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शीतलाष्टमी पर शीतला माता के दरबार में उमड़ा भक्तों का सैलाब, माता को ठंडे पकवानों का लगाया भोग...देखें तस्वीरें

विश्व प्रसिद्ध आमेर की नई माता मंदिर में शीतलाष्टमी पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाती है. मंदिर में सुबह से ही पूजा के लिये भक्तो की भीड़ उमड़ती है. भक्त माता को ठंडे पकवानों का भोग लगाते हैं.

शीतला माता
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Published : Mar 28, 2019, 1:24 PM IST

जयपुर. विश्व प्रसिद्ध आमेर की नई माता मंदिर में शीतलाष्टमी पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाती है. मंदिर में सुबह से ही पूजा के लिये भक्तो की भीड़ उमड़ती है.

Sheetla Mata
01: जल अर्पित करती महिलाएं.

भक्त माता को ठंडे पकवानों का भोग लगाकर विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं. महिलाए माता के गीत गाते हुए जयकारे लगाती है. माताजी पूड़ी, राबड़ी, दूध, दही, पापडी, हलवा, नमकीन सहित अनेक पकवानों का का भोग लगाते है.

Sheetla Mata
02: शीतला माता दूध से अभिषेक.

शीतलाष्टमी पर चाकसू शीतला माता का दो दिवसीय मेला आज से शुरू हो गया. शीतलाष्टमी मेले के अवसर पर भक्तों की ज्यादा भीड़ उमड़ेगी.

Sheetla Mata
03: मंदिर के बाहर का एक दृश्य.

चाकसू स्थित शीतला माता के वार्षिक मेले पर काफी संख्या में भक्तों की भीड़ पहुंचती है. श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था की है.

Sheetla Mata
04: मां को भोग अर्पित करने जाते श्रद्धालु.

ठंडे पकवानों का शीतला माता को भोग लगाया जाएगा. दूर-दूर से लोग पकवान लेकर शीतला माता के पहुंचकर भोग लगाएंगे.

Sheetla Mata
05: मंदिर तक पहुंचे का रास्ता.

हर गांव, हर ढाणी और हर शहर में शीतला माता की पूजा की जाती है. चाकसू का शीतला माता मंदिर विशेष प्रसिद्ध है इसकी खास मान्यताएं हैं.

Sheetla Mata
06: दर्शन के लिए श्रद्धालु की कतार.

शीतला अष्टमी के दिन महिलाएं गीत गाती हुई शीतला माता के मंदिर में जाकर छाछ, राबड़ी, पुआं, पापड़ी, नारियल जैसे विभिन्न ठंडे पकवानों का भोग लगाकर पूजा-अर्चना करती है

Sheetla Mata
07: सुरक्षा के लिहाज से यहां भी पुलिस तैनात

शील की डूंगरी चाकसू में शीतला माता का ऐतिहासिक लक्की मेला प्रदेश में लगने वाले मेलों में एक बड़ा मेला माना जाता है. जयपुर टोंक मुख्य मार्ग पर जयपुर से 35 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर स्थित है जहां शीतला माता विराजमान है.

Sheetla Mata
08: सुरक्षा के कड़े इंतजाम.

पौराणिक शिला लेखों के आधार पर इस मंदिर का निर्माण जयपुर के भूत पूर्व महाराजा माधव सिंह ने करवाया था मंदिर निर्माण से लेकर आज तक पहला भोज राज दरबार से माताजी के चढ़ाया जाता है.

Sheetla Mata
09: शिलापट्ट.

इस मंदिर की मान्यता है कि चेचक का प्रकोप माता दूर करती है. माता के रुष्टता के कारण ही चेचक होता है. शीतला माता को बच्चों की संरक्षिका माना जाता है.

Sheetla Mata
10: मेले की रौनक.

मेले में आसपास ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के हर हिस्से से लोग माता के दर्शन करने पहुंचते हैं. हर साल शीतला माता के मेले में लाखों भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं.

Sheetla Mata
11: पूजा-आर्चना करता बुजुर्ग.

शील की डूंगरी शीतला माता मेले के अवसर पर खेलकूद और मनोरंजन सहित कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं.

Sheetla Mata
12: पूजा-आर्चना का एक और दृश्य.

मेले पर कृषि विभाग, पशुपालन विभाग से कार्य ता पीएचडी और स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रदर्शनी भी लगाई जाती है.

Sheetla Mata
13: शितला माता का प्रसाद देता पुजारी.

सुरक्षा के लिए प्रशासन की ओर से सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं जिससे पुलिस प्रशासन की निगरानी रहेगी.

Sheetla Mata
15: ढोल की थाप पर नृत्य.

