरों में बुधवार से विशेष पूजा-अर्चना का दौर शुरू हुआ. ज्योतिषाचार्य के अनुसार चैत्र नवरात्र में मां दुर्गा का नौका पर आगमन हुआ है और प्रस्थान नर पर होगा. जो श्रद्धालुओं और देश के लिए मंगलकारी सिद्ध होगा.

पढ़ें : करणी माता के दर्शन से पूरी होती है मनोकामना, नवरात्रि पर उमड़ रहे श्रद्धालु...क्षेत्र में बाघों की मूवमेंट से पाबंदी भी

उधर, जयपुर के आराध्य गोविंद देव जी मंदिर में ठाकुर जी का अभिषेक कर नवीन लाल जामा पोशाक धारण कराई गई. शृंगार आरती के बाद चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के मौके पर परंपरा का निर्वहन करते हुए मंदिर प्रांगण में ही गज पूजन किया गया. मंदिर परिवार की ओर से गजराज को जल अर्पित कर मस्तक पर चंदन का स्वास्तिक बनाते हुए, पुष्प अर्पित कर बैंड वादन के साथ मंगल आरती की गई.

इसके साथ ही नव संवत्सर का पंचांग ठाकुर जी को सुनाया गया. इसी तरह शहर के अन्य प्रमुख मंदिरों में भी पंचांग सुनाया गया, जिसके तहत नव वर्ष के राष्ट्रपति बुद्ध और प्रधानमंत्री शुक्र होंगे. इस साल सभी क्षेत्रों में विशेष परिणाम दिखाई देंगे. बुध और शुक्र का कृषि, कला, व्यापार, विज्ञान, संगीत, फिल्म, संचार सेवा में आधिपत्य होने से इन क्षेत्रों में नई उपलब्धियां हासिल होंगी.

वहीं, समय का वास धोबी के घर होने से सुख-समृद्धि और प्रजाहित के लिए कई अहम फैसले होंगे. मान्यता है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी. इसी दिन सभी संवत्सरों की शुरुआत भी होती है. भगवान राम का राज्याभिषेक, आर्य समाज की स्थापना और राजस्थान का स्थापना दिवस भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही हुई थी.

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