जयपुर. कांग्रेस अध्यक्ष बनने के लिए गुरुवार को इनकार करने के बाद रेस से बाहर हुए अशोक गहलोत कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे के प्रस्तावक बने. कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर तस्वीर साफ होने के बाद अब सभी की निगाहें राजस्थान पर टिक गई हैं. वर्तमान में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ही हैं.
राजनीतिक गलियारों में सभी की निगाहें दिल्ली की तरफ टिकी हुई है कि कांग्रेस आलाकमान राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत को लेकर क्या फैसला करता है. यही कारण है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली में चुनावी मैनेजमेंट में जुटे हुए हैं. उन्होंने मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की. साथ ही साथ ही गहलोत नामांकन के समय और नामांकन से पहले भी कांग्रेस के आलानेताओ से मुलाकात में मशगूल रहे.
नामांकन के दौरान अशोक गहलोत मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ चल रहे थे. गहलोत ने दिल्ली में लॉबिंग करते हुए राज्यसभा सांसद मुकुल वासनिक, अंबिका सोनी, पवन बंसल, आनंद शर्मा, भूपेंद्रसिंह हुड्डा, पृथ्वीराज चव्हाण, अविनाश पांडेय, मनीष तिवारी, राजीव शुक्ला से मुलाकात की. मतलब साफ है कि गहलोत कांग्रेस आलाकमान से सीधे संपर्क में रहने वाले नेताओं के साथ ही G-23 के नेताओं को भी साधकर जयपुर लौट रहे हैं.
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दिग्विजय और आचार्य प्रमोद से भी मिले लेकिन नहीं किया जिक्रः गहलोत ने जिन नेताओं से मुलाकात की उन सभी के नाम अपने सोशल मीडिया पर डाले. लेकिन कुछ नाम उन्होंने छोड़ भी दिए. इसमें दिग्विजय सिंह और अक्सर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की बात कहने वाले आचार्य प्रमोद के नाम शामिल है. दोनों नेताओं के साथ गहलोत ने तस्वीरें तो खिंचवाई, लेकिन इन्हें ना तो पोस्ट किया और ना ही इनका जिक्र किया. ऐसे में साफ है कि अब राजस्थान के मुख्यमंत्री की लड़ाई गहलोत यह मानकर चल रहे हैं कि दिग्विजय सिंह का उन्हें समर्थन नहीं मिलेगा. जबकि आचार्य प्रमोद वैसे ही सचिन पायलट के समर्थक हैं.
खड़गे आखिरी बार आये थे राजस्थान पर्यवेक्षक बनकर: मल्लिकार्जुन खड़गे से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उनके दिल्ली आवास पर मुलाकात की. मल्लिकार्जुन खड़गे के प्रस्तावक भी बने. बता दें कि मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जो पिछला असाइनमेंट दिया था, वह राजस्थान में विधायक दल की बैठक कर प्रस्ताव पास करवाने का था. लेकिन गहलोत समर्थक विधायकों के विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करने के चलते खड़गे अपना असाइनमेंट पूरा नहीं कर सके. उन्हें बैरंग वापस लौटना पड़ा. हालांकि विधायक दल की बैठक नहीं होने के बावजूद भी खड़गे ने गहलोत पर कोई नाराजगी नहीं जताई थी.
बस इतना कहा था कि अनुशासन पार्टी में हर जगह बना रहना चाहिए. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा की यह चुनाव कांग्रेस के नेताओं के बीच 1 तरीके से फ्रेंडली मैच की तरह होगा. जिसमें चुनाव के बाद हारने और जीतने वाले सभी नेता एक ही पार्टी के सदस्य होंगे. इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए अशोक गहलोत का नाम सबसे आगे चल रहा था, लेकिन राजस्थान के सियासी घटनाक्रम के बाद वे इस रेस से हट गए. वहीं अब वे मल्लिकार्जुन खड़गे के प्रस्तावक बने हैं.
हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी को इस्तीफा सौंपने की बात को घुमा दिया. उन्होंने कहा कि मैं तो पहले ही कह चुका हूं कि मैं अब बिना पद के रहना चाहता हूं. मेरा बस चले तो मैं राहुल गांधी के साथ बिना पद के पैदल यात्रा में शामिल हो जाऊं. इस दौरान गहलोत ने इस्तीफे जैसी कोई बात नहीं कही. साथ ही यह भी कह दिया कि कांग्रेस पार्टी ने पिछले 50 साल से मुझे कभी बिना पद रहने ही नहीं दिया है.
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मल्लिकार्जुन खड़गे के फॉर्म पर गहलोत समेत 7 नेता बने प्रस्तावकः मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन दाखिल कर दिया है. इस नामांकन के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत सात ऐसे नेताओं ने भी प्रस्तावक के तौर पर अपने हस्ताक्षर किए हैं जो या तो राजस्थान के नेता हैं, या फिर राजस्थान से राज्यसभा सांसद हैं. खड़गे के तीन नामांकन में हस्ताक्षर करने वाले नेताओं में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ,कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य रघुवीर मीणा, पूर्व सांसद ताराचंद भगोरा, कांग्रेस नेता मूलचंद मीणा और अभिषेक मनु सिंघवी शामिल है. वहीं मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवारी राजस्थान से ही राज्यसभा सांसद है. ऐसे में राजस्थान से संबंध रखने वाले कुल 7 नेताओं ने मलिकार्जुन खड़गे के नामांकन पर हस्ताक्षर किए हैं.