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असमंजस में कांग्रेस आलाकमान, राजस्थान के 'सियासी भंवर' में गुजरात विधानसभा चुनाव...झेलनी पड़ सकती है दोहरी मार

राजस्थान के 12 मंत्रियों और 10 विधायकों को गुजरात की 26 में से 20 लोकसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. लेकिन प्रदेश में जारी सियासी उठापटक (Rajasthan Political Crisis) के बीच 22 में से 20 मंत्री-विधायक स्पीकर को इस्तीफा सौंप चुके हैं. ऐसे में अब राजस्थान के साथ ही कांग्रेस के लिए गुजरात विधानसभा चुनाव भी किसी चुनौती से कम नहीं है.

political trap of Rajasthan
असमंजस में कांग्रेस आलाकमान
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Published : Oct 21, 2022, 4:09 PM IST

जयपुर. हिमाचल में चुनाव की तारीखों का एलान (Himachal Pradesh Assembly Election 2022) हो चुका है. अब सियासी पार्टियों को बेसब्री से गुजरात चुनाव की तारीखों के (Gujarat Assembly Election 2022) एलान का इंतजार है, क्योंकि आगामी 8 दिसंबर को हिमाचल के साथ ही गुजरात चुनाव के भी नतीजे सामने आएंगे. ऐसे में अब जल्द ही गुजरात चुनाव की तारीखों का भी ऐलान हो जाएगा.

वहीं, कांग्रेस के लिए गुजरात नाक का सवाल बना हुआ है, क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव तक वहां बीजेपी बनाम कांग्रेस के बीच ही मुकाबला देखने को मिला था. लेकिन अबकी चुनाव में आम आदमी पार्टी की एंट्री से गुजरात में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार बन गए हैं. यही कारण है कि कांग्रेस किसी भी सूरत में अपने प्रदर्शन को बेहतर करने और लड़ाई से आम आदमी पार्टी को बाहर करने को लेकर अभी से ही सियासी रणनीति बनाने में जुट गई है. ऐसे में पार्टी आलाकमान अपने विश्वासियों को गुजरात की जिम्मेदारी सौंप मैदान मारने की कोशिश में है. लेकिन अब गुजरात की सियासी समर में राजस्थान इम्पैक्ट साफ तौर पर दिखने लगा है.

दरअसल, पार्टी ने राजस्थान के पूर्व मंत्री रघु शर्मा को गुजरात चुनाव का प्रभारी बनाया है तो वहीं वरिष्ठ पर्यवेक्षक की भूमिका में स्वयं सूबे के सीएम अशोक गहलोत है. साथ ही प्रदेश के 12 मंत्रियों और 10 विधायकों समेत कुल 25 नेताओं को गुजरात की 26 में से 20 लोकसभा सीटों पर पर्यवेक्षक बनाया गया है.

इसे भी पढ़ें - सीएम गहलोत पर नेता प्रतिपक्ष तंज कसते-कसते ये क्या बोल गए!

वहीं, हर लोकसभा में 8 से 10 विधानसभा की सीटें हैं. ऐसे में करीब 200 विधानसभा सीटों पर टिकट वितरण से लेकर चुनाव जीतने की रणनीति बनाने व प्रचार का काम संभालने को इन नेताओं को गुजरात के प्रभारी रघु शर्मा और वरिष्ठ पर्यवेक्षक सीएम गहलोत ने अपनी सहायता को जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन अब 22 में से 20 विधायक ऐसे हैं, जो राजस्थान में हुए सियासी उठापटक के कारण पार्टी आलाकमान से नाराज हैं और स्पीकर सीपी जोशी को अपना इस्तीफे दे चुके हैं.

ऐसे में आलाकमान से बगावत कर इस्तीफा दे चुके पार्टी के विधायक और मंत्री भला किस मुंह से गुजरात में संगठन के पर्यवेक्षक की भूमिका निभाएंगे. खैर, जिस समय इन 22 मंत्रियों और विधायकों को गुजरात चुनाव का जिम्मा सौंपा गया था, उस समय सूबे में सियासी परिस्थितियां भिन्न थी और आज एकदम से पृथक हैं. यानी कह सकते हैं कि कांग्रेस राजस्थान के मंत्री व विधायकों के भरोसे गुजरात के चुनावी समर में कूदने का मन बना चुकी थी, लेकिन इस बदले सियासी परिदृश्य में पार्टी और नेता दोनों ही असमंजस की स्थिति में हैं.

