जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जेडीए और नगर निगम को कहा है कि वह कॉलोनियों की रोड, पार्क और सुविधा क्षेत्र में हुए अतिक्रमणों को हटाने के दौरान जनप्रतिनिधियों के प्रभाव में ना आए. अदालत ने कहा कि जरूरत पडने पर पुलिस की मदद भी ली जा सकती है.
वहीं अदालत ने एसीएस गृह को इस पर मॉनिटरिंग रखने को कहा है. अदालत ने 18 अक्टूबर को जेडीसी, मुख्य प्रवर्तन अधिकारी, पुलिस आयुक्त और निगम के सतर्कता आयुक्त को कार्रवाई को लेकर शपथ पत्र पेश करने को कहा है.
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न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश गृह निर्माण सहकारी समितियों की ओर से किए जाने वाले फर्जीवाडे पर लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.
साथ ही अदालत ने कहा कि यह बहुत अफसोसजनक है कि मामले में गत 15 मई को आदेश देने के बाद भी अतिक्रमण नहीं है. वहीं राज्य सरकार ने कहा कि जेडीए ने कॉलोनियों को नगर निगम को हस्तान्तरित कर दिया है. जेडीए की ओर से अदालत को जानकारी दी गई कि जेडीए ने प्रतापनगर स्कीम, हिम्मत नगर, सूरज नगर पश्चिम, जैम एन्क्लेव और मदरामपुरा स्कीम में अतिक्रमण हटाने के लिए निगम को पत्र लिखा है.
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नगर निगम ने अतिक्रमण हटाने के लिए संबंधित जोन उपायुक्त को कह दिया है. गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने गत 15 मई को जेडीए और जयपुर नगर निगम को कॉलोनियों से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे. इसके साथ ही एसीएस की अध्यक्षता वाली कमेटी को हर माह के अंतिम सप्ताह में बैठक करने को कहा था.