भरतपुर : संभाग में वर्ष 2024 में अपराध के कुल मामलों में 4% की कमी दर्ज की है. वहीं, साइबर अपराध में 35% की गिरावट के साथ राजस्थान देश का इकलौता राज्य बन गया है, जहां यह अपराध घटा है. हालांकि, संभाग में दुष्कर्म के मामलों में 2.84% की बढ़ोतरी ने कानून व्यवस्था को लेकर नई चिंताएं पैदा की हैं. आईजी राहुल प्रकाश ने बताया कि झूठे मुकदमों के मामलों में भरतपुर संभाग प्रदेश में सबसे आगे है, जो गंभीर सामाजिक और कानूनी चुनौती बन रहा है.
डीग में अपराध में ऐतिहासिक गिरावट : भरतपुर संभाग के डीग जिले में वर्ष की शुरुआत में देश के कुल साइबर अपराधों का 21% हिस्सा दर्ज हो रहा था. लेकिन अब यह आंकड़ा घटकर मात्र 6% रह गया है. साइबर अपराध के मामलों में भी डीग ने बड़ा सुधार किया है और यहां 64% की कमी आई है. साइबर अपराध में कभी देश में पहले स्थान पर रहने वाला यह जिला अब तीसरे स्थान पर आ गया है.
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संभाग में साइबर अपराध कंट्रोल
- एक साल में 1453 साइबर अपराधी गिरफ्तार
- 63.11 लाख की नकदी जब्त
- 2177 फर्जी मोबाइल
- 3355 फर्जी सिम
- 607 फर्जी एटीएम
- 156 वाहन
- 27,889 फर्जी सिम व 21,222 फर्जी मोबाइल ब्लॉक
- ठगों के 10 मकान ध्वस्त
राजस्थान ने साइबर अपराध पर बनाया रिकॉर्ड : आईजी राहुल प्रकाश ने बताया कि इस वर्ष देशभर में राजस्थान साइबर अपराध पर नियंत्रण में अग्रणी रहा है. राज्य में साइबर अपराध में करीब 35% की कमी दर्ज की गई है, जबकि अन्य राज्यों में यह अपराध तेजी से बढ़ रहा है.
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- उत्तर प्रदेश में 33.87%
- बिहार में 22.33%
- हरियाणा में 49.78%
- दिल्ली में 59.32%
- पश्चिम बंगाल में 38.55%
- महाराष्ट्र में 114.36%
- तमिलनाडु में 56.47%
- मध्यप्रदेश में 53.56%
- कर्नाटक में 57.96
अब ऑपरेशन शील्ड : आईजी राहुल प्रकाश ने बताया कि साइबर अपराध पर नियंत्रण के लिए ऑपरेशन एंटी वायरस के स्थान पर अब ऑपरेशन शील्ड शुरू किया गया है. इसके तहत साइबर अपराधियों पर सख्ती से लगाम लगाकर आमजन में तकनीकी जागरूकता को बढ़ावा दिया जाएगा.दुष्कर्म के बढ़ते मामले चिंता का विषय : भरतपुर संभाग में दुष्कर्म के मामलों में 2.08% की वृद्धि हुई है. आईजी ने बताया कि इन मामलों में बड़ी संख्या में झूठे मुकदमे भी शामिल हैं, जो जमीनी विवाद और अन्य निजी दुश्मनी के कारण दर्ज कराए जाते हैं. भरतपुर संभाग बलात्कार के झूठे मुकदमों (61.89%) के मामले में प्रदेश में सबसे आगे है, जिससे पुलिस और न्यायालय की कार्यवाही पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है.