एक ओर जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वरिष्ठ पर्यवेक्षक के तौर पर गुजरात चुनाव संभाल रहे थे, तो प्रभारी के तौर पर रघु शर्मा के हाथों में इन चुनावों की कमान थी. यही देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने नजदीकी नेताओं को गुजरात चुनाव में 20 लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी सौंप दी थी, लेकिन 25 सितंबर के सियासी वाकया के बाद मंत्री, विधायकों के इस्तीफे ने पूरी तरह से माहौल को बदलकर रख दिया है. हालांकि, 25 सितंबर से पहले इन नेताओं के 1-2 दौरे भी हो चुके हैं.

इन मंत्री-विधायकों को सौंपी गई थी जिम्मेदारी
नाम लोकसभा क्षेत्र

साले मोहम्मद

इंद्राज गुर्जर

कच्छ
अशोक चांदनाबनासकांठा
रामलाल जाट पाटन
उदयलाल आंजना मेहसाणा
सुरेश मोदी गांधीनगर
हाकम अली अहमदाबाद (पूर्व)

अमीन कागजी

धर्मेंद्र राठौड़

अहमदाबाद (पश्चिम)

शकुंतला रावत

अशोक बैरवा

सुरेंद्रनगर

प्रमोद जैन भाया

पानाचंद मेघवाल

राजकोट
राजेंद्र यादव जामनगर

करण सिंह यादव

महेंद्र गहलोत

जूनागढ़

सुखराम बिश्नोई

गोपाल मीणा

अमरेली
बीडी कल्ला आनंद
अमित चाचाण खेड़ा
ताराचंद भगोरा पंचमहल
महेंद्र जीत सिंह मालवीय दाहोद
अर्जुन बामणिया छोटा उदयपुर
गोविंद राम मेघवाल भरूच
रामलाल मीणा बारडोली
राजकुमार शर्मासूरत

इन मंत्री-विधायकों में केवल दो ऐसे नेता हैं, जिन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है. सुरेश मोदी और इंद्राज गुर्जर को सूबे के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का खास माना जाता है. शेष अन्य की बात करें तो सभी 25 सितंबर को स्पीकर सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप चुके हैं.

वहीं, 4 कांग्रेस नेताओं धर्मेंद्र राठौड़, ताराचंद भगोरा, करण सिंह यादव और महेंद्र गहलोत को भी अलग-अलग लोकसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन इनमें से भी धर्मेंद्र राठौड़ को पार्टी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है. साथ ही अन्य 3 को फिलहाल गुजरात चुनाव से अलग रखा गया है.

जयपुर. हिमाचल में चुनाव की तारीखों का एलान (Himachal Pradesh Assembly Election 2022) हो चुका है. अब सियासी पार्टियों को बेसब्री से गुजरात चुनाव की तारीखों के (Gujarat Assembly Election 2022) एलान का इंतजार है, क्योंकि आगामी 8 दिसंबर को हिमाचल के साथ ही गुजरात चुनाव के भी नतीजे सामने आएंगे. ऐसे में अब जल्द ही गुजरात चुनाव की तारीखों का भी ऐलान हो जाएगा.

वहीं, कांग्रेस के लिए गुजरात नाक का सवाल बना हुआ है, क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव तक वहां बीजेपी बनाम कांग्रेस के बीच ही मुकाबला देखने को मिला था. लेकिन अबकी चुनाव में आम आदमी पार्टी की एंट्री से गुजरात में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार बन गए हैं. यही कारण है कि कांग्रेस किसी भी सूरत में अपने प्रदर्शन को बेहतर करने और लड़ाई से आम आदमी पार्टी को बाहर करने को लेकर अभी से ही सियासी रणनीति बनाने में जुट गई है. ऐसे में पार्टी आलाकमान अपने विश्वासियों को गुजरात की जिम्मेदारी सौंप मैदान मारने की कोशिश में है. लेकिन अब गुजरात की सियासी समर में राजस्थान इम्पैक्ट साफ तौर पर दिखने लगा है.

दरअसल, पार्टी ने राजस्थान के पूर्व मंत्री रघु शर्मा को गुजरात चुनाव का प्रभारी बनाया है तो वहीं वरिष्ठ पर्यवेक्षक की भूमिका में स्वयं सूबे के सीएम अशोक गहलोत है. साथ ही प्रदेश के 12 मंत्रियों और 10 विधायकों समेत कुल 25 नेताओं को गुजरात की 26 में से 20 लोकसभा सीटों पर पर्यवेक्षक बनाया गया है.

