ETV Bharat / state

कांग्रेस प्रदेश प्रभारी रंधावा का बड़ा बयान, पायलट-गहलोत में झगड़ा नहीं, 23 को खड़गे तय करेंगे राजस्थान की सियासी राह

राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी व पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा (Sukhjinder Singh Randhawa) से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. इस दौरान रंधावा ने सीएम गहलोत और पायलट के बीच जारी सियासी खींचतान की बातों को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि ऐसे कुछ नहीं है. दोनों नेता एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं. इधर, विधायकों के (Rajasthan political crisis ) इस्तीफे पर उन्होंने कहा कि मामले में आगामी 23 दिसंबर को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे निर्णय लेंगे.

Etv BharatSukhjinder Singh Randhawa big statement
Sukhjinder Singh Randhawa big statement
author img

By

Published : Dec 17, 2022, 3:01 PM IST

कांग्रेस प्रदेश प्रभारी रंधावा से खास बातचीत

जयपुर. राजस्थान में जारी सियासी घमासान की चर्चाओं को दरकिनार (Rajasthan political crisis) करते हुए कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच कोई झगड़ा नहीं है. दोनों साथ हैं और राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' में दोनों उनके बाएं और (No dispute between Pilot and Gehlot) दाएं चलते दिखे हैं. हालांकि, रंधावा से पहले सीएम गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच जारी कुर्सी की जंग के कारण दो प्रभारियों को अपना पद तक छोड़ना पड़ा है. जिसमें अविनाश पांडे और अजय माकन का नाम शामिल है. खैर, सूबे में व्याप्त मौजूदा सियासी चुनौतियों से निपटने के लिए पार्टी आलाकमान ने अब पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा को राज्य की जिम्मेदारी सौंपी है. यही कारण है कि रंधावा अब परिस्थितियों को संभालने में लगे हैं.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में रंधावा ने खुलकर अपनी बात रखीं. उन्होंने कहा कि राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच कोई झगड़ा नहीं है. अगर झगड़ा होता तो दोनों नेता राहुल गांधी के दाएं-बाएं चलकर 'भारत जोड़ो यात्रा' (Rahul Gandhi Bharat Jodo Yatra) को सफल बनाने की बजाय गुटबाजी करते नजर आते. रंधावा ने कहा कि कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी है और नेताओं को अपनी बात आलाकमन तक पहुंचाने में कोई रोक नहीं है. लिहाजा नेता भी अपनी बात खुलकर कहते हैं. साथ ही विधायकों के इस्तीफे पर उन्होंने कहा कि वो अभी तक कोई इस्तीफा देखे तक नहीं हैं. ऐसे में वो इस पर क्या कह सकते हैं.

इसे भी पढ़ें - चीन के साथ सैन्य झड़प के मसले पर बयान देकर घिरे राहुल गांधी, बीजेपी ने लिया आड़े हाथ

वहीं, उन्होंने यह भी साफ किया कि उनका पहला टारगेट राजस्थान में जिला, ब्लॉक और बूथ स्तर पर कमेटियों का गठन करना है. हालांकि, करण बताओ नोटिस पाने वाले तीन नेताओं पर कार्रवाई और प्रदेश की आगामी सियासी रणनीति पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 23 दिसंबर को दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ होने वाली बैठक इन सभी बिन्दुओं पर बातें होंगी.

इन सबके इतर रंधावा ने कहा कि प्रभारी तो पंजाब और हर स्टेट में बदलते रहते हैं. दिल्ली, छत्तीसगढ़ और पंजाब में भी प्रभारी दो-तीन बार बदले थे, जबकि वहां कोई झगड़ा भी नहीं था. खैर, मीडिया में कुछ ज्यादा ही झगड़े की बात कही जा रही है. पायलट के सियासी स्टेटमेंट्स पर उन्होंने कहा कि शुक्रवार को राहुल गांधी ने कहा था कि हमारी पार्टी में डेमोक्रेसी है ओर कोई भी बोल सकता है. हर नेता को उसके विचार रखने का अधिकार है. भाजपा में ऐसा नहीं है, क्योंकि वहां मुंह खोलने वालों को पार्टी से चलता कर दिया जाता है. लेकिन हमारी पार्टी आज तक नेताओं की बात सुनकर उसका सम्मान करते आई है. पार्टी शीर्ष नेतृत्व हमेशा से ही नेताओं की बातों व विचारों को तरजीह देते आई है और उसे इंप्लीमेंट भी करती है. हालांकि, जो गलत है उस पर चर्चा होती है और फिर एक्शन होता है.

