जयपुर. लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष के पद पर दलित चेहरे के रूप में टीकाराम जूली को मौका दिया है. माना जा रहा है कि कांग्रेस ने जातिगत रणनीति के लिहाज से ये फैसला लिया है. लोकसभा चुनाव में दलित कार्ड के जरिए कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी के जातिगत गणित को साधने की कोशिश करेगी.
नेता प्रतिपक्ष पद पर नियुक्त होने के बाद अलवर ग्रामीण से विधायक टीकाराम जूली जयपुर में अपने सरकारी आवास पर मीडिया से मुखातिब हुए. उन्होंने कहा कि पूरा दलित वर्ग पार्टी का आभारी है. राष्ट्रीय नेतृत्व, राहुल गांधी के साथ मल्लिकार्जुन खड़गे का आभार जताते हुए उन्होंने कहा कि जिस भावना से उन्हें जिम्मेदारी सौंप गई है, वो उस पर खरा उतरने की कोशिश करेंगे.
हम ईमानदारी से रखेंगे जनता की बात : टीकाराम जूली ने आने वाले विधानसभा सत्र के दौरान सदन में सरकार को घेरने की रणनीति से जुड़े सवाल पर कहा कि सरकार ने अभी तक जनता से जुड़ा कोई काम नहीं किया है. शपथ लेने के बाद से सिर्फ दावे किए जा रहे हैं. टीकाराम ने आरोप लगाया कि बीजेपी की भजनलाल सरकार अभी तक कांग्रेस राज की योजनाओं और कामों पर बंदिशें लगाने में जुटी हुई है. उन्होंने सिर्फ वादे और दावे किए हैं, जबकि इन पर काम नहीं हुआ है. टीकाराम जूली ने कहा कि सदन में जनता से जुड़े मुद्दों को उठाएंगे. सरकार की कार्य नीति पर भी उन्होंने सवाल खड़े किए और कहा कि पिछली सरकार के दौरान हुए टेंडर के काम भी मौजूदा सरकार रोक रही है, जबकि इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है.
भंवर जितेंद्र के करीबियों के रूप में है पहचान : दलित विधायक के रूप में पहचान रखने वाले टीकाराम जूली तीन बार के विधायक हैं और अलवर के जिला प्रमुख रह चुके हैं. वे कांग्रेस के जिला अध्यक्ष के रूप में भी काम कर चुके हैं. उनकी पहचान भंवर जितेंद्र सिंह के करीबी नेता के रूप में होती है. माना जा रहा है कि नेता प्रतिपक्ष के पद पर उनकी नियुक्ति के बाद अब प्रदेश कांग्रेस में अध्यक्ष पद पर कोई बदलाव नहीं होगा और गोविंद सिंह डोटासरा पीसीसी चीफ के तौर पर कायम रहेंगे. उसके साथ ही लोकसभा चुनाव में ओबीसी और दलित चेहरे के दम पर भारतीय जनता पार्टी के मिशन 25 को कांग्रेस रोकने की कोशिश करेगी.