इसे भी पढ़ें - सीएम गहलोत पर नेता प्रतिपक्ष तंज कसते-कसते ये क्या बोल गए!

वहीं, हर लोकसभा में 8 से 10 विधानसभा की सीटें हैं. ऐसे में करीब 200 विधानसभा सीटों पर टिकट वितरण से लेकर चुनाव जीतने की रणनीति बनाने व प्रचार का काम संभालने को इन नेताओं को गुजरात के प्रभारी रघु शर्मा और वरिष्ठ पर्यवेक्षक सीएम गहलोत ने अपनी सहायता को जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन अब 22 में से 20 विधायक ऐसे हैं, जो राजस्थान में हुए सियासी उठापटक के कारण पार्टी आलाकमान से नाराज हैं और स्पीकर सीपी जोशी को अपना इस्तीफे दे चुके हैं.

ऐसे में आलाकमान से बगावत कर इस्तीफा दे चुके पार्टी के विधायक और मंत्री भला किस मुंह से गुजरात में संगठन के पर्यवेक्षक की भूमिका निभाएंगे. खैर, जिस समय इन 22 मंत्रियों और विधायकों को गुजरात चुनाव का जिम्मा सौंपा गया था, उस समय सूबे में सियासी परिस्थितियां भिन्न थी और आज एकदम से पृथक हैं. यानी कह सकते हैं कि कांग्रेस राजस्थान के मंत्री व विधायकों के भरोसे गुजरात के चुनावी समर में कूदने का मन बना चुकी थी, लेकिन इस बदले सियासी परिदृश्य में पार्टी और नेता दोनों ही असमंजस की स्थिति में हैं.

एक ओर जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वरिष्ठ पर्यवेक्षक के तौर पर गुजरात चुनाव संभाल रहे थे, तो प्रभारी के तौर पर रघु शर्मा के हाथों में इन चुनावों की कमान थी. यही देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने नजदीकी नेताओं को गुजरात चुनाव में 20 लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी सौंप दी थी, लेकिन 25 सितंबर के सियासी वाकया के बाद मंत्री, विधायकों के इस्तीफे ने पूरी तरह से माहौल को बदलकर रख दिया है. हालांकि, 25 सितंबर से पहले इन नेताओं के 1-2 दौरे भी हो चुके हैं.

इन मंत्री-विधायकों को सौंपी गई थी जिम्मेदारी
नाम लोकसभा क्षेत्र

साले मोहम्मद

इंद्राज गुर्जर

कच्छ
अशोक चांदनाबनासकांठा
रामलाल जाट पाटन
उदयलाल आंजना मेहसाणा
सुरेश मोदी गांधीनगर
हाकम अली अहमदाबाद (पूर्व)

अमीन कागजी

धर्मेंद्र राठौड़

अहमदाबाद (पश्चिम)

शकुंतला रावत

अशोक बैरवा

सुरेंद्रनगर

प्रमोद जैन भाया

पानाचंद मेघवाल

राजकोट
राजेंद्र यादव जामनगर

करण सिंह यादव

महेंद्र गहलोत

जूनागढ़

सुखराम बिश्नोई

गोपाल मीणा

अमरेली
बीडी कल्ला आनंद
अमित चाचाण खेड़ा
ताराचंद भगोरा पंचमहल
महेंद्र जीत सिंह मालवीय दाहोद
अर्जुन बामणिया छोटा उदयपुर
गोविंद राम मेघवाल भरूच
रामलाल मीणा बारडोली
राजकुमार शर्मासूरत

इन मंत्री-विधायकों में केवल दो ऐसे नेता हैं, जिन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है. सुरेश मोदी और इंद्राज गुर्जर को सूबे के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का खास माना जाता है. शेष अन्य की बात करें तो सभी 25 सितंबर को स्पीकर सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप चुके हैं.

वहीं, 4 कांग्रेस नेताओं धर्मेंद्र राठौड़, ताराचंद भगोरा, करण सिंह यादव और महेंद्र गहलोत को भी अलग-अलग लोकसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन इनमें से भी धर्मेंद्र राठौड़ को पार्टी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है. साथ ही अन्य 3 को फिलहाल गुजरात चुनाव से अलग रखा गया है.

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