शीतला माता का वार्षिक लक्खी मेला सांस्कृतिक संगम और सामाजिक समरसता का संदेश देता है. जयपुर के चाकसू स्थित शीतला माता मंदिर की कई पौराणिक मान्यताएं भी हैं.

Sheetla Mata
16: ढोल की थाप पर नृत्य

पूरे प्रदेश भर में शीतलाष्टमी के अवसर पर विशेष पकवान बनाए जा रहे हैं.

जयपुर. विश्व प्रसिद्ध आमेर की नई माता मंदिर में शीतलाष्टमी पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाती है. मंदिर में सुबह से ही पूजा के लिये भक्तो की भीड़ उमड़ती है.

Sheetla Mata
01: जल अर्पित करती महिलाएं.

भक्त माता को ठंडे पकवानों का भोग लगाकर विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं. महिलाए माता के गीत गाते हुए जयकारे लगाती है. माताजी पूड़ी, राबड़ी, दूध, दही, पापडी, हलवा, नमकीन सहित अनेक पकवानों का का भोग लगाते है.

Sheetla Mata
02: शीतला माता दूध से अभिषेक.

शीतलाष्टमी पर चाकसू शीतला माता का दो दिवसीय मेला आज से शुरू हो गया. शीतलाष्टमी मेले के अवसर पर भक्तों की ज्यादा भीड़ उमड़ेगी.

Sheetla Mata
03: मंदिर के बाहर का एक दृश्य.

चाकसू स्थित शीतला माता के वार्षिक मेले पर काफी संख्या में भक्तों की भीड़ पहुंचती है. श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था की है.

Sheetla Mata
04: मां को भोग अर्पित करने जाते श्रद्धालु.

ठंडे पकवानों का शीतला माता को भोग लगाया जाएगा. दूर-दूर से लोग पकवान लेकर शीतला माता के पहुंचकर भोग लगाएंगे.

Sheetla Mata
05: मंदिर तक पहुंचे का रास्ता.

हर गांव, हर ढाणी और हर शहर में शीतला माता की पूजा की जाती है. चाकसू का शीतला माता मंदिर विशेष प्रसिद्ध है इसकी खास मान्यताएं हैं.

Sheetla Mata
06: दर्शन के लिए श्रद्धालु की कतार.

शीतला अष्टमी के दिन महिलाएं गीत गाती हुई शीतला माता के मंदिर में जाकर छाछ, राबड़ी, पुआं, पापड़ी, नारियल जैसे विभिन्न ठंडे पकवानों का भोग लगाकर पूजा-अर्चना करती है

Sheetla Mata
07: सुरक्षा के लिहाज से यहां भी पुलिस तैनात

शील की डूंगरी चाकसू में शीतला माता का ऐतिहासिक लक्की मेला प्रदेश में लगने वाले मेलों में एक बड़ा मेला माना जाता है. जयपुर टोंक मुख्य मार्ग पर जयपुर से 35 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर स्थित है जहां शीतला माता विराजमान है.

Sheetla Mata
08: सुरक्षा के कड़े इंतजाम.

पौराणिक शिला लेखों के आधार पर इस मंदिर का निर्माण जयपुर के भूत पूर्व महाराजा माधव सिंह ने करवाया था मंदिर निर्माण से लेकर आज तक पहला भोज राज दरबार से माताजी के चढ़ाया जाता है.

Sheetla Mata
09: शिलापट्ट.

इस मंदिर की मान्यता है कि चेचक का प्रकोप माता दूर करती है. माता के रुष्टता के कारण ही चेचक होता है. शीतला माता को बच्चों की संरक्षिका माना जाता है.

Sheetla Mata
10: मेले की रौनक.

मेले में आसपास ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के हर हिस्से से लोग माता के दर्शन करने पहुंचते हैं. हर साल शीतला माता के मेले में लाखों भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं.

Sheetla Mata
11: पूजा-आर्चना करता बुजुर्ग.

शील की डूंगरी शीतला माता मेले के अवसर पर खेलकूद और मनोरंजन सहित कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं.

Sheetla Mata
12: पूजा-आर्चना का एक और दृश्य.

मेले पर कृषि विभाग, पशुपालन विभाग से कार्य ता पीएचडी और स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रदर्शनी भी लगाई जाती है.

Sheetla Mata
13: शितला माता का प्रसाद देता पुजारी.

सुरक्षा के लिए प्रशासन की ओर से सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं जिससे पुलिस प्रशासन की निगरानी रहेगी.

Sheetla Mata
15: ढोल की थाप पर नृत्य.