पढ़ें. Face To Face: कांग्रेस में बगावत पार्ट 2 पर बोले महेश जोशी- मानेसर वाले थे बागी, हम नहीं

रंधावा ने आगे कहा कि गहलोत और पायलट के बीच सियासी खींचतान केवल मीडिया में चल रहा है. असल हकीकत में ऐसा कुछ है ही नहीं. दोनों नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में एक साथ नजर आए और यात्रा को सफल बनाने के लिए काफी मेहनत भी किए. ऐसे में उन्हें कोई ग्रुपिज्म दिखाई नहीं दे रहा है. बावजूद इसके जहां तक कांग्रेस की बात है तो पार्टी में विधायकों की राय को अधिक महत्व दिया जाता है.

इधर, विधायकों के इस्तीफा पर उन्होंने कहा कि वो पास्ट की बात नहीं करते हैं, बल्कि फ्यूचर पर ध्यान देते हैं और प्रजेंट की बात करना पसंद करते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि पास्ट को ठीक किया जाता है और फ्यूचर हम देखते हैं कि हमें करना क्या है. खैर, विधायकों के इस्तीफे की तकलीफ मीडिया को अधिक है. आगे उन्होंने कहा कि वो फिलहाल तक इस्तीफे की कॉपी नहीं देखे हैं और उसे देखने के बाद ही इस पर कोई टिप्पणी करेंगे. बावजूद इसके इस पर तो निर्णय स्पीकर को ही लेना है. ऐसे में उन्हें लगता है कि इस पूरे मसले पर स्पीकर ही बेहतर बता सकते हैं.

पढ़ें. राजस्थान कांग्रेस के नए प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा का मानना- पंजाब से यहां के हालात अलग, मिल बैठकर संभाल लेंगे सब

कांग्रेस पार्टी में यूथ को आगे लाने के सवाल पर प्रभारी ने कहा कि अपने जो बड़े हैं, उन्हें कहां भेज देंगे? आपके पिता को क्या आप घर से निकाल सकते हैं. कांग्रेस हमेशा यूथ और एक्सपीरियंस को साथ लेकर चलती हैं. पार्टी में यूथ को पूरी नुमाइंदगी आज से नहीं, बल्कि इंदिरा गांधी के समय से मिल रहा है. जितने बड़े लीडर थे, उनको स्टेट में मिनिस्टर और पार्टी में पूरा काम करने का अवसर दिया जाता था.

पायलट-गहलोत दोनों ही मेरे करीबी: प्रभारी रंधावा ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों ही नेता उनके नजदीक हैं. पायलट के पिता उनके बेस्ट फ्रेंड थे तो अशोक गहलोत मेरे पिता जब पीसीसी प्रेसिडेंट थे तो उस समय जनरल सेक्रेटरी थे. उनके साथ भी मेरे पिता का गहरा रिश्ता था. रंधावा ने कहा कि गहलोत और पायलट जन्म से कांग्रेसी हैं और जिसके डीएनए में कांग्रेस है.

चुनाव विधायक नहीं कार्यकर्ता लड़ता है... रंधावा ने राजस्थान और पंजाब में राजनीतिक परिस्थितियों में फर्क बताते हुए कहा कि पंजाब में आखिरी तीन महीने में संकट आया था. ऐसा राजस्थान में नहीं होगा. हमारे पास एक साल है. रंधावा ने कहा कि सबसे पहले उनका टास्क जिला, ब्लॉक और बूथ कमेटी के गठन का है. जिसे वो 10 से 15 दिन में पूरा करने की दिशा में अग्रसर हैं. कांग्रेस में हर कम्युनिटी, हर वर्कर, किसने कितना काम किया है, उससे ज्यादा उसे रिवार्ड मिलेगा. उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता कांग्रेस की बैकबोन है. चुनाव एमएलए नहीं, बल्कि कार्यकर्ता लड़ता है. अगर उसमें जोश है तो फिर जीत सुनिश्चित होती है.

