जयपुर. राजस्थान में पंडित भंवर लाल शर्मा के निधन के चलते सरदारशहर विधानसभा में उपचुनाव में सत्ताधारी दल कांग्रेस के अनिल शर्मा ने चुनाव में जीत हासिल कर ली है. वैसे तो पंडित भंवर लाल शर्मा जो सरदार शहर के चुनाव में लगातार जीत दर्ज कर रहे थे. उनके निधन होने पर कांग्रेस ने पंडित भंवर लाल शर्मा के बेटे अनिल शर्मा को टिकट देकर कांग्रेस ने जिस सहानुभूति के सहारे जीत का कार्ड खेला था. कांग्रेस का सहानुभूति कार्ड एक बार फिर सफल रहा है.
भले ही उपचुनाव में यह फार्मूला 2017 तक ज्यादा सफल नहीं हुआ था. लेकिन साल 2018 के बाद हुए उपचुनाव में राजस्थान में सहानुभूति मतलब जीत की गारंटी साबित हुआ है. सरदारशहर में भी कांग्रेस पार्टी ने सहानुभूति के सहारे जीत दर्ज कर ली है. खास बात यह है कि इस बार हुए 8 उपचुनाव में से सात उपचुनाव में जिन विधायकों की सीट खाली हुई थी, उनमें जिस भी विधायक के परिवार के सदस्य ने चुनाव लड़ा उसने जीत हासिल की है.
पिछले उपचुनाव को देखें तो हनुमान बेनीवाल के सांसद बनने पर (Hanuman Beniwal Politics) उनके भाई नारायण बेनीवाल ने खींवसर उपचुनाव में आरएलपी की टिकट पर जीत दर्ज की थी. उसके बाद 5 विधायकों का निधन हुआ. जिसमें सुजानगढ़ से मास्टर भंवरलाल के निधन पर उनके बेटे मनोज मेघवाल ने कांग्रेस, सहाड़ा से कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी के निधन पर उनकी पत्नी गायत्री त्रिवेदी कांग्रेस से जीत दर्ज की थी.
इसी प्रकार राजसमंद से किरण महेश्वरी के निधन पर उनकी बेटी दीप्ति महेश्वरी, वल्लभनगर से विधायक गजेंद्र शक्तावत की पत्नी प्रीति शक्तावत और ताजा नतीजों में पंडित भंवर लाल शर्मा के बेटे अनिल शर्मा ने जीत दर्ज की है. 8 में से 6 उपचुनाव में विधायकों के परिजनों को मिली जीत के जरिए यह साफ हो गया है कि इस बार राजस्थान की जनता ने उपचुनाव में सहानुभूति को ही (Congress Won Rajasthan By Election) जीत का आधार बनाया है. भले ही टिकट परिवार में कांग्रेस ने दिया हो, भाजपा ने दिया हो या आरएलपी ने.
डोटासरा की रणनीति भी रही कारगरः राजस्थान में जब अनिल शर्मा को टिकट दिया गया तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चल रहा झगड़ा अपने चरम पर था. यहां तक कि गहलोत समर्थक विधायकों ने तो अपने इस्तीफे भी स्पीकर को सौंप दिए थे. सहानुभूति के बावजूद इन दोनों नेताओं के बीच के झगड़े का असर अनिल शर्मा के मजबूत होने के बावजूद पड़ता दिखाई दे रहा था.
लेकिन राजस्थान के कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने रणनीति बनाई और लोकल लीडर्स को इन चुनाव में एक्टिव किया. साथ ही वह खुद भी आरएलपी के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल जो किसान वोटों पर सेंध लगाते दिखाई दे रहे थे, उनसे भी उन्होंने काफी हद तक जाट वोट बैंक को कांग्रेस के पक्ष में साधे रखने का सफलतापूर्वक काम किया. इसके साथ ही गहलोत-पायलट के झगड़े का असर भी (Rajasthan Congress Crisis) उन्होंने सरदारशहर चुनाव पर पड़ने से बचा लिया.
गहलोत सरकार में 7 उपचुनावों का परिणाम :
सीट - किसने की जीत दर्ज-
- मंडावा - कांग्रेस
- खींवसर - रालोपा
- सुजानगढ़ - कांग्रेस
- सहाड़ा - कांग्रेस
- वल्लभगनगर - कांग्रेस
- राजसमंद - भाजपा
- धरियावद - कांग्रेस
- सरदारशहर - कांग्रेस