जयपुर. प्रदेश में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर दोनों प्रमुख दलों के साथ अन्य राजनीतिक पार्टियों ने भी सक्रियता बढ़ा दी है. बढ़ती राजनीतिक हलचल के बीच बीजेपी में फिर से मुख्यमंत्री के चहरे को लेकर चर्चाएं इन दिनों तेज हो गईं हैं. हालांकि, बीजेपी में मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में कई नेता हैं, लेकिन वसुंधरा राजे का पलड़ा अभी भी भारी नजर आ रहा है.
पिछले कई महीनों से पार्टी कार्यक्रमों और अन्य गतिविधियों से दूर रहने वाली पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एक बार फिर एक्टिव मोड में आ चुकी हैं. राजे की सक्रियता के बीच उन्हें चुनाव समिति की अध्यक्ष बनाने की अटकलें भी तेज हो गई हैं. वसुंधरा समर्थित विधायक अब खुले में बोलने लग गए हैं कि अगले कुछ दिनों में वसुंधरा राजे को चुनाव समिति का अध्यक्ष बनाकर प्रदेश चुनाव की कमान सौंपी जाने वाली है.
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राजे बनेंगी चुनाव समिति की अध्यक्ष : पहले प्रदेश पार्टी कार्यालय के बाहर मुख्य होर्डिंग और 4 साल बाद वसुंधरा राजे का फोटो लगना और अब राजे की चुनावी यात्राएं, ये बता रही हैं कि प्रदेश बीजेपी में वसुंधरा राजे का दबदबा फिर दिखने लगा है. अचानक पार्टी में बढ़ी इन सर गर्मियों के बीच वसुंधरा राजे के समर्थित विधायक उत्साहित हैं. उन्हें लग रहा है कि प्रदेश कांग्रेस के मौजूदा राजनीतिक हालातों का फायदा उठाकर उन्हें राजस्थान से क्लीन स्वीप करना है तो यह वसुंधरा राजे के बिना संभव नहीं लगता है. क्योंकि बाकी दावेदारों में अधिकांश जन नेता नहीं हैं और जनता भी वसुंधरा राजे को भावी बीजेपी का मुख्यमंत्री मान रही है. वसुंधरा समर्थित विधायक प्रताप सिंह सिंघवी ने कह दिया था कि जल्द ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को चुनाव समिति का अध्यक्ष बनाकर आगामी विधानसभा चुनाव की कमान सौंपी जाने वाली है.
जिलों के दौरों की तैयारी : फिलहाल वसुंधरा राजे उदयपुर के दौरे पर हैं. ये धार्मिक यात्रा के तौर पर देखी जा रही है, लेकिन पिछला अनुभव बताता हैं कि जब भी चुनाव नजदीक आते हैं तो राजे धार्मिक स्थलों से ही अपनी यात्रा का आगाज करती हैं. बताया जा रहा है कि राजे अगले कुछ दिनों में प्रदेश के सभी जिलों के दौरा करने वाली हैं. इसको लेकर वसुंधरा खेमा तैयारियों में जुट गया है. राजे के इन दौरे को आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों से भी जोड़कर देखा जा रहा है. हालांकि, पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया इस तरह की अटकलों को सिर्फ गॉसिप करार दे रहे हैं. पूनिया ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी में संसदीय बोर्ड ही सब तय करता है. मुख्यमंत्री का चेहरा कौन है, कौन नहीं यह सब सिर्फ राजनीतिक चर्चाएं हैं. प्रदेश में पीएम मोदी से बड़ा चेहरा कोई नहीं है.
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कहो दिल से, वसुंधरा फिर से : वसुंधरा इन दिनों वागड़-अंचल के दौरे पर हैं. उदयपुर में तो कहो दिल से, वसुंधरा फिर से के नारे फिजाओं में गूंज रहे हैं. राजे जब बेणेश्वर के लिए रवाना हुईं तो उदयपुर एयरपोर्ट से बेणेश्वर धाम तक जड़ियाना मोड़, जयसमंद, खेराड, सलूंबर, आसपुर, साबला सहित विभिन्न स्थानों पर मेवाड़ और वागड़ के लोगों ने न केवल जबरदस्त स्वागत किया, बल्कि वसुंधरा राजे के लिए लगे नारों ने आगामी सियासी माहौल का भी संकेत दे दिया. वसुंधरा के दौरे को मेवाड़-वागड़ में अपनी सियासी जमीन को मजबूत करने के साथ ही वर्तमान नब्ज को टटोलने के तौर पर देखा जा रहा है.
सीएम के दावेदार कौन ? : आंकड़े बताते हैं कि राजस्थान में वसुंधरा राजे एक ऐसी नेता हैं, जो दो बार लोकसभा की 25 सीटें बीजेपी के पक्ष में लाने में कामयाब रही हैं. चार साल तक पार्टी से अलग-थलग रहीं वसुंधरा राजे की वजह से पार्टी को हुए नुकसान का आंकलन राष्ट्रीय नेताओं के पास पहुंच गया है. हालांकि, सतीश पूनिया मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष हैं, सीएम की कुर्सी के दावेदार भी बताए जाते हैं. हालांकि, पूनिया का रिकॉर्ड कोई ज्यादा अच्छा नहीं रहा है, फिर चाहे वो पार्टी संगठन को मजबूत करने का हो या उपचुनाव का. पूनिया अब तक कोई कमाल नहीं दिखा पाए हैं. एक ही वक्त में राजस्थान, मध्य प्रदेश, मिजोरम, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ और इसके बाद लोकसभा चुनाव बीजेपी आलाकमान के लिए चुनौती की तरह हैं.