जयपुर. सरकारी स्कूलों में बच्चों का ज्यादा से ज्यादा नामांकन करने के लिए पहली जुलाई से प्रवेशोत्सव का आयोजन किया जाएगा. इस बार प्रवेशोत्सव पूरी तरह से डिजिटली होगा. माध्यमिक शिक्षा निदेशक गौरव अग्रवाल ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि ऐसा करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बनने जा रहा है. शिक्षा संकुल में शुक्रवार को एक कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत के क्रम माध्यमिक शिक्षा निदेशक गौरव अग्रवाल ने कहा कि राजस्थान ऐसा पहला स्टेट बनने जा रहा है, जहां प्रवेशोत्सव पूरी तरीके से डिजिटली होगा. इसके तहत घर-घर जाकर किया जाने वाला सर्वे भी पूरी तरह से डिजिटल होगा. उन्होंने आगे कहा कि एक बार जब डिजिटली कैप्चर हो जाएगा कि कितने बच्चे आउट ऑफ स्कूल हैं या ड्रॉप आउट हैं तो वहां से उन्हें सीधे तौर पर स्कूल में दाखिल करवाया दिलाया जा सकेगा.
प्रवेशोत्सव में उदासीनता नहीं होगी बर्दाश्त - प्रवेशोत्सव के दौरान प्रिंसिपल को लक्ष्य दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि विभाग का बहुत ही स्पष्ट मेंडेट है कि जो भी बच्चे आउट ऑफ स्कूल या फिर ड्रॉप आउट हैं, उन सभी को स्कूल में दाखिला दिलवाना है. इसमें सैचुरेशन मोड में काम किया जाएगा. पिछली बार जिन पीईईओ ने थोड़ी भी उदासीनता बरती थी, उन्हें नोटिस जारी किया गया है और विभागीय कार्रवाई अमल में लाई जाएगी. साथ ही उन्होंने कहा कि प्रवेशोत्सव विभाग की सबसे महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक है. ऐसे में जब प्रवेशोत्सव व नामांकन शुरू होगा तो सभी कर्मचारी पूरे मनोयोग से काम करेंगे.
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अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में संविदा पर लगेंगे शिक्षक - अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में 9712 अध्यापकों को संविदा पर लगाने की कवायद चल रही है. यह प्रक्रिया जून महीने में पूरी कर ली जाएगी. जुलाई से जब स्कूल खुलेंगे तो सभी स्कूलों में ये अध्यापक सेवाएं देंगे.
RTE के नियमों का उल्लंघन करने पर होगी कार्रवाई - एक सवाल के जवाब में माध्यमिक शिक्षा निदेशक गौरव अग्रवाल ने कहा कि RTE में समय-समय पर शिकायतें आती रही हैं. कई बार देखने में आया है कि जो बच्चे आवंटित किए जाते हैं. उन्हें स्कूल एडमिशन नहीं देते हैं. पिछली बार प्री-प्राइमरी में इस तरह की शिकायतें ज्यादा आई थी. लेकिन तब हाईकोर्ट के निर्देश थे कि उन स्कूलों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाए. अब यह प्रक्रिया चालू हो गई है. अब यदि कोई इस तरह की मनमानी करेगा तो कार्रवाई होगी.
इस बार हमने प्रावधान रखा है कि निजी स्कूल कारण बताते हुए सवाल उठा सकते हैं. मसलन किसी बच्चे के दस्तावेज में कमी है तो उसके बाद अभिभावक के पास एक सप्ताह का समय रहेगा कि जो भी कमी है, उसे पूरी करे. अंतिम निर्णय सीबीईओ करेंगे. बच्चों के आवंटन के बाद भी कोई स्कूल मनमानी करते हुए किसी बच्चे को प्रवेश नहीं देता है तो उस स्कूल की मान्यता तक रद्द करने का प्रावधान है. इसकी पूरी पालना की जाएगी.