जयपुर. राजधानी जयपुर के नाहरगढ़ स्थित एक रेस्टोरेंट में हुई धमाकेदार पार्टी के मामले को लेकर वन विभाग ने ( FIR in Late Night DJ Party in Nahargarh Century) एफआईआर दर्ज की है. 13 नवंबर को सेंचुरी एरिया में पाबंदी के बावजूद रेस्टोरेंट में लेट नाइट डीजे पार्टी हुई थी. इस मामले में वन्यजीव प्रेमियों ने आक्रोश जताया है.
वन्यजीव प्रेमी राजेंद्र तिवाड़ी ने बताया कि नाहरगढ़ किले पर एक रेस्टोरेंट में हुई पार्टी के मामले (DJ party in Restaurant at Nahargarh Fort ) को लेकर वन विभाग ने एफआईआर दर्ज की है. वन विभाग ने देरी से ही सही लेकिन अच्छा कदम उठाया है. लेकिन एफआईआर अर्ध सत्य के साथ की गई है. वन विभाग ने केवल रेस्टोरेंट के मैनेजर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. पार्टी आयोजकों को इसमें शामिल नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि आयोजकों को भी आरोपी बनाया जाए और उनकी जल्द गिरफ्तारी की जाए.
नाहरगढ़ इको डेवलपमेंट कमिटी के एक्सपर्ट मेंबर वैभव पंचोली ने बताया कि एनजीटी में याचिका फाइल की गई थी. नाहरगढ़ सेंचुरी एरिया में कमर्शियल एक्टिविटीज वाइल्ड लाइफ एक्ट का उल्लंघन है. याचिका पर 6 सदस्यीय पीठ ने सुनवाई की. सुनवाई के बाद पाया गया कि सेंचुरी एरिया में हो रही गतिविधियां नॉन फॉरेस्ट एक्टिविटीज हैं. एनजीटी ने सभी वाणिज्यिक गतिविधियां बंद करके फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को हैंड ओवर करने के आदेश दिए थे. ताकि किसी भी तरह की नॉन फॉरेस्ट एक्टिविटीज नाहरगढ़ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में नहीं हो.
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इसके बाद पुरातत्व विभाग ने सुप्रीम कोर्ट जाकर वन विभाग की अनुपस्थिति में इस आर्डर पर स्टे ले लिया था. फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कोई उपस्थित नहीं हुआ. पुरातत्व और आरटीडीसी के प्रतिनिधियों ने कोर्ट में कहा कि चीफ सेक्रेट्री लेवल पर बातचीत चल रही है, जबकि इस तरह की कोई बातचीत नहीं चली. वन विभाग के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक अरिंदम तोमर के मुताबिक नाहरगढ़ किले पर हुई पार्टी नियमों के खिलाफ आयोजित की गई थी. जानकारी मिलते ही विभाग ने एफआईआर दर्ज कर ली है. पूरे मामले की जांच पड़ताल की जा रही है.
जानकारी के मुताबिक वर्ष 2021 में वन्यजीव प्रेमी राजेंद्र तिवाड़ी ने नाहरगढ़ सेंचुरी में अवैध और वाणिज्यिक गतिविधियों को लेकर एनजीटी में याचिका लगाई थी. एनजीटी ने सेंचुरी एरिया में संचालित सभी कमर्शियल एक्टिविटीज पर अक्टूबर 2021 में रोक लगा दी थी. लेकिन इसके बाद पुरातत्व विभाग आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चला गया, जहां पर वन विभाग की लापरवाही और जवाब पेश नहीं करने की वजह से जनवरी 2022 में एनजीटी के आदेश पर स्टे मिल गया था.