23 को सब तय करेंगे खड़गे: राजस्थान में चल रही राजनीतिक उठापटक को लेकर रंधावा ने कहा कि वो तो नए आए हैं. खड़गे जी के पास जो अनुशासन समिति की रिपोर्ट गई है, उस पर 23 दिसंबर को बैठक में निर्णय लिया जाएगा. इसमें विधायकों के इस्तीफे के साथ ही तीन नेताओं को मिले कारण बताओ नोटिस का मसला भी शामिल होगा.

कांग्रेस प्रदेश प्रभारी रंधावा से खास बातचीत

जयपुर. राजस्थान में जारी सियासी घमासान की चर्चाओं को दरकिनार (Rajasthan political crisis) करते हुए कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच कोई झगड़ा नहीं है. दोनों साथ हैं और राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' में दोनों उनके बाएं और (No dispute between Pilot and Gehlot) दाएं चलते दिखे हैं. हालांकि, रंधावा से पहले सीएम गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच जारी कुर्सी की जंग के कारण दो प्रभारियों को अपना पद तक छोड़ना पड़ा है. जिसमें अविनाश पांडे और अजय माकन का नाम शामिल है. खैर, सूबे में व्याप्त मौजूदा सियासी चुनौतियों से निपटने के लिए पार्टी आलाकमान ने अब पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा को राज्य की जिम्मेदारी सौंपी है. यही कारण है कि रंधावा अब परिस्थितियों को संभालने में लगे हैं.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में रंधावा ने खुलकर अपनी बात रखीं. उन्होंने कहा कि राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच कोई झगड़ा नहीं है. अगर झगड़ा होता तो दोनों नेता राहुल गांधी के दाएं-बाएं चलकर 'भारत जोड़ो यात्रा' (Rahul Gandhi Bharat Jodo Yatra) को सफल बनाने की बजाय गुटबाजी करते नजर आते. रंधावा ने कहा कि कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी है और नेताओं को अपनी बात आलाकमन तक पहुंचाने में कोई रोक नहीं है. लिहाजा नेता भी अपनी बात खुलकर कहते हैं. साथ ही विधायकों के इस्तीफे पर उन्होंने कहा कि वो अभी तक कोई इस्तीफा देखे तक नहीं हैं. ऐसे में वो इस पर क्या कह सकते हैं.

इसे भी पढ़ें - चीन के साथ सैन्य झड़प के मसले पर बयान देकर घिरे राहुल गांधी, बीजेपी ने लिया आड़े हाथ

वहीं, उन्होंने यह भी साफ किया कि उनका पहला टारगेट राजस्थान में जिला, ब्लॉक और बूथ स्तर पर कमेटियों का गठन करना है. हालांकि, करण बताओ नोटिस पाने वाले तीन नेताओं पर कार्रवाई और प्रदेश की आगामी सियासी रणनीति पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 23 दिसंबर को दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ होने वाली बैठक इन सभी बिन्दुओं पर बातें होंगी.

इन सबके इतर रंधावा ने कहा कि प्रभारी तो पंजाब और हर स्टेट में बदलते रहते हैं. दिल्ली, छत्तीसगढ़ और पंजाब में भी प्रभारी दो-तीन बार बदले थे, जबकि वहां कोई झगड़ा भी नहीं था. खैर, मीडिया में कुछ ज्यादा ही झगड़े की बात कही जा रही है. पायलट के सियासी स्टेटमेंट्स पर उन्होंने कहा कि शुक्रवार को राहुल गांधी ने कहा था कि हमारी पार्टी में डेमोक्रेसी है ओर कोई भी बोल सकता है. हर नेता को उसके विचार रखने का अधिकार है. भाजपा में ऐसा नहीं है, क्योंकि वहां मुंह खोलने वालों को पार्टी से चलता कर दिया जाता है. लेकिन हमारी पार्टी आज तक नेताओं की बात सुनकर उसका सम्मान करते आई है. पार्टी शीर्ष नेतृत्व हमेशा से ही नेताओं की बातों व विचारों को तरजीह देते आई है और उसे इंप्लीमेंट भी करती है. हालांकि, जो गलत है उस पर चर्चा होती है और फिर एक्शन होता है.