शीतला माता का वार्षिक लक्खी मेला सांस्कृतिक संगम और सामाजिक समरसता का संदेश देता है. जयपुर के चाकसू स्थित शीतला माता मंदिर की कई पौराणिक मान्यताएं भी हैं.

Sheetla Mata
16: ढोल की थाप पर नृत्य

पूरे प्रदेश भर में शीतलाष्टमी के अवसर पर विशेष पकवान बनाए जा रहे हैं.

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शीतलाष्टमी पर शीतला माता के दरबार मे उमड़ा भक्तो का सैलाब, माता को ठंडे पकवानों का लगाया भोग



चाकसू शीलकी डूंगरी पर शीतला माता मंदिर में प्रदेश का सबसे बडा मेला



जयपुर

एंकर- प्रदेश में आज माता का विशेष पर्व शीतला अष्टमी यानी बास्योडा पर्व पारंपरिक रीति रिवाज से मनाया जा रहा है। जयपुर जिले के विभिन्न माताजी के मंदिरों में शीतला अष्टमी की पूजा अर्चना की जा रही है। इस अवसर पर सभी उम्र के लोग माता की पूजा अर्चना कर अच्छे स्वास्थ्य की कामना कर रहे है। पूरे देश में प्रसिद्ध चाकसू शील की डूंगरी माता जी मंदिर में कल से ही भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है। आज सुबह से ही भक्त माता के दरबार में ठंडे पकवानों का भोग लगा रहे हैं। चाकसू शील की डूंगरी में माताजी मंदिर में आयोजित दो दिवसीय वार्षिक लक्खी मेला आज पूरे परवान पर है, लाखों श्रद्धालु श्रद्धाभाव के साथ माँ शीतलामाता के दर मत्था टेक, ठंडे पकवानों का भोग लगाकर मनोकामनाएं मांग रहे है। चाकसू शीतला माता मंदिर की कई खास मान्यताएं भी है। पूरे देश भर से श्रद्धालु माता के दरबार में पहुंचते हैं। मेले में बाहरी क्षेत्रों से आने वाले श्रद्धालुओं का हुजुम कल शाम से ही उमड़ रहा। जो आज अलसुबह से पूरा परवान चढा हुआ है। रातभर मन्दिर में भजन कीर्तन के साथ की गई रोशनी आकर्षक सजावट मेले में मनोरंजन के खेल मौत का कुआ, सर्कर्स, झूले-चकरी, खिलौने अन्य चीजें श्रद्धालुओं को खूब लुभा रही हैं। इस मेले की खास बात यह रहती है कि इस दिन घरों में खाना नही बनाया जाता और अगले दिन बनाये गये ठंडे पकवानों का ही माता को भोग लगाया जाता है। वहीं परिवार के सभी लोग घर पर बासा भोजन हीं ग्रहण करते है जिससे माता प्रसन्न होती है। सुरक्षा की दृष्टी से प्रशासन ने मेला स्थल पर जगह-जगह लगभग 20 क्लोजर सिक्रेट कैमरे लगाये है और चप्पे-चप्पे पर 250 से अधिक पुलिस के जवान तैनात है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार इस लक्खी मेले के पीछे श्रद्धालुओ का मानना है कि जो भी बच्चा जन्म लेता है उसकों मातारानी के लाने से चेचक का रोग नही होता है, और अगर किसी के चेचक हो जाता है तो मातारानी की शरण में यह रोग हमेशा के लिए मिट जाता है। इस कारण राजस्थान के दूर दराज क्षेत्रो से भी परिजन अपने नन्हें-मुन्ने बच्चों के साथ मेले में अपने परिवार की खुशहाली की दुआ मांगने आते है।

विश्व प्रसिद्ध आमेर में नई माता मंदिर में शीतलाष्टमी पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया। नई माता मंदिर में सुबह से ही पूजा के लिये भक्तो की भीड़ उमड़ी। भक्तो ने माता के ठंडे पकवानों का भोग लगाकर विधि विधान से पूजा अर्चना की।

महिलाओं ने माता के गीत गाते हुए माता के जयकारे लगाती हुई नजर आए। भक्तो ने माताजी पूड़ी, राबड़ी, दूध, दही, पापडी, हलवा, नमकीन सहित अनेक पकवानों का लगाया गया।

इससे पूर्व रात्रि जागरण किया गया जिसमे भक्तों ने माता के गीत गाए और माता की झांकी निकाली। आज शाम को माता मंदिर पर माता का भव्य मेले का आयोजन होगा। जिसमें हजारों की तादात में भक्त माता के दर्शन लाभ लेंगे।



नोट- खबर की फीड FTP पर Jaipur_shitlashtmi_mela_av_umesh_28_march स्लग से भेजे गए है।



उमेश कुमार सैनी

जयपुर

मो. 9587003000




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