जयपुर. विश्व प्रसिद्ध आमेर की नई माता मंदिर में शीतलाष्टमी पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाती है. मंदिर में सुबह से ही पूजा के लिये भक्तो की भीड़ उमड़ती है.
भक्त माता को ठंडे पकवानों का भोग लगाकर विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं. महिलाए माता के गीत गाते हुए जयकारे लगाती है. माताजी पूड़ी, राबड़ी, दूध, दही, पापडी, हलवा, नमकीन सहित अनेक पकवानों का का भोग लगाते है.
शीतलाष्टमी पर चाकसू शीतला माता का दो दिवसीय मेला आज से शुरू हो गया. शीतलाष्टमी मेले के अवसर पर भक्तों की ज्यादा भीड़ उमड़ेगी.
चाकसू स्थित शीतला माता के वार्षिक मेले पर काफी संख्या में भक्तों की भीड़ पहुंचती है. श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था की है.
ठंडे पकवानों का शीतला माता को भोग लगाया जाएगा. दूर-दूर से लोग पकवान लेकर शीतला माता के पहुंचकर भोग लगाएंगे.
हर गांव, हर ढाणी और हर शहर में शीतला माता की पूजा की जाती है. चाकसू का शीतला माता मंदिर विशेष प्रसिद्ध है इसकी खास मान्यताएं हैं.
शीतला अष्टमी के दिन महिलाएं गीत गाती हुई शीतला माता के मंदिर में जाकर छाछ, राबड़ी, पुआं, पापड़ी, नारियल जैसे विभिन्न ठंडे पकवानों का भोग लगाकर पूजा-अर्चना करती है
शील की डूंगरी चाकसू में शीतला माता का ऐतिहासिक लक्की मेला प्रदेश में लगने वाले मेलों में एक बड़ा मेला माना जाता है. जयपुर टोंक मुख्य मार्ग पर जयपुर से 35 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर स्थित है जहां शीतला माता विराजमान है.
पौराणिक शिला लेखों के आधार पर इस मंदिर का निर्माण जयपुर के भूत पूर्व महाराजा माधव सिंह ने करवाया था मंदिर निर्माण से लेकर आज तक पहला भोज राज दरबार से माताजी के चढ़ाया जाता है.
इस मंदिर की मान्यता है कि चेचक का प्रकोप माता दूर करती है. माता के रुष्टता के कारण ही चेचक होता है. शीतला माता को बच्चों की संरक्षिका माना जाता है.
मेले में आसपास ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के हर हिस्से से लोग माता के दर्शन करने पहुंचते हैं. हर साल शीतला माता के मेले में लाखों भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं.
शील की डूंगरी शीतला माता मेले के अवसर पर खेलकूद और मनोरंजन सहित कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं.
मेले पर कृषि विभाग, पशुपालन विभाग से कार्य ता पीएचडी और स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रदर्शनी भी लगाई जाती है.
सुरक्षा के लिए प्रशासन की ओर से सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं जिससे पुलिस प्रशासन की निगरानी रहेगी.
शीतला माता का वार्षिक लक्खी मेला सांस्कृतिक संगम और सामाजिक समरसता का संदेश देता है. जयपुर के चाकसू स्थित शीतला माता मंदिर की कई पौराणिक मान्यताएं भी हैं.
पूरे प्रदेश भर में शीतलाष्टमी के अवसर पर विशेष पकवान बनाए जा रहे हैं.