पढ़ें. Face To Face: कांग्रेस में बगावत पार्ट 2 पर बोले महेश जोशी- मानेसर वाले थे बागी, हम नहीं

रंधावा ने आगे कहा कि गहलोत और पायलट के बीच सियासी खींचतान केवल मीडिया में चल रहा है. असल हकीकत में ऐसा कुछ है ही नहीं. दोनों नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में एक साथ नजर आए और यात्रा को सफल बनाने के लिए काफी मेहनत भी किए. ऐसे में उन्हें कोई ग्रुपिज्म दिखाई नहीं दे रहा है. बावजूद इसके जहां तक कांग्रेस की बात है तो पार्टी में विधायकों की राय को अधिक महत्व दिया जाता है.

इधर, विधायकों के इस्तीफा पर उन्होंने कहा कि वो पास्ट की बात नहीं करते हैं, बल्कि फ्यूचर पर ध्यान देते हैं और प्रजेंट की बात करना पसंद करते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि पास्ट को ठीक किया जाता है और फ्यूचर हम देखते हैं कि हमें करना क्या है. खैर, विधायकों के इस्तीफे की तकलीफ मीडिया को अधिक है. आगे उन्होंने कहा कि वो फिलहाल तक इस्तीफे की कॉपी नहीं देखे हैं और उसे देखने के बाद ही इस पर कोई टिप्पणी करेंगे. बावजूद इसके इस पर तो निर्णय स्पीकर को ही लेना है. ऐसे में उन्हें लगता है कि इस पूरे मसले पर स्पीकर ही बेहतर बता सकते हैं.

पढ़ें. राजस्थान कांग्रेस के नए प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा का मानना- पंजाब से यहां के हालात अलग, मिल बैठकर संभाल लेंगे सब

कांग्रेस पार्टी में यूथ को आगे लाने के सवाल पर प्रभारी ने कहा कि अपने जो बड़े हैं, उन्हें कहां भेज देंगे? आपके पिता को क्या आप घर से निकाल सकते हैं. कांग्रेस हमेशा यूथ और एक्सपीरियंस को साथ लेकर चलती हैं. पार्टी में यूथ को पूरी नुमाइंदगी आज से नहीं, बल्कि इंदिरा गांधी के समय से मिल रहा है. जितने बड़े लीडर थे, उनको स्टेट में मिनिस्टर और पार्टी में पूरा काम करने का अवसर दिया जाता था.

पायलट-गहलोत दोनों ही मेरे करीबी: प्रभारी रंधावा ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों ही नेता उनके नजदीक हैं. पायलट के पिता उनके बेस्ट फ्रेंड थे तो अशोक गहलोत मेरे पिता जब पीसीसी प्रेसिडेंट थे तो उस समय जनरल सेक्रेटरी थे. उनके साथ भी मेरे पिता का गहरा रिश्ता था. रंधावा ने कहा कि गहलोत और पायलट जन्म से कांग्रेसी हैं और जिसके डीएनए में कांग्रेस है.

चुनाव विधायक नहीं कार्यकर्ता लड़ता है... रंधावा ने राजस्थान और पंजाब में राजनीतिक परिस्थितियों में फर्क बताते हुए कहा कि पंजाब में आखिरी तीन महीने में संकट आया था. ऐसा राजस्थान में नहीं होगा. हमारे पास एक साल है. रंधावा ने कहा कि सबसे पहले उनका टास्क जिला, ब्लॉक और बूथ कमेटी के गठन का है. जिसे वो 10 से 15 दिन में पूरा करने की दिशा में अग्रसर हैं. कांग्रेस में हर कम्युनिटी, हर वर्कर, किसने कितना काम किया है, उससे ज्यादा उसे रिवार्ड मिलेगा. उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता कांग्रेस की बैकबोन है. चुनाव एमएलए नहीं, बल्कि कार्यकर्ता लड़ता है. अगर उसमें जोश है तो फिर जीत सुनिश्चित होती है.

23 को सब तय करेंगे खड़गे: राजस्थान में चल रही राजनीतिक उठापटक को लेकर रंधावा ने कहा कि वो तो नए आए हैं. खड़गे जी के पास जो अनुशासन समिति की रिपोर्ट गई है, उस पर 23 दिसंबर को बैठक में निर्णय लिया जाएगा. इसमें विधायकों के इस्तीफे के साथ ही तीन नेताओं को मिले कारण बताओ नोटिस का मसला भी शामिल होगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.